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डिप्रेशन के लक्षण, कारण और प्रकार

July 19, 2018
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डिप्रेशन के लक्षण, कारणऔर प्रकार

किसी व्यक्ति में उदासी की भावना, लगातार शांत रहना और कोई भी चीज में रूचि न लेना यह दर्शाता है कि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में कुछ खराबी है। वर्तमान समय में, लोग अक्सर दिमाग की अस्थिर स्थिति के साथ मानसिक बीमारी को जोड़ देते हैं। यहाँ पर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक रूप से चर्चा करने पर पाबंदी है। आज के समय की जीवन शैली काफी व्यस्त और साथ ही साथ विनाशकारी है क्योंकि हर व्यक्ति जीवन में अधिक चीजें हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहा है, लेकिन क्या वास्तव में हम यही चाहते हैं? दिन के समाप्त होते ही हम वास्तव में शांति, संतुष्टि और खुशी चाहते हैं, सही है ना? विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे अवसादग्रस्‍त देशों में से एक है। लगभग 36% आबादी को प्रमुख अवसाद ग्रस्तता (एमडीई) का सामना करना पड़ता है जबकि देश के लगभग 9% लोगों गंभीर डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं।

डिप्रेशन क्या है?

डिप्रेशन, जिसे नैदानिक अवसाद, प्रमुख अवसाद या बायोलॉजिकल डिप्रेशन जैसे कई नामों से जाना जाता है, जो कि व्यक्ति की मनोदशा के अनुसार होता है। यह मूल रूप से एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को रातभर या दो दिन तक चैन नहीं मिलता है। लेकिन यह बीमारी सप्ताह या महीनों तक व्यक्ति को लगातार घेरे रहती है। उदासी की यह भावना अक्सर चिंता, निराशा की भावना और ऊर्जा की कमी के साथ होती है जो किसी व्यक्ति के उत्साह को घटा देती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक देखने को मिलता है। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को उन चीजों से खुशी नहीं मिल पाती है जिन चीजों से वह पहले आनंद लिया करता था। बहुत से लोग सोचते हैं कि या तो व्यक्ति आलसी हो गया है या भावनात्मक रूप से असंतुलित हैः वह “ब्लू मूड” (तनाव) के कारणों का विरोध करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करता है, लेकिन हकीकत यह है कि केवल पीड़ित ही तनाव के कारण होने वाली  उथल-पुथल को समझता है। यह केवल पीड़ित व्यक्ति ही समझता है कि कैसे वह अपनी बची हुई शक्ति के साथ आगे बढ़कर अपने संघर्ष को पुनरारंभ करते हुए इस बीमारी को नियंत्रित करें।

डिप्रेशन के लक्षण –

डिप्रेशन के लक्षणों मेंसे कुछ लक्षणों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है जिन्हें दिन, सप्ताह और महीनों में अनुभव किया जाता है।

  • अकेलापन और उदासी की लगातार भावना
  • शक्ति की कमी
  • निराशा की भावनाएं
  • सोने में कठिनाई (हाइपर्सोमनिया या अनिद्रा)
  • आनंददायक गतिविधियों में कमी
  • प्रतिबंधित सामाजिकता
  • खाने में कठिनाई
  • वजन बढ़ना याघटना
  • एकाग्रता या ध्यान में समस्या
  • अपराधी और बेकार की भावना
  • बेचैनी
  • निर्णय लेने, सोचने या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता खत्म होना
  • आत्मघाती विचारों का पुनर्मूल्यांकन

 

डिप्रेशन के कारण –

डिप्रेशन के कारणों को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी को पूरे तरीके से समझा नहीं जा सकता कि किसी व्यक्ति की उदासीन मनोदशा, खुशी की कमी और व्यक्ति के भीतर नकारात्मक भावनाएं क्या होती हैं। यह आनुवांशिक, जैविक, और मनोवैज्ञानिक कारकों के जटिल संयोजन की वजह से होती है।

कुछ और कारण –

  • जैविक परिवर्तन (न्यूरोट्रांसमीटर स्तर में परिवर्तन)
  • आनुवांशिक परिवर्तन
  • मनोवैज्ञानिक परिवर्तन
  • तलाक, काम की समस्याएं, रिश्तों जैसे जीवन की घटनाएं
  • वित्तीय समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएंऔर तीव्र तनाव
  • बचपन या पिछला आघात।
  • रोजगार की समस्या
  • शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग

 

डिप्रेशन के प्रकार –

डिप्रेशन के विभिन्न प्रकार हैं। कुछ लोगों में ये व्यापक रूप से होते हैं-

बाइपोलर डिसऑर्डर – यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति अचानक खुश और एकदम से दुखी हो जाता है। इस स्थिति में, अत्यधिक सिर चकराना, ऊर्जा में उतार-चढ़ाव और सक्रियता का स्तर घटता बढ़ता रहता है। इन सभी कारणों की वजह से व्यक्ति का दिन-प्रति-दिन जीना मुश्किल हो सकता है। बाइपोलर डिप्रेशनपागलपन सहित कई गंभीर मामलों को उत्पन्न कर सकता है।

मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) – एक व्यक्ति में मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) की पहचान तब होती है जब व्यक्ति के नींद, थकान, मौत का विचार और आत्महत्या के विचारों में परिवर्तन होने के कारण सामान्य रूप से आनंदित गतिविधियों में रुचि कम होने लगती है। इस व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक की अवधि तक चीजों को याद रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एमडीडी आमतौर पर नैदानिक अवसाद के रूप में जाना जाता है।

प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर – प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर को आमतौर पर डायस्थीमिया कहा जाता है। यह पुराने डिप्रेशन का एक प्रकार है जो कई दिन या वर्षों तक रह सकता है। यह तेजी के साथ कभी-कभी हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है।

प्रीमेस्ट्रल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) – यह बीमारी मूल रूप से किसी व्यक्ति की मनोदशा पर निर्भर होती है। इस बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति अत्यधिक थकान, उदासी, निराशा महसूस कर सकता है या खुद के लिए संकट पैदा कर सकता है। हार्मोनल उपचार और जीवन शैली में परिवर्तन पीएमडीडी के लिए सबसे अच्छा इलाज है।

एटिपिकल डिप्रेशन- जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस प्रकार के डिप्रेशन से जुड़े कोई सामान्य लक्षण नहीं हैं। एटिपिकल डिप्रेशन विशेष रूप से अत्यधिक वजन बढ़ने, थकान, अस्वीकृति के लिए तीव्र संवेदनशीलता, दृढ़ता से प्रतिक्रियाशील मूड और अस्थिरता से जुड़ा हुआ है।

आज के समय में सभी इंसान अपने व्यक्तिगत या पेशेवर समस्याओं के कारण तनाव जैसी समस्याओं से गुजरते हैं लेकिन तनाव को डिप्रेशन से भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक व्यापक शब्द है। लोगों को उनके सामने आने वाली परेशानियों पर बात औऱ चर्चा करनी चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए। कुछ मामलों में ध्यान करना भी आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।

 

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