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हैलो श्रीदेवी

February 27, 2018
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 श्रीदेवी

मुझे पता चला है कि तुम हम सब को छोड़ कर चली गई हो, सच में। यह समय जाने का नहीं था। अभी तो तुमने अपने जीवन की दूसरी पारी शुरू ही की थी और कितना कुछ इस पारी में करना बाकी था। दूसरी पारी में, तुम्हारी भूमिका तुम्हारी आत्मा से जुड़ी हुई है। तुम्हारी फिल्म ‘इंगलिश विंगलिश’ और ‘मॉम’ में सभी ने आपके आत्मिक अभिनय की सराहना की है। श्रीदेवी, मैंने पहली बार तुम्हे रूपहले परदे पर फिल्म सदमा में देखा था, जिसमें आपका अभिनय बहुत ही उम्दा था, इसमें आपकी जोड़ी बेहतरीन कलाकार कमल हसन के साथ थी और दोनों की भूमिका बहुत ही अच्छी थी, इसमें तुमने एक मानसिक रूप से अस्वस्थ्य लड़की जैसी कठिन भूमिका को बहुत ही अच्छे ढंग से निभाया था।

मिस्टर इंडिया का गीत हवा हवाई में, तुम्हारे सिर और आँख को एक साथ चलाने के प्रदर्शन से भारतीय सिनेमा को एक उत्कृष्ट अदा मिली और इतना ही नहीं आज भी हवा हवाई गीत पर मैं अपना सिर और आँख को एक साथ नहीं चला सकता हूँ। उस गीत में तुमने वास्तव में लोगों पर “बिजली गिरा दी” थी और “अस्सी तुस्सी लस्सी पीती” बोल को बार-बार सुनने के कारण लोगों के वीसीआर के रिवाइंड बटन तक खराब हो गये थे। श्रीदेवी, आजकल प्रिया प्रकाश वारियर के आँखे मटकाने का नशा सब पर छाया हुआ है, उनके माता-पिता ने भी जब एक दूसरे को आँख नहीं मारी होगी, उससे भी पहले तुम्हारे नृत्य ने पूरी एक पीढ़ी पर जादू बिखेर दिया था।

अगली बार तुम यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म चाँदनी के पोस्टर पर दिखाई दीं। इस फिल्म में विनोद खन्ना और ऋषि कपूर थे और तुमने एक आदर्श लड़की की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म का गीत ‘ओ मेरी चाँदनी’ को कनॉट प्लेस / कनॉट चौक की कार पार्किंग में सुना जा सकता है। इसी फिल्म का एक डॉयलाग “अपनी महबूबा को मिलने खाली हाथ नही जाते है” को एमटीएनएल टेलीफोन लाइनों पर आपने एक रिंगटोन के रूप में खूब सुना होगा, इस डॉयलाग से अनगिनत प्रेमियों की जेब खाली हो गई।

श्रीदेवी, हम सभी जानते हैं कि सनी देओल “ना जाने कहाँ से आई है” गीत में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए थे, तुम्हारे उम्दा प्रदर्शन के कारण ही लोग सिनेमा हाल तक आने के लिए मजबूर हो गए थे, वरना सनी देओल के साथ किसी और की जोड़ी लोगों को हॉल तक नहीं खीच सकती थी, लेकिन यह गीत बहुत अधिक प्रसिद्ध हुआ था और दिल्ली विश्‍वविद्यालय की छात्राओं के लिए “किसी के हाथ न आएगी ये लड़की” गाना एक समूहिक गीत बन गया था। चालबाज फिल्म में उम्दा प्रदर्शन ने आपको माधुरी दीक्षित से भी ज्यादा प्रसिद्ध कर दिया।

फिल्म ‘लम्हे’ एक आर्ट फिल्म थी, जिसे यश चोपड़ा ने व्यावसायिक जोखिम लेकर निर्माण किया था, इस फिल्म की भूमिका को और कोई कर ही नहीं सकता था, क्योंकि कोई भी इतनी बेहतरीन तरीके से डबल रोल नहीं कर सकता था। लम्हे फिल्म में अनिल कपूर बिना मूछों के दिखाई दिए थे, लेकिन इसमें आपका एक मस्त गीत अनुपम खेर के साथ था, जो इस अतिसंवेदनशील फिल्म में हास्य का तड़का लगता है।

ऐसा नहीं है कि आपको ‘लम्हे’ फिल्म के बाद नहीं देखा गया था, फिल्मों से ब्रेक या अर्द्ध-ब्रेक लेने के बाद भी आपका जादू हर जगह छाया हुआ था, ऐसा कभी नहीं लगा कि आप फिर से फिल्मों में वापस आएगी, लेकिन फिल्म इंग्लिश विंग्लिश से वापसी ने सबकुछ साफ कर दिया। शशि गोडबोले के किरदार के साथ आप पूरी तरह से नए लुक में दिखाई दी थीं। इस फिल्म के जरिए दो पीढ़ियों ने आपके किरदार से सीखा कि कैसे निर्णय नहीं लेने चाहिए। आपकी अभिव्यक्ति, आपके कदम, आपकी बातें सभी अतुल्यकालिक थी, सटीक टाइमिंग की आपकी सूझबूझ और बेहतर प्रदर्शन, सब कुछ अद्भुत था।

यदि फिल्म इंग्लिश विंग्लिश एक महिला के दृढ़ संकल्प के बारे में है, तो मॉम फिल्म भी इससे कम नहीं है, मॉम फिल्म का पुलिस स्टेशन का दृश्य, अस्पताल का दृश्य और एक जासूस को नियुक्त करना सबकुछ काफी उम्दा है और एक क्लासिक डॉयलाग “भगवान हर जगह नहीं होता है” इस पर डीके का जवाब “इसलिए तो माँ बनाई है भगवान ने” ये सबकुछ एक ही फिल्म में देखा जा सकता है।

क्या यह सच है, तुम चली गई हो? मुझे नहीं लगता कि आप कभी भी जाएंगी। आप का शरीर जरूर इस दुनिया में नहीं रहा है, लेकिन आप हम सब के दिल में हमेशा रहेंगी और निश्चित रूप से आपकी कमी यूट्यूब पर एक क्लिक से दूर हो जाएगी।

सराँश

 श्रीदेवी      नाम- श्रीदेवी कपूर

                                   उपनाम- (श्रीदेवी)

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