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मूवी रिव्यूः लैला-मजनूं – पारंपरिक प्रेम कथा अब नए अंदाज में

September 8, 2018
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मूवी रिव्यूः लैला-मजनूं

निर्देशक: साजिद अली

निर्माता: एकता कपूर, शोभा कपूर, प्रीति अली

पटकथा: इम्तियाज अली, साजिद अली

कलाकार: अविनाश तिवारी, तृप्ति डिमरी

संगीत: नीलाद्री कुमार, जोई बरुआ, अलिफ

छायांकन: सायक भट्टाचार्य

प्रोडक्शन कंपनी: बालाजी मोशन पिक्चर्स, पीआई पिक्चर्स

फिल्म कथानक: साजिद अली द्वारा निर्देशित, फिल्म लैला मजनूं  की पारंपरिक प्रेम कथा को कश्मीर की खूबसूरत वादियों में नए अंदाज में फिल्माया गया है। एक दकियानूसी परिवार के आज़ाद ख्यालों वाली लड़की लैला (तृप्ति डिमरी) मस्तमौला और थोड़ी सी शातिर है जिसे लड़कों को अपने पीछे घुमाने में मज़ा आता है, ऐसा ही कुछ करते हुए वह क़ैस (अविनाश तिवारी), जो बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, से प्यार करने लगती है। क़ैश अपने बिगडैल अंदाज से लैला को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है, प्यार परवान चढ़ता है और कैस, लैला के लिए जुनूनी हो जाता है। इस फिल्म में लैला-मजनूं के सच्चे प्यार को दिखाया गया है, जिसे फिल्म के विभिन्न दृश्यों में देखा जा सकता है।

फिल्म ‘लैला मजनूं’ के कथानक के अनुसार यह बॉलीवुड की एक अनूठी  प्रेम कथा है, जिसमें नायक-नायिका दोनों के परिवारों के बीच प्रापर्टी को लेकर झगड़ा चल रहा है। इस विवाद के कारण प्रेमी पंछियों का दिल टूट जाता है और उनका प्यार परवान चढ़ने के बजाय बर्बादी की राह पर आ जाता है।

फिल्म समीक्षा:  क़ैस और लैला के बीच नाकामयाब प्यार की यह कहानी जादू बिखेरने में नाकाम रही है। फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी गति से होती है लेकिन जब इंट्री होती है हमारे हीरो क़ैस (अविनाश तिवारी) की, तो फिल्म रफ्तार पकड़ती है। सिनेमट्रोग्राफी शानदार है, लेकिन फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं दिखाई देता है जहां पर यह लगे कि फिल्म उबाऊ है। ‘लैला मजनूं’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें आज के युवाओं के घिसे-पिटे प्रेम की कहानी को दिखाया गया है। लैला और क़ैस के बीच के संबंध को व्यापक पैमाने पर विकासित करना निराशाजनक प्रतीत होता है और बाद में यह प्यार पर विश्वास करने वालों के लिए मुश्किल बना देता है, जो वे एक-दूसरे में देखते हैं। फिल्म की इस क्लासिक कहानी को “समकालीन” बनाने के लिए कई दिलचस्प मोड़ और बदलाव किए गए हैं।

श्रीनगर की गलियों में फिल्माये जाने के कारण यह फिल्म दर्शकों को मंत्रमुग्घ करती है। दोनों कलाकारों, अविनाश तिवारी और तृप्ति डिमरी ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी है। अविनाश तिवारी ने अपने किरदार को बखूवी निभाया है जो उन्हें एक अलग पहचान देता है। फिल्मी कलाकारों ने स्थानीय लोगों के साथ अपना सामंजस्य काफी अच्छे से बिठाया है। फिल्म का निरूपण बहुत ही त्रुटिपूर्ण है, फिर भी कलाकारों ने फिल्म को विशेष बनाया है।

हमारा फैसला: जबकि फिल्म का शीर्षक “लैला मजनूं” है, हम इम्तियाज अली को उनके भाई के प्रति सच्चे प्यार को देख सकते हैं, जब बॉलीवुड दुखी प्रेम कहानियों के साथ भरी हुई है तब इन्होंने एक और रोमांटिक फिल्म बनाने का साहस जुटाया। अली भाइयों ने आज के युवाओं के प्रेम जीवन में आने वाली समस्याओं को दर्शाने के लिए कड़ी मेहनत की है जो इस फिल्म को थोड़ा प्रासंगिक बनाता है। यदि आप अपने प्रेमी-प्रेमिका पर से विश्वास खो चुके हैं तो इस फिल्म ‘लैला मजनूं’ को देखकर आप उन पर फिर से विश्वास करना शुरू कर देंगे। फिल्म ‘लैला मजनूं’ एक बार देखने लायक है।

 

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मूवी रिव्यूः लैला मजनू - पारंपरिक प्रेम कथा अब नए अंदाज में
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