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मूवी रिव्यू 102 नॉट आउट

May 5, 2018
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मूवी रिव्यू 102 नॉट आउट

निर्देशकः उमेश शुक्ला

लेखकः सौम्या जोशी

कलाकारः अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, जिमित त्रिवेदी

संगीतः सलीम-सुलेमान, जॉर्ज जोसफ (कम्पोजर)

सिनेमेटोग्राफीः लक्ष्मन उतेकर

संपादकः बुधादित्य बनर्जी

प्रोडक्सन हॉउसः एसपीई फिल्म्स इंडिया, ट्रीटॉप एंटरटेनमेंट

अवधिः 1 घंटा और 41 मिनट

फिल्म कथानक

102 नॉट आउट फिल्म गुजराती प्ले पर आधारित है, इसमें अमिताभ बच्चन ने 102 वर्षीय व्यक्ति, दत्तात्रेय बखारिया की भूमिका निभाई है। दत्तात्रेय बखारिया सोलह साल और जीना चाहता है ताकि वह “सबसे पुराना जीवित आदमी” का विश्व रिकॉर्ड तोड़ सके। दत्तात्रेय बखारिया अपनी जिंदगी बहुत अच्छे तरीके से जीता हैं, जबकि उनका बेटा बाबूलाल (ऋषि कपूर) ठीक इसके विपरीत है, जिसकी जीवनशैली काफी पेचीदा है और जो अपनी सुस्त दिनचर्या में फँसा हुआ है। बाबूलाल केवल 14 मिनट ही स्नान करता है, क्योंकि उसको डर है कि ज्यादा देर स्नान करने से सर्दी लग जाएगी। 102 नॉट आउट की मुख्य कहानी तब शुरू होती है जब दत्तात्रेय अपने बेटे की अजीब दिनचर्या से परेशान होकर घोषणा करता है कि यदि वह अपने रहन-सहन के तरीकों में सुधार नहीं लाएगा, तो वह उसको वृद्धाश्रम भेज देगा। कुल मिलाकर, 102 नॉट आउट की कहानी का उद्देश्य यह है कि किसी को भी अपने आप को कभी बूढ़ा महसूस नहीं करना चाहिए और जीवन की आखिरी सांस तक “मौज से जीवन बिताना” चाहिए।

मूवी रिव्यू

आयु सिर्फ एक संख्या है, सही कहा ना? फिल्म में अमिताभ बच्चन ने अपने उम्दा अभिनय से दर्शकों के ऊपर जादू बिखेरा है और अपने आत्मभाषण (मोनोलॉग्स) से दर्शकों को प्रभावित किया है, लेकिन कभी-कभी सुस्त कथानक की वजह से एक शानदार अभिनेता अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में असमर्थ हो जाता है। 101 मिनट की अवधि के दौरान कहीं भी, आप अवाक नहीं होगें, क्योंकि फिल्म में कोई मोड़ नहीं है। सोबिंग (रोना) ऋषि कपूर आपको और भी निराश कर सकता है। धीरू की भूमिका में जिमित त्रिवेदी हल्की-फुल्की कॉमेडी करते हैं, लेकिन उनकी कॉमेडी फिल्म को मजेदार बनाने में बहुत सफल नहीं हो पाई है। फिल्म से हास्य बहुत जल्दी गायब हो जाता है और मूल कथानक भावनात्मक रूप में स्थापित हो जाता है।

हमारा फैसला

जो लोग दो शानदार दिग्गजों (अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर) को देखकर बड़े हुए हैं, वे निश्चित रूप से इस फिल्म को देखकर निराश हो जाएंगे, अगर आप हमेशा अमिताभ बच्चन के आत्मभाषण (मोनोलॉग) और ऊर्जावान कार्य से प्यार करते हैं, तो इस कथानक का आनंद ले सकते हैं। चूँकि फिल्म कृत्रिम दृश्यों पर बहुत अधिक निर्भर करती है, इसलिए यह उन लोगों को निराश कर सकती है जो उच्च उम्मीदों के साथ सिनेमाघर जाते हैं।

साराँश
समीक्षका – रीका ग्रोवर

समीक्षा की तिथि – 04-05-2018

रिव्यूवर आइटम – मूवी रिव्यू 102 नॉट आउट

लेखिका रेटिंग – ***