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फेक न्यूज : भारतीय समाज को अस्थिर बनाना

July 24, 2018
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फेक न्यूज : भारतीय समाज को अस्थिर बनाना

भारत और पूरा विश्व फेक न्यूज (फर्जी खबरें) जैसी समस्या से जूझ रहा है, जिसने न केवल समाज की बुनियादी नींव को हिला कर रख दिया है बल्कि जनता के बीच भय भी उत्पन्न कर दिया है। पिछले कुछ सालों में, सोशल मीडिया एक जंगल की तरह बन गया है और फेक न्यूज (फर्जी खबरें) इस सोशल मीडिया जैसे जंगल में आग की तरह फैलती जा रही हैं जो बेवजह नुकसान का कारण बनती है। लगभग हर दूसरे दिन फेसबुक पोस्ट या व्हाट्सएप पर एक वायरल मैसेज के माध्यम से खबरें फैलती रहती हैं कि एक भीड़ द्वारा व्यक्तियों पर हमला कर दिया गया या किसी को बेकायदा मार डाला। हाल ही के दिनों में, इन जैसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है और इसी तरह की एक घटना कर्नाटक में देखने को मिली जिसमें गुस्साई भीड़ ने 32 वर्षीय इंजीनियर पर, उसे बच्चा चोर समझ कर, हमला कर दिया, जिसको भीड़ ने एक अपहरणकर्ता की नजरों से देखा और यही वजह रही कि वह भीड़ का शिकार बन गया। ऐसी घटनाएं न केवल समाज को पीड़ा पहुँचाती हैं बल्कि लोगों को डरा भी देती हैं।

फेक न्यूज कर रही है भारतीय समाज को अस्थिर

आज भारत में झूठी खबरें (फेक न्यूज) और सशक्त झूठ से गुमराह करने वाली एक सतर्क भीड़ एकत्रित हो गई है, जो देश में झूठ के माध्यम से नफरतों को फैलाने के लिए हर गली और नुक्कड़ पर इंतजार कर रही हैं। व्हाट्सएप पर बिना जाँच पड़ताल किए हुए मैसेजों को समूह (ग्रुप्स) और व्यक्तियों के बीच आदान-प्रदान किया जाता है। ऐतिहासिक काल से भारतीय समाज अपनी सभी समावेशी प्रकृति, करुणा और सहिष्णुता के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान प्रवृत्ति को देखें तो जैसा दिख रहा है, वह इन सभी चीजों के बिल्कुल विपरीत है जिसने भारत को इतना खास बना दिया है। फेक न्यूज की बढ़ती प्रवृत्ति ने देश के सामाजिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुँचाया है, जहाँ हर समुदाय धर्म या जाति पर आधारित मामलों को लेकर अन्य समुदायों के लोगों के खिलाफ हथियार लेकर खड़े हो जाते हैं।

स्थिति से निपटने में सरकार की विफलता

इन घटनाओं पर दुख प्रकट करने के अलावा, अगर अधिकारियों से इस मामले पर गौर करने के लिए कहा जाए, तो सरकार ज्यादातर ऐसी स्थितियों से निपटने में चुप्पी साधे रहती है, इससे समाज के बीच डर लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक कोई भी सरकार, चाहें वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, इस तरह अधिक संख्या में फैली फेक न्यूज और उसका समाज पर होने वाले प्रभाव के खतरे को रोकने में विफल रही है। पिछले दो महीनों में, देश के कई कोनों से भीड़ में हुए हमलों और उनसे हुई मौतों की 20 घटनाएं सामने आई हैं। इन मौत की घटनाओं से यह पता चलता है कि इन समस्याओं से भारतीय समाज घिरा हुआ है विशेष रूप से देश के सबसे दूर-दराज के स्थान इन घटनाओं में शामिल हैं। बढ़ते अत्याचार और फैलती हुई फेक न्यूज को रोकने के लिए समेकित योजनाओं के साथ आने के बजाय, भारतीय अधिकारियों ने व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को दोषी ठहराया है। सरकार अभी भी इन मुद्दों का समाधान करने के लिए तत्पर नहीं है। भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने संसद से लिंचिंग (जान से मार देने वाली जैसी समस्या) से निपटने के लिए एक अलग कानून बनाने के लिए कहा है, फेक न्यूज के प्रसार के कारण यह एक प्रचलित मुद्दा बन गया है।

फेक न्यूजके खिलाफ व्हाट्सएप की लड़ाई

सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर फेक न्यूज जैसे मुद्दे से निपटने के लिए, व्हाट्सएप ने कई समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया ताकि पाठकों को जानकारी प्रदान की जा सके कि कौन सी खबर सही है या नहीं। भारत में व्हाट्सएप द्वारा प्रदान किए गए ‘आसान सुझाव’ 20 करोड़ (200 मिलियन) से अधिक उपयोगकर्ताओं के लिए फेक न्यूज के खतरे से निपटने के लिए एक आसान मार्ग दर्शिका है। इसने उपयोगकर्ताओं से उन सभी अग्रेषित संदेशों पर भरोसा न करने के लिए कहा जिन्हें वे प्राप्त करते हैं और इसके बजाय उस उद्देश्य को ध्यान से समझें जो संदेश वे देना चाहते हैं। मैसेजिंग ऐप ने उपयोगकर्ताओं से व्हाट्सएप पर साझा किए गए वीडियो या इमेजों पर विश्वास न करने के लिए भी कहा, क्योंकि इन्हें विशिष्ट व्यक्तियों या समाज के खिलाफ उपयोगकर्ताओं के भीतर घृणा उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। उपयोगकर्ताओं को यह समझने की जरूरत है कि इन सांप्रदायिकता और समुदायों को विभाजित करने जैसे बड़े उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इन झूठी खबरों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

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फेक न्यूज: भारतीय समाज को अस्थिर बनाना
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फेक न्यूज तेजी से दुनिया को प्रभावित कर रही है। भारत में फेक न्यूज के आने के परिणाम स्वरूप भीड़ में हुए हमले और हत्या के कई मामले सामने आए हैं। यह भारतीय समाज के मूल आधार को नष्ट कर रही है।
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