Home / Politics / सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए परीक्षण का समय?

सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए परीक्षण का समय?

May 25, 2018
by


सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए परीक्षण का समय?

बिहार और उत्तर प्रदेश के हालिया उपचुनावों के दौरान प्रमुख लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में हारने से लेकर, उत्तर-पूर्वी राज्य विधानसभा चुनावों में विजय प्राप्त करने तक, यह साल भारतीय जनता पार्टी के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा है। बीजेपी ने त्रिपुरा में वाम मोर्चा पार्टी को हराया और मेघालय में मौजूदा कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए गठबंधन की रणनीति अपनाई। हालांकि, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हालिया हार इस साल पार्टी के लिए सबसे बड़ी निराशा थी। कर्नाटक में, भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और सरकार से इस्तीफा देने और राजकाल को जेडी (एस)-कांग्रेस गठबंधन को सौंपने से पहले, बीजेपी ने दो दिन तक सरकार बनाई, क्योंकि पार्टी के पास बहुमत के लिए 8 सीटें कम थी।

अंततः कर्नाटक में सबकुछ साफ होने के लिए, एक हफ्ते का लंबा राजनीतिक नाटक चला, जहाँ पर राज्य में दो मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पद पर 5 दिनों के भीतर शपथ ग्रहण की, जिसमें कर्नाटक के विधायक गायब हो रहे थे और विपक्षी दलों ने अपने विधायकों को होटल के अंदर “कैद” कर रखा था, कर्नाटक चुनाव बॉलीवुड एक्शन-थ्रिलर फिल्म की तरह हो गया था। हालांकि, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों का ध्यान महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और नागालैंड में आगामी लोकसभा उप-चुनावों में बँट गया।

लोकसभा की 4 मूल्यवान सीटों को हाथियाने के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार हैं, क्योंकि इस्तीफे के कारण या सांसदों की असामयिक मौत के कारण इन तीन राज्यों (महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और नागालैंड) में सीटें खाली है। देश भर में इन राज्यों की चुनावी प्रक्रिया आयोजित करने के लिए वर्ष की शुरुआत के बाद भारत में निर्वाचन आयोग लगा दिया गया। इन राज्यों में 3 मई को मतदान कार्यक्रम जारी किया गया था और उप-चुनावों के लिए मतदान 28 मई को पड़ेगें, जबकि वोटों की गिनती 31 मई को निर्धारित की गई है।

महाराष्ट्र गोंदिया-भंडारा और पालघर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनावों का परिणाम पूरा देश देखेगा, गोंदिया-भंडारा सीट से भाजपा सांसद नाना पटोले पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में चले गये थे और दूसरी सीट, पालघर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के चिनतामन वनगा के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण खाली हो गई थी।

इस साल 30 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने के कारण चिनतामन वनगा निधन हो गया था। भगवा पार्टी द्वारा खाली होने वाली दोनों सीटों पर कब्जा करने के लिए बीजेपी सरकार बेताब होगी, जबकि कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ हाथ मिलाया है ताकि वे गोंदिया-भंडारा में बीजेपी हेमंत पटेल को हरा कर सकें, जो परंपरागत रूप से एनसीपी पार्टी के समर्थक रहे हैं।

पालघर निर्वाचन क्षेत्र में, तीन पार्टियों बीजेपी, शिवसेना और चुनाव पूर्व कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच घमासन युद्ध होगा। शिवसेना पार्टी ने पालघर क्षेत्र के मृत सांसद के पुत्र श्रीनिवास वनगा को टिकट दिया है, जिनके परिवार को चिंतमान वनगा की मौत के बाद भाजपा ने अनदेखा कर दिया था, जबकि राजेंद्र गावित कांग्रेस से नाखुश होने के बाद बीजेपी में शामिल हो गये है, जो पालघर सीट पर श्रीनिवास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य, इस बार कैराना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव के एक और दौर के लिए कमर कस चुकी है। गोरखपुर और फूलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव, मार्च के आरंभ में आयोजित किए गए थे, जहाँ सत्तारूढ़ बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि बीएसपी-एसपी गठबंधन ने दोनों सीटों में बीजेपी पर विजय प्राप्त की थी। फरवरी में, भाजपा सांसद हुकुम सिंह का दुर्भाग्यपूर्ण निधन हो गया, जिससे कैराना सीट पिछले तीन महीनों से रिक्त है। कुशल बीजेपी नेता गंभीर श्वास की समस्याओं के कारण एक महीने से अस्पताल में चिकित्सा देखरेख में थे, लेकिन दुर्भाग्यवश 3 फरवरी को हुकम सिंह की मृत्यु हो गई।

कैराना निर्वाचन क्षेत्र में अभी बीजेपी बनाम बाकी है, क्योंकि राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव- मजबूत भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो गये है। बीजेपी ने हाल ही में कैराना सांसद की बेटी मृगंका सिंह को टिकट दिया है, जबकि आरएलडी ने पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की विधवा – तबस्सुम हसन को मैदान में उतारा है, दोनों महिला उम्मीदवार गुर्जर वर्चस्व चुनाव क्षेत्र के कैराना में अपने पिता और पति की विरासत को बरकरार रखने की कोशिश लगी हैं।

नागालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री नेफियू रियो, इस वर्ष 27 फरवरी को नागालैंड राज्य विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ने के लिए अपने पद को छोड़ने का फैसला करने से पहले, अकेले नागालैंड संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य थे। जिस दिन नेफियू रियो ने अपने पद से इस्तीफा दिया उसी दिन से नागालैंड लोकसभा सीट खाली पड़ी हुई है। नागालैंड में राजनीति एक जटिल मामला है, क्योंकि 2003 से एनपीएफ पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन में सत्ताधारी पार्टी थी, लेकिन हाल ही में हुए चुनावों में एनपीएफ पार्टी ने बीजेपी पार्टी के साथ अपने संबंध तोड़ दिया, जबकि आगामी लोकसभा उपचुनाव के लिए एनपीएफ पार्टी नागा पीपुल्स फ्रंट) ने नागालैंड- कांग्रेस में अपने लंबे समय के दुश्मन के साथ गठबंधन कर लिया है। इसलिए एनडीपीपी-बीजेपी पार्टी ने उनको शिकस्त देने के लिए गठबंधन कर लिया हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों की उलटी गिनती पहले से ही शुरू हो चुकी है, भारत के चुनावी इतिहास में सबसे आकर्षक चुनाव में सभी पार्टियाँ अपने शानदार प्रदर्शन की तैयारी कर रही है, क्योंकि इन्हीं पार्टी में से कोई एक पार्टी सरकार बना सकती है। वर्तमान में, लोकसभा में 274 सीटों पर सत्तारूढ़ बीजेपी बहुमत के साथ सुरक्षित है, लेकिन महाराष्ट्र, नागालैंड और उत्तर प्रदेश के आगामी उपचुनाव में पार्टी को हार मिलती है, तो बीजेपी पार्टी का 2014 लोकसभा चुनाव ‘प्रदर्शन को दुबारा भुनाने की आकांक्षा को झटका लग सकता है।

इन उपचुनावों में बीजेपी की दो सीटों पर हारने की संभावना है। विपक्षी दलों की एक जीत, क्षेत्रीय और अन्य राष्ट्रीय दलों के लिए मनोबल बूस्टर के रूप में कार्य करेगी। क्षेत्रीय दलों के लिए, 2019 से पहले बीजेपी के खिलाफ हर जीत लोकसभा चुनाव में उन्हें एक मजबूत और एकजुट तीसरे मोर्चे की उम्मीद देता है जो अगले साल के चुनाव में बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

साराँश
लेख का नाम – सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए परीक्षण का समय?

लेखक – वैभव चक्रवर्ती

विवरण – इन उपचुनावों में बीजेपी की दो सीटों पर हारने की संभावना है। विपक्षी दलों की एक जीत, क्षेत्रीय और अन्य राष्ट्रीय दलों के लिए मनोबल बूस्टर के रूप में कार्य करेगी। क्षेत्रीय दलों के लिए, 2019 से पहले बीजेपी के खिलाफ हर जीत लोकसभा चुनाव में उन्हें एक मजबूत और एकजुट तीसरे मोर्चे की उम्मीद देता है जो अगले साल के चुनाव में बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।