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असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर

August 2, 2018
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असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर

असम के नागरिकों के लिए “राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी)” भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक दस्तावेज है।असम में भारतीय नागरिकों को अलग करने के लिए, भारत की जनगणना के साथ पहली सूची 1951 में जारी की गई थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में असम में बांग्लादेशी और अन्य क्षेत्रीय जनसंख्या का गैर कानूनी ढंग से स्थानांतरण (प्रवास) हुआ है, जिसने राज्य में हिंसक जातीय संघर्षों को जन्म दिया है। इस कारण कई वर्षों से असम के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है। भारत-बांग्लादेश की छिद्रयुक्त सीमा के माध्यम से असम में अधिक से अधिक घुसपैठ करने वाले अवैध अप्रवासियों की समस्या के चलते सरकार ने 2014 में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को तैयार करने का फैसला किया था।

यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और नवीनतम बदलाव हुआ है जो निम्नलिखित हैं:

  • असम में पहला “नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर” (एनसीआर) सूची का गठन 1951 में किया गया था। स्वतंत्रता के बाद भारत की पहली जनगणना आयोजित की गई थी जिसमें असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सूचीबद्ध किया गया था और अवैध अप्रवासी, जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान से भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी, को सूची से बाहर किया था।
  • 2013 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को एनआरसी को अपडेट करने का आदेश दिया। सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य चिंता का विषय 1985 के असम समझौते के अनुसार, नागरिकता अधिनियम1955 के आधार पर, बांग्लादेश के पड़ोसी देश और अन्य क्षेत्रों से बढ़ते अवैध अप्रवासियों के मुद्दे को हल करना था।
  • 2014 में, असम सरकार के साथ भारत सरकार ने 1971 के बाद असम राज्य की सीमा पार कर चुके अवैध अप्रवासियों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन 1971 या 1951 से पहले उनके या उनके पूर्वज किसी भी आधिकारिक पहचान के दस्तावेज के स्वामित्व नहीं हैं।
  • यह प्रक्रिया 2016 तक चली, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के पहले मसौदे के साथ 1 जनवरी 2018 को जारी की गई जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से केवल 1.9 करोड़ व्यक्तियों के नाम राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल थे।
  • 30 जुलाई 2018 को एनआरसी का अंतिम मसौदा करीब 1 करोड़ नाम के साथ जारी किया गया था, जिसमें 40.07 लाख आवेदकों को छोड़कर, कुल मिलाकर 2.89 करोड़ नाम शामिल थे।
  • अंतिम एनआरसी मसौदे (ड्राफ्ट) की सूची में एक व्यक्ति को अपना नाम शामिल करने के लिए, आवेदकों को 24 मार्च 1971 को मध्यरात्रि तक चुनावी तालिका या 1951 एनआरसी डेटा की लीगेसी डेटा एनआरसी सामूहिक सूची में उल्लिखित उनके पूर्वजों के नाम का प्रमाण प्रस्तुत करना पड़ा। यदि मामले में, उसके पूर्वजों के नाम का उल्लेख किया गया है तो व्यक्ति को संबंध का प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
  • एनआरसी के अद्यतन करने की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई थी और अगस्त 2015 तक जारी रही थी। 3.29 करोड़ आवेदकों के साथ कुल 68.31 लाख आवेदन फार्म भरे गए थे। सरकारी अधिकारियों और स्वयं सेवकों को घर-घर जाकर क्षेत्र सत्यापन (फील्ड वैरीफिकेशन) करने का कार्य दिया गया था।
  • दस्तावेजों की प्रामाणिकता अधिकारियों द्वारा निर्धारित की गई थी, जबकि आवेदकों के पारिवारिक वंश की जांच किसी भी झूठे दावे को सामने लाने के लिए हुई थी और विवाहित महिलाओं के लिए अलग प्रक्रिया का अनुसरण किया गया था।
  • असम की एनआरसी सूची में कुल 40.07 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं, जबकि कुछ 2.48 लाख आवेदक संदिग्ध मतदाता (डी-मतदाता) में है, जिनके वंशज और आवेदकों के विदेशी न्यायाधिकरण में मामले लंबित हैं, क्योंकि वे वैध दस्तावेजों के माध्यम से नागरिकता साबित करने में असमर्थ थे।
  • सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ अंतिम मसौदा है, अंतिम सूची नहीं है। जिन आवेदकों का नाम असम के नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) में शामिल नही हैं, सरकार द्वारा उल्लिखित वैध पहचान प्रमाण के साथ आपत्ति और फाइल का दावा कर सकते है और उनकी याचिका की सुनवाई 30 अगस्त को है। हालांकि, जिन लोगों ने 2015 में आवेदन प्रस्तुत किया था केवल उनके मामलों पर विचार किया जाएगा।

 

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असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर
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भारत सरकार और असम सरकार ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के अद्यतन के लिए अंतिम मसौदे को जारी कर दिया है। बांग्लादेश से भारत घुसपैठ करने वाले अवैध आप्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए सूची तैयार की गई है।
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