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गौ-रक्षा: क्या हम धर्म के नाम पर हत्यारे बन रहे हैं?

ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, वर्ष 2015 के बाद से गौ-रक्षा हिंसा में वृद्धि हुई है। गौरक्षा के नाम पर एक व्यक्ति द्वारा हर महीने कम से कम एक गाय को मारने की खबर मिलती ही रहती है जबकि हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद भी नियमित रूप से इन गैर कानूनी ढंग से प्राणदंड के मामलों की निंदा करते हुए ऐसा लगता है कि इन [...]

हमारे दुग्ध उद्योगों में पशुओं के प्रति क्रूरता

दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने की सामर्थ्यता ही मानव जाति का सबसे महान गुण माना जाता है। आखिरकार, यही वह है जो हमें मानवीय बनाता है। जैसा कि हमने ‘सभ्यता‘ की ओर ज्यादा से ज्यादा प्रगति कर ली है, पर यह हमारी मानवता ही है जो आहिस्ता-आहिस्ता हमसे दूर होती जा रही है। यह वाद-विवाद समाजवाद बनाम पूंजीवाद पर नहीं है, बल्कि यह केवल एक विवेचना है, जिसमें हम बहुत ही आसानी और सरलता से [...]

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भीड़तंत्र और हत्या (लिंचिंग)-भारत में नया मानदंड?

जुलाई में एक अच्छे दिन पर, 32 वर्षीय मोहम्मद आजम अहमद सामाजिक समारोह में भाग लेने के लिए कर्नाटक के हैंडिकेरा गाँव जा रहे थे। मोहम्मद आज़म, गूगल के एक इंजीनियर थे और हैदराबाद में कंपनी के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। वह अपने दोस्त मोहम्मद सलमान, नूर मोहम्मद और कतर देश के सलहम ईसाल कुबासी के साथ थे। दोस्तों का समूह एक कप चाय और शाम के नाश्ते के लिए रूका। वही [...]

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