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सुप्रीम कोर्ट का फैसलाः कार्यान्वयन की कमी या दोषपूर्ण मानसिकता?

कोई भी स्थित हो फिर भी ऐसा नहीं है और न हो सकता है कि हम कानून और न्यायपालिका का सम्मान न करें। अदालतों का उल्लंघन करना अस्वीकार्य है, आलोचना की अनुमति है लेकिन उल्लंघन की नहीं। यह हमारे लोकतंत्र के आधार को हिलाकर रख देता है। –रियूवेन रिवलिन रिवलिन ने इस बात का जिक्र इज़राइल को अपने जहन में रखते हुए किया होगा, लेकिन यह भारतीय परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण है। 28 जनवरी 1950 [...]

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दिवाली 2018

देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में से एक अकेले भारत में ही नौ सबसे प्रदूषित शहर हैं, जो बहुत ही दुख की बात है। यह और भी बदतर हो जाता है जब पता चलता है कि अपना ही देश सबसे अधिक प्रदूषित है। हम काफी लंबे समय से प्रदूषित वायु में ही सांस लेते आ रहे हैं जो कि अब हमारी आदत सी बनती जा रही है। वायु की गुणवत्ता कम होने पर भी [...]

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आधार कार्ड पर महत्वपूर्ण फैसला

आधार पहचान से जुड़े गोपनीयता के मुद्दों पर महीनों से चल रही बहसबाजी पर विराम लगाते हुए आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया। भारतीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय खंडपीठ ने आधार पहचान को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुए, दस्तावेज के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 33 (2), 47 और 57 को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय 10 मई को याचिका [...]

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क्या मृत्यु दण्ड समाप्त होना चाहिए?

सरकारी सूत्र बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद से भारत में 52 लोगों को मृत्यु दण्ड दिया गया है।हालांकि, एक भारतीय मानवाधिकार संगठन,पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज का दावा है कि यह संख्याएं बहुत अधिक हैं।उनके शोध के अनुसार दशक 1953-63 में 1422 मृत्यु दण्ड दिए गए हैं। 30 जुलाई 2015 को भारत मेंअंतिम मृत्यु दण्ड याकूब मेमन को दिया गया था।1993 के मुम्बई बम विस्फोट में उसकी भूमिका के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया [...]

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धारा 377- विक्टोरियन नीति पर आधारित एक सख्त कानून

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को अध्याय XVI के भीतर रखते हुए 1861 में ब्रिटिश शासन के तहत तैयार किया गया था। इस कानून में समलैंगिकता समेत “आर्डर ऑफ़ दि नेचर” के खिलाफ किसी भी यौन गतिविधि को, जो विक्टोरियन आदेश में निषिद्ध थी, अपराध की श्रेणी में रखा गया था। भारत, सांस्कृतिक रूप से एक प्रगतिशील देश रहा है, जहां खजुराहो के मंदिरों का चित्र लेखन और महाभारत में शिखंडी के चरित्र ने [...]

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समलैंगिकता अपराध है या नहीं?

उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई जारी की है। सुनवाई के दूसरे दिन केंद्र ने धारा 377 के तहत गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डालते हुए इस मामले पर अनुरोध करते हुए कहा है, कि समलैंगिकता अपराध है या नहीं इस बात का फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगी। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ कर रही है। पीठ के पांच जजों में [...]

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उस लोकप्रिय टीवी विज्ञापन को याद करिये जब पुलिस एक कार को रोकती है और कार का मालिक बिना किसी दस्तावेज या सत्यापन के ऑनलाइन बीमा करवा लेता है। खैर, अब वो दिन बीत सकते हैं। पिछले हफ्ते, 10 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की जो 1980 के दशक में पर्यावरणविद् एम.सी. मेहता द्वारा पुनः दर्ज कराई गई थी, इसमें भारत में प्रदूषण की रोकथाम तथा [...]



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