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सुप्रीम कोर्ट का आदेश – ऑटो इंश्योरेंस के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य

September 14, 2017


सुप्रीम कोर्ट का आदेश, ऑटो इंश्योरेंस के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य

उस लोकप्रिय टीवी विज्ञापन को याद करिये जब पुलिस एक कार को रोकती है और कार का मालिक बिना किसी दस्तावेज या सत्यापन के ऑनलाइन बीमा करवा लेता है। खैर, अब वो दिन बीत सकते हैं। पिछले हफ्ते, 10 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की जो 1980 के दशक में पर्यावरणविद् एम.सी. मेहता द्वारा पुनः दर्ज कराई गई थी, इसमें भारत में प्रदूषण की रोकथाम तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए कई निर्देश जारी किए गए थे। इसमें बीमा कंपनियों के लिए एक मुख्य निर्देश दिया गया था, इनको कहा गया था कि वह भारतीय सड़कों पर चलने वाले किसी भी वाहन का वैध पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) के बिना इंश्योरेंस रिव्यू (बीमा नवीनीकरण) न करें। पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) प्रदूषण या उत्सर्जन जाँच प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया एक नोट (लेख) होता है। वर्तमान में, एक वैध पीयूसी सर्टिफिकेट हर उस भारतीय के लिए अनिवार्य है जो किसी कार या वाहन का मालिक है और उनका उपयोग करता है। हालांकि अनिवार्य होने के कारण, किसी भी रूटीन चेकिंग या किसी भी संदेह के कारण वाहन चालक को रोके जाने पर ट्रैफिक पुलिस के द्वारा इस सर्टिफिकेट (पीयूसी) की जाँच की जाती है। दूसरी ओर, वाहन बीमा भी इन चेकिंगों में नियमित रूप से चेक किये जाने वाले दस्तावेजों में से एक है। सुप्रीम कोर्ट ने वाहन बीमा के लिए एक वैध पीयूसी को अनिवार्य करके इन दोनों को एक साथ जोड़ने की कोशिश की है, इसको पहले से ही अभ्यास में होना चाहिए था।

पर्यावरणविदों ने किया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए इस निर्देश की विज्ञान और पर्यावरण केन्द्र ने बहुत सराहना की है। केन्द्र ने यह भी कहा है कि, “दिल्ली में केवल 23 प्रतिशत वाहनों का ही पीयूसी चेक किया जाता है। वार्षिक वाहन बीमा के साथ वैध पीयूसी सर्टिफिकेट जोड़ने की अनिवार्यता से इसके अनुपालन में काफी सुधार हो सकता है – खासकर जब सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू करने का निर्देश दिया है।” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि राष्ट्रीय राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों पर स्थित पीयूसी केन्द्र सही से काम कर रहे हैं और एक वैध पीयूसी सर्टिफिकेट  प्राप्त करने में वाहन मालिकों को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 4 सप्ताह का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट की (न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता वाली) दो सदस्यीय बेंच ने कहा है कि दिल्ली और एनसीआर में कई पेट्रोल पंपों पर पीयूसी केन्द्र स्थित नहीं हैं। मंत्रालय को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि अब इस प्रकार के कार्य फिर से न हों।

ईपीसीए की सिफारिशों पर कुछ और

सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा दिये गये कुछ सुझावों पर भी विचार किया है। ईपीसीए ने यह भी प्रस्तुत किया है कि जहाँ पर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किये गए हैं, वहाँ पर पीयूसी केन्द्रों को स्वयं पर संदेह था। इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि मौजूदा सभी पीयूसी केन्द्रों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना चाहिए और पर्यावरण के हित में दिये गए दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना चाहिए। प्राधिकरण ने वाहनों की पीयूसी की वैधता की जाँच करने के लिए मोबाइल केंद्रों के संचालन की भी सिफारिश की थी। पीयूसी केन्द्रो में स्थित मशीनों को पुनः जाँच (सुधार, नवीनीकरण) की आवश्यकता है और उनको प्रदूषण मानदंडों के साथ अपग्रेड नहीं किया गया है। ईपीसीए ने यह भी सिफारिश की है कि पीयूसी के मानकों के गैर-अनुपालन और अनाचार (भष्टाचार) के लिए सजा और जुर्माने को शामिल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इन सिफारिशों को वैध मानकर स्वीकार कर लिया है, उम्मीद की जा रही है कि हम जल्द ही आने वाले दिनों में पर्यावरण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के कुछ नए मानदंडों को देख सकते हैं।