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मदिकेरी: कूर्ग का दिल

April 25, 2018
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मदिकेरी: कूर्ग का दिल

कोडगु, दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। मुख्यतः कूर्ग के नाम से विख्यात, यह क्षेत्र कर्नाटक का एक प्रभावशाली आकर्षण है। मदिकेरी (जिसे कभी-कभी मर्करा भी कहा जाता है) इस क्षेत्र की राजधानी है और कावेरी नदी का उद्गम स्थल है, जो दक्षिण भारतीय सभ्यता की आत्मा है। दक्षिण भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र होने के साथ ही, विशेष रूप से मदिकेरी निरन्तर चलने वाली सौंदर्ययुक्त ठंडी हवाओं के कारण प्रसिद्ध है, पश्चिमी घाटों के साथ यहाँ भी पर्यटक लोग हरियाली खोजने आते हैं। अरेबियन सागर की मनमोहक सुंदरता के कारण, कूर्ग की यात्रा उन लोगों के लिए एकदम सटीक सिद्ध होगी, जो व्यस्त शहरी जीवनशैली से ऊब चुके हैं और खुशनुमा समय की तलाश कर रहे हैं।

बीहड़ घने वर्षावन, दूर तक फैली हुई हरियाली, काली मिर्च और इलायची की मीठी सुगंध, कॉफी से लदे हुए बागान और ठंडे पहाड़ी इलाकों से युक्त कूर्ग वास्तव में दक्षिण भारत का रहस्यमय गहना है। कूर्ग की कठोर निस्तब्धता इसकी रंगीन और ज्वलंत संस्कृति, शानदार प्राकृतिक सौंदर्य और मानव प्रयास से ही दूर की जा सकती है।

पिछले कुछ वर्षों से अत्यधिक पर्यटकों के आगमन के बावजूद भी कूर्ग काफी हद तक प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ है। इस क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य और दृष्टिकोण मनमोहक है। कूर्ग को ‘भारत का स्कॉटलैंड’ कहना अनुचित नहीं होगा।

मदिकेरी कैसे पहुँचे?

सड़क मार्ग द्वारा – अन्य दक्षिण भारतीय शहरों की तरह मदिकेरी भी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ के विभिन्न बड़े शहरों जैसे बेंगलुरु, मैसूर कसान, कासरगोड, कान्हागढ़, कन्नूर और थालास्सेरी जैसे महत्वपूर्ण केंद्रों से राज्य परिवहन की बसें और व्यक्तिगत वाहन मदिकेरी के लिए यातायात का साधन हैं।

रेल मार्ग द्वारा – मदिकेरी में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। मैसूर रेलवे स्टेशन यहाँ से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से कासरगोड रेलवे स्टेशन 106 किलोमीटर दूर है और कन्न्नौर रेलवे स्टेशन लगभग 110 किलोमीटर दूर है।   कुछ अन्य महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन भी हैं, जो पर्यटकों के लिए कूर्ग आने जाने का माध्यम हैं।

हवाई मार्ग द्वारा – मैंगलोर एयरपोर्ट (मदिकेरी से 136 किलोमीटर दूरी पर), बेंगलुरु केम्पेगोडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (मदिकेरी से 256 किलोमीटर दूर) और कालीकट एयरपोर्ट (180 किलोमीटर दूर) आदि कुछ निकटतम अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय हवाईअड्डे हैं।

टहलने योग्य स्थल

मदिकेरी किला– वास्तविक मदिकेरी किला 17 वीं शताब्दी में बनवाया गया था। टीपू सुल्तान ने इस स्थल पर एक दूसरा किला बनवाया और इसका नाम बदलकर जाफराबाद कर दिया। बाद में, सन 1812 से 1814 तक लिंगराजेंद्र वाडियार द्वितीय द्वारा संरचनाओं को संकलित करने का कार्य किया गया। फिर यह किला ब्रिटिशों के हाथ लग गया जिन्होंने इसमें एक क्लाक टॉवर बनवाया। यह इस क्षेत्र की एक ऐतिहासिक विरासत है और अब इसकी देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा की जाती है। अगर आप वहाँ जाएं तो किले में स्थित संग्रहालय में भ्रमण करना न भूलें।

अब्बी जलप्रपात– मदिकेरी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत अब्बी जलप्रपात है, जहां पहाड़ी धाराएं कावेरी नदी में शामिल होने के लिए जंगली धार में मिलती हैं। झरने की सुंदरता का आनंद हैंगिंग ब्रिज से लिया जा सकता है, जो पर्वत के बीच के संकरे मार्ग के ऊपर बना है। सर्दियों में हल्की बारिश वाला मौसम इस झरने को देखने के लिए सबसे अच्छा समय है।

ओंकारेश्वर मंदिर – यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा मदिकेरी शहर के ठीक बीच में स्थित है और इसे राजा लिंगराजेंद्र वाडियार द्वितीय ने 1820 में बनवाया था। माना जाता है कि यहाँ पर शिव की स्थापना करने से राजा शाप से मुक्त हो गए थे, मंदिर अब भी प्रार्थना और धार्मिक क्रियाओं का स्थल है।

राजा की गद्दी – राजा की गद्दी देखने योग्य है जो बीहड़  परिदृश्य और हरे रंग की घाटियों का शानदार दृश्य प्रस्तुत करती है। मैसूर के दूर तक फैले हुए धान के खेत और लंबी घुमावदार सड़क एक याद रखने योग्य खूबसूरती प्रस्तुत करते हैं।

कावेरी निसर्गधाम – दक्षिण भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक कावेरी का उद्गम स्थल मदिकेरी से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इसे तलकावेरी के नाम से जाना जाता है, यह स्थानीय लोगों द्वारा एक पवित्र स्थान माना जाता है। मदिकेरी से तालकावेरी का मार्ग सुंदर दृश्यों से युक्त बेहद खूबसूरत है।

गद्दी या राजा के मकबरे – गद्दी वे शाही कब्रें हैं जिन्हें इस क्षेत्र के कोडावा शासकों के नश्वर अवशेषों को संजोकर रखने के लिए बनाया गया है। इन मकबरों में हिंदू और इस्लामी वास्तुकला शैली का अद्वितीय मिश्रण है। ये मकबरे राजा डोडवीरराजेंद्र, राजा लिंगराजेंद्र और राजा वीरराजेंद्र के गुरु के हैं।

मदिकेरी की यात्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

कूर्ग का ठंडा वातावरण मार्च और मई के बीच तपती गर्मी वाले महीनों में एक बहुत ही आकर्षक गंतव्य वाला होता है। हालांकि, इस शुष्क मौसम में धाराएं सूख जाती हैं और कावेरी की सुंदरता भी नहीं रहती है। मानसून का मौसम जून और नवंबर के बीच रहता है और इस समय इस क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा होती रहती है। सर्दी का मौसम कूर्ग और मदिकेरी की यात्रा के लिए सबसे अच्छा होता है। दिसंबर से लेकर फरवरी तक हल्की बारिश और ठंडी हवाओं की उम्मीद रहती है। इस समय मदिकेरी का भ्रमण आनंददायक होता है।

क्या खरीदें?

सबसे उत्तम कॉफी जो कि यहां उगायी और साफ की जाती है, इसे लाना कभी न भूलें। यहाँ पर सुगन्धित मसालों का उत्पादन किया जाता है और यहाँ की स्थानीय शराब स्वादिष्ट होती है। यहाँ के स्वदेशी व्यंजन दक्षिण भारत के बाकी हिस्सों की अपेक्षा बहुत ही भिन्न और अधिक लाजवाब होते हैं।

मेले और त्यौहार

कर्नाटक के बाकी हिस्सों की तरह, कूर्ग में भी दशहरा त्यौहार बहुत अधिक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। देवी की पूजा वाले त्यौहार नवरात्रि में यहाँ कई मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

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