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सागरमाला परियोजना द्वारा तटीय बंदरगाहों और शहरों के विकास के लिए मोदी की एक प्रेरणा

May 7, 2017


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25 मार्च, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सागरमाला परियोजना के साथ आगे बढ़ने की अवधारणा और संस्थागत रूपरेखा तैयार करने के लिए अंतिम मंजूरी दे दी है। यह भारत में महत्वपूर्ण विकास की उन्नति की एक कहानी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के सपने को साकार करते हुये मोदी ने परियोजना को आगे बढ़ाते हुए सही तरह से एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की पहल के रूप में सागरमाला परियोजना की पहचान की है। जिनके विकास से भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 2% तक बढ़ाया जा सकता है।

भारत के लिए सागरमाला परियोजना इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

भारत तीन तरफ समुद्र से घिरा हुआ है जिसकी 7,516.6 कि.मी. लम्बी तट रेखा है, जिससे यह दुनिया में 7वीं सबसे बड़ी समुद्री तट रेखा है। इसलिए, यह स्वाभाविक है कि भारतीय बंदरगाह आयात-निर्यात व्यापार की 90% मात्रा का संचालन करता है। लेकिन यह पूरी कहानी नहीं बताता है, रेलवे का सकल घरेलू उत्पाद में 9% योगदान है, सड़क क्षेत्र का योगदान 6% है, जबकि बंदरगाहों का सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा केवल 1% है। यह विरोधाभास तटीय शहरों और बंदरगाहों के विकास की विशाल क्षमता को दर्शाता है।

भारत खराब बंदरगाहों से जूझ रहा है, इन बाउंड या आउट बाउंड माल के मूल्य में वृद्धि के लिए मौजूदा बंदरगाहों में बुनियादी ढाँचे के प्रदर्शन और बंदरगाहों के भीतर विकसित बुनियादी ढाँचे का अभाव हैं। इसके साथ-साथ, असुरक्षित अंतर-मॉडल परिवहन संयोजकता परिणाम रसद का निर्यात उच्च लागत में होता है। जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद में माल व्यापार का हिस्सा 75% है, और यूरोपीय संघ में यह हिस्सा 70% है, जबकि भारत में यह 42% ही है। सागरमाला परियोजना का लक्ष्य इसमें सुधार करना है।

इसलिए मौजूदा सरकार ने नए बंदरगाहों के विकास के साथ-साथ विकास के चालकों के रूप में तटीय शहरों के विकास को प्राथमिकता दी है।

सागरमाला परियोजना केन्द्र-बिंदु के तीन स्तंभों पर खड़ी है।

  • समर्थित नीतिगत पहलों के साथ पोर्ट-लेड के विकास में सहयोग देना और सभी हितधारकों की सहायता के लिए संस्थागत रूपरेखा प्रदान करना।
  • पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिकीकरण।
  • तट के किनारे तक पहुंचने के लिए एकीकृत परिवहन और बुनियादी ढाँचे का विकास करना।

वर्तमान संरचना परिदृश्य

दुर्भाग्य से, देश ने तटीय बंदरगाहों के बुनियादी ढाँचे को एक एकीकृत तरीके से विकसित करने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया है जिससे अपने बंदरगाहों की पूर्ण क्षमता को महसूस किया जाये। आज, ज्यादातर बंदरगाहों में पर्याप्त कार्गो हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। चीन, जापान, कोरिया, दुबई, नीदरलैंड्स आदि के विकसित बंदरगाहों में जहाजों का कम समय खराब होता है। हमारे यहां लोडिंग-अनलोडिंग प्रक्रियाएं बोझिल हैं| दूरदराज के लिए रेल तथा सड़क संपर्क अपर्याप्त है। बंदरगाहों के पास औद्योगिक केंद्र होने चाहिए, जोकि मूल्यवर्धन की पेशकश भी कर सकते हैं।

सागरमाला परियोजना में बंदरगाहों का एकीकृत विकास

परियोजना के अंतर्गत, 12 स्मार्ट शहरों को बंदरगाह के समीप 50,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ विकसित किया जाएगा। ये एकीकृत टाउनशिप होंगे, जिसमे किफायती और टिकाऊ आवास होंगे और रहने के लिए हरियाली की पहल को लागू किया जाएगा। सरकार ने 189 प्रकाश घरों के साथ 1,208 द्वीपों की पहचान की है। इससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।

तटीय स्थानों के पास आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये, तटीय आर्थिक क्षेत्र (सीईजेड) की स्थापना की जाएगी। तटीय आर्थिक क्षेत्र को आधुनिक समर्थन, बुनियादी ढाँचे और निवेश को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त राजकोषीय प्रोत्साहन के साथ योजना बनाई जाएगी। उदाहरण के तौर पर गुजरात में कांडला बंदरगाह में करीब दो लाख एकड़ जमीन है और इसे संभावित सीईजेड के रूप में पहचाना गया है।

यह परियोजना में बंदरगाह हैंडलिंग उपकरण में उन्नयन के माध्यम से मौजूदा बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के पुनर्विकास का काम करेगा और बंदरगाह गतिविधि की निगरानी और संचालन में सुधार के लिए आईटी का व्यापक उपयोग करेगा। भारत में 12 प्रमुख बंदरगाहों में से एक जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को इस एसईजेड के विकास के लिए 4,000 करोड़ रुपये मिलेगें।

यह परियोजना शिपिंग और पोर्ट हैंडलिंग की क्षमता बढ़ाने के लिए गहरी ड्राफ्ट के साथ उपयुक्त पोर्ट स्थान की पहचान करेगा। कोयला, ऊर्जा, रसायन, वस्तुओं आदि को संभालने पर ध्यान केंद्रित करने वाले विशेष बंदरगाहों को विकसित किया जाएगा।

लघु समुद्री नौवहन, तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों के परिवहन के विकास और उनको जोड़ने पर ध्यान दिया जाएगा। जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और जहाज रीसाइक्लिंग उद्योग के भी विकास की प्राथमिकता होगी। अप तटीय ड्रिलिंग और भंडारण प्लेटफार्मों का उन्नत विकास परियोजना का एक और उद्देश्य है। यहाँ बंदरगाहों की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए तटीय स्थानों के पास रसद पार्क और गोदामों का विकास करना है।

अपने लंबे समुद्र तट के साथ, भारत अपतटीय अक्षय ऊर्जा के विकास के लिए महान क्षमता प्रदान करता है और सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए प्राथमिकता प्रदान की है। उत्पन्न ऊर्जा तटीय गतिविधियों को चलाती है और राष्ट्रीय ग्रिड में भी योगदान करती है।

सरकार का व्यापारिक उद्देश्य

सरकार नें छह महीनों में एक व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) तैयार करने की योजना बनाई है। सीईजेड के रूप में विकसित करने के लिए एनपीपी तट के साथ उपयुक्त भौगोलिक स्थानों की पहचान करेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास, अंतर्देशीय जलमार्ग, स्मार्ट शहरों, एसईजेड, औद्योगिक गलियारों और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर जैसे विभिन्न सरकारी विकास केन्द्रों की पहल के साथ एनपीपी एसईजेड को सहयोग और एकीकृत करने का प्रयास करेगा।

सागरमाला समन्वय और संचालन समिति

सर्वोच्च स्तर पर सागरमला परियोजना की योजना का आरंभ, और निगरानी करने के लिए, एक सागरमाला समन्वय और संचालन समिति (एससीएससी) को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित किया जाएगा। नौवहन, सड़क परिवहन मंत्रालय के बोर्ड सचिव राजमार्ग, औद्योगिक नीति और संवर्धन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, राजस्व, व्यय, रक्षा, गृह मामलों के अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और नीती कार्यक्रम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एससीएससी फंड की उपलब्धता सुनिश्चित करेगें और केंद्र सरकार और राज्य सरकारें और एजेंसियों के विभिन्न मामलें के बीच उच्च समन्वय की निगरानी करेगी।

संघीय ढाँचे के तहत, राज्यों को अपने संबंधित क्षेत्रों में विकास और कार्यान्वयन में एक प्रमुख भूमिका निभानी होगी। प्रत्येक हित धारक राज्य में एक राज्य सागरमाला समिति (एसएससी) होगी जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री या बंदरगाहों के प्रभारी मंत्री करेंगे। पैनल में संबंधित विभागों और एजेंसियों के सदस्य होंगे। राज्य मैरीटाइम बोर्ड या राज्य पोर्ट डेवलपमेंट एसएससी को रिपोर्ट करेगा और राज्य में परियोजनाओं की निगरानी और क्रियान्वित करेगा। सीईजेड और बंदरगाह विकास गतिविधियों में निवेश की सुविधा के लिए, सरकार विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) की स्थापना के लिए तैयार है। एसएससी व्यक्तिगत परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एसपीवी के साथ समन्वय करेगी।

केंद्र सरकार ने कंपनी अधिनियम 1956 के तहत सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी (एसडीसी) की स्थापना करने का प्रस्ताव किया है, जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय एसपीवी को न्यायसम्य समर्थन का विस्तार करेगा। एसडीसी को दो वर्ष की अवधि के भीतर विभिन्न प्रस्तावित क्षेत्रों के लिए विस्तृत मास्टर प्लान तैयार करने और छह माह के भीतर एक व्यवसाय योजना प्रस्तुत करने के लिए अनिवार्य किया जाएगा।

प्रारंभिक चरण की शुरूआत करने के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-2016 के लिए 692 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

सागरमाला परियोजना एनडीए सरकार के ताज में एक रत्न की तरह उभर सकती है

एनडीए सरकार के पास भारत की तटीय क्षमता को विकसित करने का अवसर है, जबकि अटल बिहारी बाजपेयी ने इसका सपना देखा था, इसके प्रक्षेपण और कार्यान्वयन का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया जायेगा। यदि यह सफलता पूर्वक कार्यान्वित किया गया है, तो यह अगले आम चुनाव के समय प्रधानमंत्री के पास बताने के लिए एक और सफलता की कहानी होगी।

हाल ही में हुए विकास

राष्ट्रीय सागरमाला सर्वोच्च समिति (एनएसएसी) की पहली बैठक 5 अक्टूबर 2015 को आयोजित हुई थी जिसमें केंद्रीय नौ-परिवहन एवं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी उपस्थित रहे। बैठक के बाद यह घोषणा की गयी थी कि परियोजना में कुल निवेश का अनुमान लगाया जाएगा। आने वाले वर्षों में 70,000 करोड़ निवेश का अधिकांश हिस्सा सरकार द्वारा लगाया जाएगा, जबकि कुछ परियोजनाएं (पीपीपी सरकारी-निजी कंपनी भागीदारी) प्रणाली में होंगी। सरकार चालू वित्त वर्ष में 14,225 करोड़ रुपए की लागत से 30 साल का विकास करने की योजना बना रही है। बैठक में भाग एनएसएसी के सदस्य अरविंद पमगरिया, नीति आयोग के उपाध्यक्ष; आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, एन चंद्र बाबू नायडू, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कई अन्य लोग मौजूद रहे।