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बजट 2019 – आम जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा?

February 4, 2019


बजट 2019

1 फरवरी 2019 को भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2019-20 को कई मायनों में एक अंतरिम बजट कहा जा सकता है जो कि सही मयाने में बहुत महत्वपूर्ण है। इस संबंध में जो बजट पहले पेश किया गया था वह इस से काफी अलग था और वैसे भी भारत को कर सुधारों की राह देखने की कोई जरूरत नहीं है। प्रत्यक्ष करों की बात करें तो, एफएम (वित्त मंत्रालय) ने मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत राहत दी है। साथ ही इसने सामान्य रूप से किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों से निपटने का प्रयास किया है।

यह बजट लीक से दूर हटकर मध्यम वर्ग तथा वेतनभोगी करदाताओं में सुधार प्रदान किया है जिसका लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।

मध्यम वर्ग के लिए कर लाभ

मध्यम वर्ग के करदाता इस बजट के बारे में शिकायत नहीं कर सकते क्योंकि इस बजट ने कई भत्तों द्वारा इनकी जेबें भर दी हैं। इनमें से सबसे अधिक चर्चा 12,500 रूपये की कर छूट है जो उन लोगों के लिए पेश की गई है जिनकी आय 500,000 रुपये या उससे कम है। यह एक ऐसा बदलाव है जो सरकार के साथ-साथ करदाताओं को भी लाभ पहुँचाता है। यह सुनिश्चित करता है कि करदाताओं का एक बड़ा वर्ग आश्चर्यचकित और खुश है।

बजट यह भी सुनिश्चित करता है कि करों में छूट के कारण सरकार द्वारा बहुत अधिक राजस्व का नुकसान नहीं हुआ है।

मध्यम वर्ग के करदाताओं को अन्य कर भत्तों की एक पूरी मेजबानी का भी आनंद मिला है। वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए मानक कर कटौती 40,000 रूपये से 50,000 रूपये तक बढ़ा दी गई है। इस वर्ग में वही लोग आते हैं जो 2018 में घोषित किए गए मानक करों में कटौती के लिए बेहतर दर चाहते थे। इस प्रकार यह उम्मीद की जाती है कि वे इसे अत्यधिक पसंद करेंगे।

जो लोग निवेश करने के बजाय बचत करना पसंद करते हैं उन्हें इस बजट से भी बहुत लाभ हुआ है। बैंकों, सहकारी समितियों और डाकघरों में टीडीएस (स्रोत पर घटाए गए करों) की मूल सीमा 10,000 रूपये से 40,000 रूपये तक बढ़ा दी गई है। यह एक ऐसी चीज है जो वास्तविक चिंता का समाधान करती है कि इस तरह के बहुत से करदाता , इस मामले में निवेश करके बचत करना पसंद करते हैं। ग्रेच्युटी की सीमा भी दोगुनी कर दी गई है – 1 लाख रूपये से 2 लाख रूपये तक। यह एक ऐसा निर्णय है जो वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए भी बड़े मूल्य का होना चाहिए।

दोहरे इरादे के साथ कर सुधार

यहाँ कुछ कर सुधार हैं जो सरकार को एक निशाने के साथ दो लक्ष्य हासिल करने में मदद करेंगे। वे करदाताओं की मदद करेंगे और साथ ही साथ रियल एस्टेट क्षेत्र को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। इस संदर्भ में यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह क्षेत्र बहुत अच्छा नहीं कर रहा है। इसका मतलब यह भी है कि रियल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से कुछ ऐसे तवज्जो की चाहत रखता था। उम्मीद की जाती है कि इस संबंध में किए गए संशोधनों से इस क्षेत्र को कुछ आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने में मदद मिलेगी। हालाँकि, औद्योगिक और कॉर्पोरेट क्षेत्र के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है, जिसे अंतिम बजट आने का इंतजार करना होगा ताकि इसे कुछ लाभ और मिल सकें।

 

 

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1 फरवरी 2019 को भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2019-20 को कई मायनों में एक अंतरिम बजट कहा जा सकता है जो कि सही मयाने में बहुत महत्वपूर्ण है।
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