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प्रत्येक भारतीय विदेशियों की इन रूढ़िवादी धारणाओं से तंग है

February 6, 2019


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प्रत्येक भारतीय विदेशियों की इन रूढ़िवादी धारणाओं से तंग है

हमारा देश ऊर्जावान भूमि है या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से रूढिवादियों का देश जरूर है। वास्तव में, यह काफी उपजाऊ भूमि है। प्रत्येक वर्ष लाखों विदेशी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं तो स्वाभाविक है कि उनके मन में भारत के बारे में कोई तो छवि होगी जो उनको भारत की ओर आकर्षित करती है। लेकिन उनकी कुछ धारणाएं इतनी अपमानजनक होती हैं जो कि हम भारतीयों को फूहड़ मजाक या सीधे तौर पर पागल कर सकती हैं। क्या हम 50 साल पहले की तरह ही हैं? बिल्कुल नहीं। क्या हमारे बारे में विदेशियों की राय वैसी ही है जैसी तब थी? निराशापूर्वक कह सकते हैं कि हाँ। इसलिए, यह हम पर निर्भर करता है कि विदेशियों के मन में जो हम भारतीयों के बारे में झूठी धारणाएं हैं उनको मौका मिलते ही खत्म करना चाहिए। आप जानना चाहते हैं कि भारत के बारे में ये सामान्य रूढ़ियां क्या हैं इससे पहले कि आप एक अज्ञानी पर्यटक को उनका महत्व समझाएं। तो, उसके लिए यहां सूची दी गई है।

1. भारत सपेरों की भूमि है

अरे नहीं, ऐसा नहीं है। उन दिनों हम में से कई बीन की धुन पर साँपो को नाचते हुए देखते थे। क्या हम इसके ही लायक हैं कि भारत में वर्षों से साँपों के पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके अलावा, यह प्रथा ज्यादातर राजस्थान में प्रचलित है। वह भी एक विशेष खानाबदोश कालबेलिया जनजाति में जो वहां निवास करती है। स्पष्ट रूप से भारत पर नागों के लिए सबसे बड़े केंद्र के रूप में लेबल लग चुका है लेकिन अब परिवर्तन का समय आ गया है।

2. भारतीय गरीब हैं लेकिन खुश हैं

भारत में कुछ गंदे बच्चे जो झुग्गी-झोपड़ियों के चारों ओर मुस्कुराते हुए दौड़ते हैं, विदेशी पर्यटक उनकी फोटो खींच कर यह निष्कर्ष निकालते हैं कि भारत ऐसा ही है जबकि वह गरीब खुशहाल लोगों का एक समूह मात्र है। स्लमडॉग मिलियनेयर ने इसे और भी बदतर बना दिया। निश्चित रूप से, गरीबी देश की मुख्य चिंताओं में से एक है, लेकिन देश में सबसे बड़ा जनसंख्या समूह मध्यम वर्ग की श्रेणी में आता है, जो उनके दिखावे और स्थिति से चिंता का विषय बनता है।

और, क्या हम इसके ही लायक हैं, दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से कुछ भारतीय हैं। जैसे कि अंबानी।

3. सभी भारतीय महिलाएं साड़ी पहनती हैं

साड़ी बहुत सी महिलाएं पहनती हैं, लेकिन सभी नहीं। आजकल साड़ी पारंपरिक अवसरों पर पहनी जाती है, जैसे कि विवाह। साड़ी का पहनावा धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। शहरों में, अधिकतर यदा-कदा या फिर पार्टी समारोह दोनों के लिए जींस और अन्य पश्चिमी पोशाक की ओर रुख किया जाता है। आजकल कुछ लड़कियां तो यह भी नही जानती कि साड़ी कैसे पहनी जाती है। यकीनन, इस रूढ़िवादी धारणा को रोका जाना चाहिए, कुछ समय के लिए या फिर हमेशा के लिए।

4. भारतीय भोजन मसालेदार है

भारत विविधतापूर्ण देश है और इसके बारे में जो कुछ भी कहा जाता है वह इसके चारों तरफ दिखाई देता है। लेकिन हम देख सकते हैं कि भोजन के मामले में यह कहां तक सही है। भारत और विदेशों दोनों जगहों के रेस्तरां में पंजाबी खाना आम है। इसलिए, मसालेदार टिक्का और करी की धारणा पूरे देश से जुड़ी हुई है। वास्तव में, देश के विभिन्न क्षेत्रों में भोजन और मेनू के अपने सेट के बारे में अलग-अलग विचार हैं। आप ध्यान दें, तो पाएंगें कि इनमें से सभी चीजें मसालेदार नहीं हैं। जैसे दक्षिण में नारियल और चावल का उपयोग किया जाता है और कोलकाता का पूर्वी भाग मुख्य भोजन के रूप में झींगे और मछली जैसे सी-फूड पर निर्भर करता है। करी या मसालेदार भोजन शायद ही भारतीय व्यंजनों का सही प्रतिनिधित्व है। हो सकता है कि यह वास्तविकता जल्द ही उन्हें नजर आ जाए।

5. सभी भारतीय योग में अच्छे हैं

योग में अच्छा होना? बहुत से लोग तो इसका अभ्यास भी नहीं करते हैं, केवल इसे ही अच्छा मानते हैं। वास्तव में, योग को एक दिन में नहीं सीखा जा सकता है, इसे सीखने के लिए महीनों या वर्षों के अभ्यास का समय लगता है। इसके साथ ही, हम में से अधिकांश लोगों का व्यस्त जीवन होता है, जिसके चलते हम हर चीज को जल्दी से समाप्त करना चाहते हैं शायद, इसीलिए हमें योग करने का भी समय नहीं मिल पाता, तो हमें अपने जीवन से कुछ समय निकालकर योगा करना चाहिंए।

कौन सी रूढ़िवादी धारणा आपको सबसे अजीब लगी? हमें नीचे टिप्पणी अनुभाग में बताएं।

 

 

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प्रत्येक भारतीय विदेशियों की इन रूढ़िवादी धारणाओं से तंग है
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स्पष्ट रूप से भारत के साथ कई रूढ़ियाँ जुड़ी हुई हैं। और, उनमें से कई बेतुकी हैं। आइए उन पर नजर डालते हैं।
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