ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण, निदान और उपचार
ब्रैस्ट कैंसर की शुरूआत स्तन कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास से होती है जो बाद में जमा होकर ट्यूमर का रुप ले लेती हैं।उसे अक्सर स्तनों में एक गांठ के रूप में महसूस किया जा सकता है। आमतौर पर महिलाएं ही इस बीमारी का शिकार बनती हैं, हालांकि, पुरुष भी इस कैंसर से ग्रस्त हो सकते हैं, क्योंकि कोशिकाएं शरीर के किसी भी भाग में जमा हो सकती हैं या अन्य हिस्सों में फैल सकती हैं।
इन दिनों ब्रैस्ट कैंसर एक आम बीमारी बन गई है। यह हानिकारक पदार्थों के उपयोग और बढ़ते प्रदूषण के दुष्प्रभावों के कारण होती है। प्रदूषण में वृद्धि कई बीमारियां को उत्पन्न कर मानव शरीर के सामान्य विकास को प्रभावित कर रही है।
हमें अपने स्तनों के बारे में जानना चाहिए क्योंकि हमारे स्तन स्वास्थ्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक महिला को पता होना चाहिए कि उसके स्तन कैसे दिखते हैं या वह उनके बारे में क्या महसूस करती हैं क्योंकि इससे ब्रैस्ट कैंसर के प्रारंभिक चरण में उससे निदान का एक बेहतर मौका मिल सकता है। इस बीमारी के सम्बन्ध में जागरूकता इसका सबसे अच्छा उपलब्ध उपचार भी हो सकता है। शुरुआती चरण में ब्रैस्ट कैंसर के बारे में पता लगाने के लिए नियमित स्क्रीनिंग परीक्षण या मैमोग्राम (स्तनों का एक्स-रे जिससे स्तन कैंसर के लक्षणों की जाँच होती है) करवायी जानी चाहिए।
ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण –
निप्पल रिट्रैक्शन औरडिस्चार्ज (निर्वहन) –
जब निप्पल का रिट्रैक्ट होना (अंदर की तरफ जाना) शुरू हो जाता है तो स्तनों के भीतर कैंसर बनने की संभावना बनने लगती है जो पुरुषों में भी हो सकती है। यदि किसी भी निप्पल से रक्त या कोई तरल पदार्थ (दूध के अलावा) निकले तो इसकी जाँच अवश्य करवाए क्योंकि यह ब्रैस्ट कैंसर का मुख्य लक्षण है।
सूजन –
कभी-कभी बाहों के नीचे या कॉलर बोन (हँसुली) के आसपास सूजन या गांठ का होना इसका एक लक्षण है। कई बार, स्तन में गांठ न होकर बगल में हो जाती है, तो यह भी ब्रैस्ट कैंसर का एक लक्षण है। कभी-कभी यह संक्रमण और एलर्जी से भी हो जाती है। लिम्फ नोड्स में सूजन के आने पर तत्काल इलाज किया जाना चाहिए क्योंकि यह ट्यूमर में बदल सकती है जो कैंसर का कारण बनता है।
त्वचा की बनावट में परिवर्तन –
कुछ मामलों में, त्वचा का रंग बदलना शुरू हो जाता है और व्यक्ति को त्वचा में जलन यागढ्ढे (डिंपल) महसूस होने लगते है (कभी-कभी एक संतरे के छीलके की तरह दिखाई देते है)। निप्पल के चारों ओर की लालिमा भी ट्यूमर को विकसित करने का एक लक्षण है।
आकार और रुप में परिवर्तन –
यदि स्तनों के आकार में कोई परिवर्तन (किसी भी स्तन में वृद्धि या संकुचन) होता है, तो व्यक्ति को उसकी जांच अवश्य करानी चाहिए। परिवर्तन दिखाई देना भी परेशानी का कारण है, इसे कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए।
स्तनों में दर्द – युवावस्था के दौरान स्तनों में दर्द होना एक प्राकृतिक घटना है; कई बार मासिक धर्म के बाद ये दर्द होता है, लेकिन लंबे समय तक स्तनों में अनावश्यक दर्द का रहना ब्रैस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है।
ऊपर उल्लिखित लक्षणों को ब्रैस्ट कैंसर के शुरुआती संकेतों के रूप में माना जा सकता है।
ब्रैस्ट कैंसर के संभावित संकेतों में शामिल हैं-
- योनि में दर्द
- वजन घटना (अनैच्छिक रुप से)
- स्तनों की नसों का स्पष्ट दिखाई देना।
- स्पर्श में बदलाव।
- त्वचा में जलन।
खतरा और रोकथाम –
वंशानुगत के (यदि पारिवार में पहले से या जीन में बदलाव आने से किसी को कैंसर हुआ है तो इसका पता लगाना आसान हो जाता है) अलावा कैंसर का खतरा होने की संभावना निर्धारित करने के लिए कोई निश्चित कारक नहीं है। लक्षणों की प्रारंभिक जांच कैंसर की रोकथाम या नियंत्रण में भी मदद कर सकती है।
पहचान और निदान –
एक निश्चित अवधि के बाद ब्रैस्ट की जाँच नियमित रूप से करवाई जानी चाहिए क्योंकि यह कैंसर के शुरुआती चरण का पता लगाने में महत्वपूर्ण है। लक्षणों को अनदेखा या उपेक्षित नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उसकी तत्काल जांच करवाई जानी चाहिए।
मैमोग्राम, ब्रैस्ट अल्ट्रासाउंड, एमआरआई स्कैन और प्रयोगात्मक स्तन जाँच के परीक्षण निदान के कुछ रूप हैबायोप्सी मैमोग्राम, इमेजिंग परीक्षण, एमआरआई स्कैन और शारीरिक परीक्षण के बाद ब्रैस्ट कैंसर का पता लगाने का एकमात्र निश्चित तरीका है।
उपचार –
ब्रैस्ट कैंसर कई प्रकार के होते हैं जिनका इलाज उनकी स्टेज और परिस्थितियों के आधार पर किया जा सकता है। कीमोथेरेपी, चिकित्सा उपचार, रैडीऐशन, प्लास्टिक सर्जरी या ब्रैस्ट सर्जरी सहित विभिन्न प्रकार के उपचारों का उपयोग किया जा सकता है।
यह जानना आवश्यक है कि इन लक्षणों को देखते हुए सही समय पर डॉक्टर के परामर्श से शुरु किए गए त्वरित उपचार से इस रोग को आगे बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।


