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पाकिस्तान चुनाव 2018: क्या इमरान खान भारत के लिए बेहतर हैं?

July 31, 2018
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पाकिस्तान चुनाव 2018: क्या इमरान खान भारत के लिए बेहतर हैं?

इमरान खान की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की यात्रा अस्वीकृति, निराशा, खुशी, उदासी हार और जीत से भरी हुई है। इमरान खान ने, 1992 में पाकिस्तान क्रिकेट को अपने पहले और एकमात्र विश्व कप जीताने से लेकर देश के अगले प्रधानमंत्री बनने तक, काफी लंबा सफर तय किया है। यह देश के तख्तापलट से त्रस्त इतिहास में दूसरी बार हुआ है कि एक उत्तरोत्तर लोकतांत्रिक सरकार को मतदान के माध्यम से सत्ता में बिठाया जा रहा है। इमरान खान मौजूदा सरकार और उनके द्वारा किए गए चुनावी वादों के खिलाफ अपने प्रबल चुनाव प्रचार की अगुआई में सबसे आगे थे। इमरान खान ने पाकिस्तानी आबादी को आशा की एक नई किरण पेश की और उन्होंने बताया कि यह मौका अपने प्रतिद्वंद्वियों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान की पीपुल्स पार्टी की राजवंश राजनीति, को समाप्त करने के लिए सबसे बेहतर है। इमरान खान, क्रिकेटर से राजनेता बनने के बाद अगले पांच सालों तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए तैयार हैं। इमरान खान पड़ोसी भारत के साथ बिगड़े संबंधों को सुधारने के लिए तैयार हैं। वह कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की आशा कर रहे हैं- जिसने सीमा के दोनों किनारों पर, अपने भारतीय समकक्ष के साथ व्यापक बातचीत के माध्यम से, प्रत्यक्ष रुप से प्रभावित हुए लाखों लोगों का रक्तपात देखा है।

पाकिस्तान क्रिकेट टीम का नेतृत्व करने से लेकर देश का नेतृत्व करने तक 

1992 में, कई लोगों ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम को विश्व चैंपियंस बनने की उम्मीद ही नहीं की होगी, लेकिन जब टीम को नेतृत्व करने के लिए बेहतर कप्तान की आवश्यकता थी, तब इमरान खान ने मैच जीताने वाली पारी खेली और उन्होंने एक महत्वपूर्ण विकेट हासिल किया था। विश्व कप का गौरव एक शानदार करियर और कप्तानी का आखिरी टूर्नामेंट था, इमरान खान अपने समकालीन लोगों के मध्य सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक थे। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के सुविधाओं के साथ पाकिस्तान के बेहतरीन अस्पतालों में से एक सर्वतश्रेष्ठ अस्पताल के निर्माण पर नजदीकी से काम किया था।

1997 में, करिश्माई पूर्व कप्तान ने पाकिस्तान के राजनीतिक दृश्य पर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) शुरू करने वाली राजनीति की धुँधली दुनिया में कदम रखने का जोखिम उठाया था। प्रारंभिक वर्षों में इमरान खान राजनीति में नए होने की वजह से निराशा और मायूसी से भरे हुए थे। कई विफलताओं के बाद भी वह दृढ़ बने रहे, लेकिन धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से समर्थकों के मध्य राजनीति में अपने पैर जमा रहे थे। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई और पाकिस्तान में राजवंश राजनीति के विरोध ने उनको राजनीतिक कार्य के लिए प्रसिद्ध कर दिया था। वह अब देश में एक नए राजनेता के रुप में उभर कर सामने आ रहे थे, जिसने अस्थिरता, सैन्य आघात, प्रचारित भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सबसे महत्वपूर्ण रूप से एक विश्वसनीय नेता ने सिर्फ पाकिस्तान के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के कारण अशांत समय देखा है।

2013 के पाकिस्तान के आम चुनावों की भारी निराशा ने उन्हें विस्मरण में डाल दिया। लेकिन, रणनीति, दिमाग और एक मजबूत राजनीतिक अभियान के बदलाव में देखा गया कि उनकी लोकप्रियता कप्तान के बजाय एक राजनीतिक नेता के रूप में उभरकर सामने आई, जिसने पाकिस्तान को अपने एकमात्र विश्व कप जीताने के लिए टीम का नेतृत्व किया था। पाकिस्तान में 2018 के आम चुनावों के चलते, इमरान खान एक कमजोर विपक्षी दल के रुप में प्रधानमंत्री का पद पाने के लिए और पीटीआई में लोगों के विश्वास बढ़ाने के लिए एकमात्र उम्मीदवार बने इस प्रवृत्ति ने उन्हें सीढ़ी के शीर्ष पर पहुंचा दिया था।

विचारधारा में बदलाव

इमरान खान का जन्म एक समृद्ध पश्तून परिवार में हुआ था तथा इनकी परवरिश एक विशिष्ट वातावरण में हुई थी। इमरान ने ऑक्सफोर्ड से स्नातक की पढ़ाई यूनाइटेड किंगडम में पूरी की। वह एक उदार विचारक थे जिनका यह कहना था कि वह गलत के खिलाफ खड़े होंगे और अधिकार की रक्षा करेंगे। अपने कथित मामलों के लिए कुख्यात, इमरान खान ने यूके से एक प्रभावशाली व्यापार-टाइकून की बेटी से विवाह किया था। वह अस्पतालों की स्थापना और जरूरतमंदों की मदद करने के द्वारा परोपकार में सक्रिय रहे हैं। 2011 में, पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल (पाकिस्तान) सलमान तासीर को ईश्वर-निंदा के लिए मलिक मुमताज हुसैन कादरी ने 26 बार गोली मारी थी। वह सलमान तसीर के अंगरक्षक थे, इमरान ने राज्यपाल की रक्षा करने की सरकार की विफलता की दृढ़तापूर्वक निंदा और आलोचना की। इमरान ने अपनी आत्मकथा, पाकिस्तान-ए पर्सनल हिस्ट्री, में रूढ़िवादी मौलवियों की आलोचना उस जहर के लिए की जिसे इन मौलवियों ने ईश-निंदा से संबंधित कट्टरपंथी विचारों के माध्यम से पाकिस्तान में फैलाया था। हालांकि, क्रिकेटर से बने राजनेता के लिए चीजें बदलीं, जब वह और उनकी पार्टी 2013 के आम चुनावों में तीसरे स्थान पर आई। महिला पर प्रतिगामी विचार रखने के लिए उदार होने से, पीटीआई के साथ उनकी राजनीतिक यात्रा के पिछले 20 सालों में इमरान के लिए चीजें परिवर्तित हो चुकी हैं। इमरान खान ने एक बार कल्पना की और हाल ही में चुनाव परिणामों के बाद एमए जिन्ना के पाकिस्तान को पुनर्जीवित करने के बारे में बात की, एक पाकिस्तान जो धर्मनिरपेक्ष पद्धति पर बनाया गया था लेकिन उसकी मृत्यु के बाद एक निरंकुश इस्लामवादी राज्य बन गया। लेकिन, अपने चुनाव अभियान के दौरान, इमरान खान सातवीं शताब्दी मदीना के आधार पर पाकिस्तान बनाने के बारे में स्पष्टवादी हैं, पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 295 सी का बचाव करते हुए, निंदा के खिलाफ मृत्युदंड की सजा, “अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद” पर उनके वक्तव्य ने उनके द्वारा किए गए परिवर्तन को परिभाषित किया है। रूढ़िवादी इस्लामवादी बनने के लिए विशिष्ट होने से, पाकिस्तान की राजनीति ने निश्चित रूप से उस व्यक्ति को बदल दिया है जो एक बार पाकिस्तान को बदलने के लिए तैयार थे।

भारत में प्रतिक्रियाएं

इमरान खान की चुनावी सफलता ने भारत से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखी हैं। नई दिल्ली, पाकिस्तानी सेना और वामपंथी इस्लामवादी समूहों का लाभ लेने वाले पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी से बने राजनेता के सहायकों और उनके समर्थकों से अवगत है, इस प्रकार, वे भारत की ओर इमरान खान की सरकार के रुख से अवगत हैं। राजनीति में कई लोग मानते हैं कि इमरान खान की कोई भी नीति वामपंथी तत्वों और पाकिस्तानी सेना दोनों से प्रभावित होगी। हालांकि, चुनावी शासनादेश के बाद इमरान खान द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस से आशा की एक किरण का उदय हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने दोनों देशों से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के खेल को समाप्त करने के लिए कहा क्योंकि यह दोनों देशों को परेशान करने वाली समस्याओं को कभी हल नहीं होने देगा जब तक कि खुली मानसिकता से एक साथ बैठकर कश्मीर मुद्दे के हल को लेकर चर्चा नहीं करेंगे। इमरान खान ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि भारत एक कदम बढ़ाने के लिए इच्छुक है तो पाकिस्तान दो कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। हालांकि, भारतीय राजनीतिक वर्ग के भीतर संदेहवाद है, लेकिन भारत किसी भी कार्यवाही का अभिवादन करेगा जो पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में मदद करेगा। प्रतिद्वंद्विता ने दोनों देशों को आर्थिक रूप से, राजनीतिक रूप से और भावनात्मक रूप से सीमा के दोनों किनारों पर अनगिनत मौतों के साथ क्षतिग्रस्त कर दिया है और जिसका अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला है। भारत अब एक निष्पक्ष दर्शक के रुप में बना हुआ है लेकिन पाकिस्तान में राजनीतिक परिदृश्य की नजदीकी से निगरानी की जाएगी, उम्मीद की जा रही है कि नया शासन इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाएगा।

 

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पाकिस्तान चुनाव 2018: क्या इमरान खान भारत के लिए बेहतर हैं?
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इमरान खान पाकिस्तान के आगामी प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं, भारत में कई वर्गों में आशा की भावना है कि यह भारत-पाक संबंधों में सुधार लाने वाला नया युग हो सकता है। जबकि कुछ में यह भी संदेह हैं कि चीजें नहीं बदलेगी।
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