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स्कूली बच्चों और छात्रों के लिए होली पर निबंध

February 26, 2018
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स्कूली बच्चों और छात्रों के लिए होली पर निबंध

होली या “रंगों का त्यौहार” भारतीय उप-महाद्वीप में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। मैप्स ऑफ इंडिया सभी छात्रों के लिए सूचनाओं का व्यापक स्नैपशॉट प्रस्तुत करता है और इस समय शिक्षक भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली पर दिलचस्प निबंध लिखने की फिराक में होंगे।

परिचय

होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह त्यौहार सर्दियों के बाद वसंत में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों के लिए नई फसल की कटाई की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। होली भारतीयों द्वारा अत्यधिक पसंद किया जाने वाला त्यौहार है और आज के समय यह त्यौहार देश के सभी समुदायों द्वारा काफी हर्षोल्लास के साथ मानाया जाता है।

यह त्यौहार होली से एक दिन पहले पूर्णिमा की रात की शाम से शुरू हो जाता हैं, जिसे होलिका दहन या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग होलिका के आस-पास इकट्ठा होते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार होलिका में अन्न और अन्य फसलों को चढ़ाते हैं। इस दिन को होलिका (हिरण्यकशिपु की बहन) को जलाने का प्रतीक माना जाता है, जो प्रहलाद के साथ आग में बैठी थी, लेकिन वह उसे जलाने की जगह स्वयं ही उस आग में जलकर राख हो गई थे।

अगले दिन को होली के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगा गुलाल लगाते हैं और पिचकारी तथा पानी के गुब्बारों के साथ इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। लोग गाते हैं और होली के गानों की धुनों पर नाचते हैं और वहीं छोटे-छोटे बच्चे एक-दूसरे पर पिचकारियों से रंगों को डालते हैं। यह एक ऐसा दिन है, जब लोग अपनी पुरानी शत्रुता को भूलकर एक-दूसरे को माफ कर देते हैं और एक नई शुरुआत करने के लिए एक-दूसरे को गले लगाते हैं। होली के दौरान, जहाँ ज्यादातर लोग गुझिया जैसे मीठे व्यंजनों का लुत्फ उठाना पसंद करते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस दिन भाँग का भरपूर आनंद लेते हैं और इसका एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं। भारत के उत्तरी हिस्सों में, होली को घर वापसी की एक मौजूदा संस्कृति के रूप में मानाया जाता है, जब लोग होली के त्यौहार के मौके पर अपने परिवार और दोस्तों से मिलने के लिए अपने घर जाते हैं।

होली का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का मूल पुराणों में भगवान विष्णु की कहानियों से जुड़ा हुआ है। हिरण्यकशिपु नामक एक राक्षस राजा था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने एक विशेष वरदान प्रदान किया था। समय के साथ, वह बहुत अधिक शक्तिशाली और अभिमानी हो गया था और वह स्वंय को देवताओं से भी बड़ा मानने लगा था। उसने सभी लोगों से देवताओं की जगह खुद की पूजा करने के लिए कहा। उनका छोटा पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और इसलिए उसने अपने पिता को ईश्वर के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया। हिरण्यकशिपु इस बात से अत्यधिक क्रोधित हुआ और उसने कई बार अपने ही बेटे को जान से मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार भगवान विष्णु प्रहलाद को बचा लेते थे।

अंत में, प्रहलाद की हत्या करने के लिए हिरण्यकशिपु अपनी बहन होलिका के पास गए। होलिका को देवताओं द्वारा एक विशेष वरदान मिला था कि वह कभी भी आग में नहीं जलेगी। इसलिए, उन्होंने प्रहलाद को अपनी गोद में लिया और उसे लेकर चिता पर बैठ गई। चूँकि आग उसे छू नहीं सकती थी, इसलिए यह अपेक्षा की गई कि आग में जलकर प्रहलाद की मौत हो जाएगी।

लेकिन प्रहलाद भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे, जिनकी भगवान स्वंय रक्षा करते थे और इसलिए होलिका जिसे कि अग्नि में कभी भी न जलने का वरदान प्राप्त था, उसकी उसी अग्नि में जलकर मौत हो गई। उसके बाद, भगवान विष्णु ने नरसिंह-आधा मानव और आधा शेर का अवतार धारण कर हिरण्यकशिपु का वध कर दिया और प्रहलाद एक धर्मपरायण और लोकप्रिय राजा के रूप में शासन करने लगे।

होलिका और उसके बाद में उसके भाई हिरण्यकशिपु की मृत्यु, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फल्गुन के महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

होली का त्यौहार “वसंत महोत्सव” और “काममोत्सव” के रूप में भी मनाया जाता है और यह त्यौहार सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।

मथुरा और वृंदावन में होली को,राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम के स्मृति रूपी त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। वहाँ इस त्यौहार को राधा और उनकी सखियों(गोपियों) के साथ कृष्ण के रंगों के एक शरारती खेल के रूप में मनाया जाता है, इन क्षेत्रों के लोगों ने ही होली में रंगों का इस्तेमाल करना शुरू किया था। तब से, होली का त्यौहार रंगों से जुड़ा हुआ है।

होली के अनुष्ठान

भारत के ज्यादातर हिस्सों में होली दो दिनों तक मनाई जाती है, जबकि कई हिस्से ऐसे भी हैं, जहाँ इस त्यौहार को तीन से पाँच दिनों तक मनाया जाता है।

होलिका दहन- होली से पहले होलिका दहन होता है, जिसके लिए लोग पार्कों, सामुदायिक केंद्रों, मंदिरों के पास और अन्य खुली जगहों में अलाव के लिए लकड़ी और दहनशील सामग्री इकट्ठा करते हैं। अलाव के शीर्ष पर एक छोटा पुतला रखा जाता है, जो होलिका को दर्शाता है, जिसने प्रहलाद को आग में जलाने का प्रयास किया था। होली की पूर्व संध्या पर, आमतौर पर सूर्यास्त के समय या बाद में, ईंधन का ढेर (होलिका) जलाया जाता है, जो होलिका दहन को दर्शाता है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग होली से संबंधित गाना गाने और नृत्य करने के लिए होलिका के आसपास इकट्ठा होते हैं।

होली उत्सव का दिन- यह वह दिन है, जिसे पूरे भारत के लोगों द्वारा और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में रंगों के साथ बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

भारत के कुछ हिस्सों में, होली पाँच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाई जाती है।

होली का महत्व

होली को रंगों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग आपसी मन-मुटाव को भुलाकर एक-दूसरे को क्षमा कर देते हैं। होली का समय अपने परिवारों और मित्रों से मिलने का समय भी माना जाता है। होली नई फसल की शुरुआत और सर्दियों के अंत तथा वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है।

भारत में होली उत्सव की परंपरा

होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। आइए हम होली के कुछ क्षेत्रीय उत्सवों पर नजर डालते हैं–

धुलेंडी होली- यह होली हरियाणा में प्रचलित है और इस दिन भाभियों (भाई की पत्नी) को पूरी छूट होती है कि वे अपने देवरों (पति के छोटे भाई) को साल भर सताने का दण्ड दें। इस दिन भाभियाँ देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं। शाम को देवर अपनी प्यारी भाभी के लिए उपहार लाते हैं और भाभी उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

रंगपंचमी- यह त्यौहार पाँचवें चंद्र दिन पर, अर्थात् होली के पाँच दिन बाद मनाया जाता है और इस दिन लोग रंग खेलकर यह त्यौहार मनाते हैं। रंगपंचमी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में काफी लोकप्रिय है।

बसंत उत्सव- “बसंत उत्सव” या वसंत महोत्सव,पश्चिम बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा उनकी विश्व भारती यूनिवर्सिटी में शुरू किया गया एक वार्षिकोत्सव है। इस दिन छात्र पीले रंग के कपड़ों को पहनकर और रंगों को उड़ाते हुए कुछ अद्भुत लोक नृत्यों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करते हैं।

लट्ठमार होली- मथुरा के नजदीक उत्तर प्रदेश के दो शहरों बरसाना और नंदगाँव में होली के कुछ दिनों पहले यह उत्सव शुरू होता है। लाट्ठमार होली को भगवान कृष्ण के बीज-पत्र से लिया गया है, जो इस दिन अपनी प्रिय राधा के गाँव जाते थे और राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करते थे। जिसके कारण राधा तथा उनकी सखियाँ ग्वाल वालों पर डंडे बरसाती थीं। इसलिए आज भी, नंदगाँव के लोग हर साल बरसाना शहर में जाते हैं, ताकि वहाँ की महिलाएं उनको डंडा (लट्ठ) लेकर वहाँ से भगाएं।

होला मोहल्ला: यह होली के बाद मनाया जाने वाला एक सिख त्यौहार है, जो सिखों के नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। आनंदपुर साहिब में होली के दौरान तीन दिनों तक एक मेला आयोजित किया जाता है, जहाँ सिख अपने कौशल और बहादुरी का प्रदर्शन करते हैं। यह उत्सव सिखों के पाँच अस्थायी अधिकारों में से एक तख्त श्री केशगढ़ साहिब के पास एक लंबे, सैन्य स्टाइल जुलूस के साथ होला मोहल्ला के दिन संपन्न होता है।

शिमगो- यह गोवा का वसंत ऋतु का त्यौहार है और यह होली के दौरान भी होता है। इसमें पारंपरिक लोक और सड़क नृत्य भी शामिल हैं तथा बड़े पैमाने पर निर्मित नौकाएं क्षेत्रीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक दृश्यों को दर्शाती हैं।शिमगो महोत्सव गोवा के ग्रामीण क्षेत्रों में एक पखवाड़े के लिए होता है।

कमन पंडिगाई- यह होली के दौरान तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक त्यौहार है, जो कामदेव की कथा से संबंधित हैं, जिन्हें भगवान शिव ने अपने कोप से भस्म कर दिया था। किंवदंती के अनुसार, कामदेव को भगवान शिव ने होली के दिन पुनर्जीवित कर दिया था और इसलिए उनके नाम पर ही यह त्यौहार मनाया जाता है।

दुनिया भर में होली का उत्सव

होली ने आज दुनिया के विभिन्न भागों में अपना महत्व अर्जित किया है। यहाँ होली के उत्सव के कुछ दिलचस्प पहलू और उनके नाम हैं। सूरीनाम में, इसे फगवा त्यौहार कहा जाता है और यह एक राष्ट्रीय त्यौहार है। फागवा त्रिनिदाद और टोबैगो और गुयाना में भी मनाया जाता है, जहाँ भी यह एक राष्ट्रीय त्यौहार है। फिजी में, इंडो-फिजियन बहुत उत्साह के साथ होली का उत्सव मनाते हैं। मॉरीशस में, होली के उत्सव को शिवरात्रि के अगले दिन मनाया जाता है।

पारिस्थितिकी के अनुकूल मनाएं होली

अतीत में, होली के उत्सव को प्राकृतिक रंगों के साथ मनाया गया था। हालांकि, रासायनिक उत्पादित रंगों की उपलब्धता के साथ, अब इन प्राकृतिक रंगों को रासायनिक रंगों में प्रतिस्थापित कर दिया गया है। ये न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचाते हैं।

होली के व्यंजन

होली सिर्फ रंगों का ही त्यौहार नहीं है, बल्कि होली के दौरान लोग मुँह में पानी लाने वाले व्यंजनों का भी आनंद लेना पसंद करते हैं। आइए हम होली के सबसे महत्वपूर्ण पकवान गुझिया और ठंडाई पेय पर नजर डालते हैं:

गुझिया- गुझिया होली के उत्सव के समय परोसा जानो वाला सबसे पसंदीदा पकवान है। यह खोवा, पिस्ता, बादाम, चिरौंजी, किश्मिश, केसर, चीनी पाउडर, इलायची पाउडर और नारियल को भरकर बनाई जाती है। इसकी बाहरी सतह आटा (मैदा) और देसी घी का उपयोग करके बनाई जाती है। आप इसे आसानी से घर पर बना सकते हैं।

ठंडाई- आपके भोजन के साथ के स्वागत योग्य पेय ठंडाई को होली मॉकटेल भी कहा जाता है। यह दूध, चीनी, केसर, गुलाब जल, अफीम के बीज, तरबूज के बीज और बादाम का उपयोग करके बनाई जाती है। हालांकि, यदि आप मादक प्रभाव को जोड़ना चाहते हैं, तो आप इसमें भाँग का इस्तेमाल करके, सुरम्य मस्ती का आनंद ले सकते हैं।

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