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भारतीय देश क्यों छोड़ रहे हैं?

September 19, 2018
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भारतीय देश क्यों छोड़ रहे हैं?

एक सामान्य भारतीय से भी अपने देश के बारे में पूछा जाए कि उन्हें देश में सबसे ज्यादा क्या पसंद है तो वह गर्वित होकर आपके सामने अलग-अलग उत्तरों की लड़ी लगा देगा। भारत दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण वाला राष्ट्र है, इसकी विविधता असंख्य जातियों, संस्कृतियों, विभिन्न प्रकार की भाषाओं आदि के साथ जानी जाती हैं। निश्चित रूप से, देशवासी अपने देश पर गर्व करते हैं।

हालांकि एक सवाल हमारे दिमाग में बार बार उठता है। वह यह कि अगर ये लोग कहते हैं कि भारत एक अच्छी जगह है , तो फिर यहां रहने वाले अधिक से अधिक नागरिक क्यों विदेशों में स्थानांतरित होकर वहां बसने के लिए चले जाते हैं?

प्रवासन परिदृश्य

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अनुसार, दुनिया भर के प्रवासियों में से भारत के सबसे ज्यादा लोग हैं। दूसरे शब्दों में, दुनिया में भारतीय मूल के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। उसी अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में कम से कम 15 मिलियन भारतीय विदेश में रह रहे हैं, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड की संयुक्त आबादी के मुकाबले यह एक बड़ी संख्या है। इसके विपरीत, 1990 में भारतीय प्रवासियों की संख्या 6.5 मिलियन थी। स्पष्ट रूप से, कह सकते हैं कि  भारत प्रवास स्थानान्तरण में एक प्रमुख “महाशक्ति” बन गया हैं। हालांकि, यह केवल प्रवासन के लिए कहा जा सकता है। 1990 में देश के अप्रवासियों की संख्या 7.5 मिलियन से घटकर 5.2 मिलियन हो गई है।

भारत छोड़ने वाले कौन लोग हैं?

सबसे ज्यादा प्रवासी अपने नाम करने के साथ ही साथ भारत दुनिया भर में श्रमिकों के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरा है। उदाहरण के लिए, सभी यूरोपीय देशों में, जैसे यू .के ने वहां बसने वाले भारतीय नागरिकों की सबसे बड़ी संख्या देखी है।

प्रवासी भारतीयों का यह फैलाव सबसे शिक्षित, उच्च कमाई , योग्यता से परिपूर्ण समूहों में से एक हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के आगे के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक दुनिया के बाकी हिस्सों में बस जाने की अधिक संभावना रखते हैं।

उदाहरण के लिए,  देश में ईसाईयों की आबादी केवल 3% थी ,जबकि भारतीय प्रवासीय ईसाईयों  का प्रतिशत 19% था।

विदेशों में बसने के लिए भारतीय क्यों भारत को छोड़ना चाहते हैं?

संयुक्त अरब अमीरात (संयुक्त अरब एमिरेट्स) में भारतीय प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। 2 मिलियन से ज्यादा भारतीय इस अरब देश में रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का 27% से अधिक हैं। इनमें से लगभग एक तिहाई प्रवासी नौकरियां प्राप्त करने के लिए वहां बस गए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि, प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत होने के बावजूद, भारत दुनिया की लगभग 1% की सबसे कम दरों वाली प्रवासीय ईकाई में से एक हैं। कारण बेहद सरल है –

इसका कारण है भारत की बड़ी जनसंख्या । वैश्विक स्तर पर अपनी प्रवास दरों, जो 3% है, को बराबर लाने के लिये विदेशों में प्रवास करने वाले भारतीयों का और हिस्सा लेना होगा।

भारतीय तेजी से देश क्यों छोड़ रहे हैं?

हमारी भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा बेहतर शिक्षा पाने के लिए विदेशों में प्रवास करने लगा है, और अन्य लोग बेहतर नौकरी के अवसरों को पाने के लिए वही रहने लगे हैं। विदेशी संस्थानों में हमारी शिक्षा प्रणाली को बेहतर विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता हैं। वर्तमान समय में भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए देश के बाहरी संस्थानों के बारे में सोचने लगे हैं और स्नातक / स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोग देश छोड़ कर विदेशों में प्रवास करने के लिए अग्रसर रहते हैं।

इसके अलावा उन लोगों के लिए जिन्होंने पहले से ही अच्छी शिक्षा प्राप्त की है, उनके लिए एक विदेशी राष्ट्र या विशेष रूप से विकसित देशों में काम करना अधिक आकर्षक है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम इत्यादि जैसे देशों में लोगों को उच्च वेतनमान प्राप्त होता है, इसी कारण वहां अधिक से अधिक भारतीय स्थानांतरित हो रहे हैं।

 प्रवासन – सम्पूर्ण दृश्य

चूंकि लोगों की गतिशीलता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ जाती है, एक बात निश्चित है- स्थानान्तरण की यह तस्वीर देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है। मानव संसाधनों को देश की सबसे शक्तिशाली संपत्ति माना जाता है, इसलिए अलग-अलग देशों में भारत के कार्यबलों का एक बड़ा हिस्सा स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। वे क्या हैं?

प्यू रिसर्च सेंटर के निष्कर्षों के मुताबिक, देश के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 3% भारतीय प्रवासियों द्वारा देश में भेजा हुआ धन 69 बिलियन था। वर्तमान समय में, भारत किसी अन्य देश की तुलना में प्रवासियों से अधिक धन प्राप्त करता है। बेशक, यह योगदान देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हांलाकि इस सिक्के का दूसरा पहलू भी है।

प्रतिभा पलायन –

बढ़ते प्रवासन के आंकड़ों ने देश के कई विचारकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। क्यूं ? भारत में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद बहुत सारे भारतीय, करियर बनाने के लिए विदेशों में प्रवासन करने के लिए चले जाते हैं। देश के संसाधन उनको बाहर सेवाएं प्रदान करने के अवसर प्रदान कराते हैं इसको प्रतिभा पलायन के रूप में जाना जाता है। संबंधित लोग आम तौर पर कमाए गए धन की बड़ी मात्रा भेजते हैं, जैसा कि पहले ही उल्लेख किया जा चुका है, लेकिन आखिरकार वे विदेशी कंपनियों की कार्यक्षमता में वृद्धि कर रहे हैं।

भारत के युवाओं को देश के भीतर रहने और यहां एक करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन यह केवल तभी संभव होगा जब देश में नौकरी के अवसर बाहर मिलने वाली नौकरियों के समान अच्छे हों।