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मानसून आने पर मुंबई क्यों प्रायः डूब जाती है ?

July 6, 2018
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मानसून आने पर मुंबई क्यों प्रायः डूब जाती है ?

सपनों का शहर, मुंबई अपने निवासियों के लिए एक रणभूमि का मैदान बन गया है क्योंकि इस साल जून के महीने की शुरूआत में ही मानसून ने शहर को बुरी तरह से प्रभावित किया है। प्रत्येक वर्ष बारिश मुंबई, जो मुश्किल परिस्थितियों को आसानी से ठीक हो जाने के लिए जाना जाता है, के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। हालांकि एक लंबे इंतजार के बाद आने वाले मानसून हमें हमेशा उमस भरी गर्मी से राहत दिलाते हैं लेकिन मुम्बईवासियों के लिए ये मुसीबत का कारण भी बनते हैं। इस साल, बरसात के मौसम में मुंबई पर आखिरकार आसमान से बादलों की जोरदार गरजना के साथ आफत बरसा दी है। जलप्रलय ने कुछ ही समय में मेगा शहर को तहस नहस कर दिया। मुंबई में मानसून के दौरान पानी से भरी सड़कें, बाधित यातायात, हवाई सेवाएं, स्कूल एवं कार्यालय को बंद करना एक आम दृश्य बन जाता है। लेकिन जैसे ही बारिश का प्रकोप कम होने लगता है लोग अपनी कठिनाईयों को भूलने लगते हैं, इसलिए मुश्किल परिस्थितियों में आसानी से लड़ने के लिए मुंबई की सराहना की जाती है। अगले वर्ष तक, या अगली आने वाली जलप्रलय तक जन जीवन पुनः सामान्य हो जाता है।

इसके कारण होने वाली मुख्य समस्याएं

हर साल, मानसून के मौसम में निरंतर होने वाली जोरदार बारिश भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में दस्तक देती है, जिसके कारण आधुनिक जन जीवन प्रभावित हो जाता है। मूसलादार बारिश के कारण तटीय शहर के निचले क्षेत्रों में पानी भर गया है जिससे लगभग 2 करोड़ लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त हो गया है और दर्जनों हवाई सेवाएं और स्थानीय रेल सेवाओं में बाधा पड़ गई है। सड़कों पर आई बाढ़ स्कूलों, भूमिगत रेल मार्ग और कुछ कार्यालयों को बंद करने का कारण बनती है। मानसून बारिश के दौरान शाम को घर लौटते समय सड़कों पर भरे गहरे पानी का सामना करना या घंटों वाहनों में फंसे रहना लोगों के लिए एक आम दिनचर्या बन जाती है। भारी बारिश की संभावना होने पर निवासियों को कुछ दिनों के लिए घर के अंदर ही रहने के लिए कहा जाता है।

कुछ प्रमुख प्रभावित क्षेत्र

सायन, किंग्स सर्कल, कुर्ला, बांद्रा, महिम, दादर और माटूंगा क्षेत्र और उनके आस-पास के क्षेत्रों को मुंबई की रीढ़ की हड्डी माना जाता है क्योंकि वे इस द्वीप शहर को अपने उपनगरों से जोड़ते हैं। चूँकि ये निचले क्षेत्र हैं, जहाँ भारी बाढ़ आती है इसलिए मानसून के मौसम में यहाँ के सार्वजनिक और निजी परिवहन बाधित रहते हैं।

मीठी नदी के संकीर्ण सिरे के कारण बांद्रा और कलिना को भी बाढ़ का सामना करना पड़ता है। जुहू, सांताक्रुज और कलिना में बहुत अधिक बारिश होती है यही कारण है कि ये क्षेत्र बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं। कुछ अन्य प्रभावित क्षेत्रों में चेम्बूर, अंटॉप हिल, वर्ली, हिंदुमा, मुलुंड, घाटकोपर, मानखुर्द और वडाला और अंधेरी हैं।

2005 की मुंबई बाढ़

मुंबई वासियों को 2005 में हुई अत्यधिक बारिश के कारण विनाशकारी बाढ़ आपदा का सामना करना पड़ा था। बाढ़ में 546 लोग मारे गए और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ था। बारिश के पानी की निकासी व्यवस्था में कमी के कारण 24 घंटों के भीतर बारिश का 37.2 इंच का रिकॉर्ड त्रासदी का कारण बना था।

बाढ़ की इस स्थिति का उत्पन्न होने का कारण तेजी से शहरीकरण और अनियोजित विकास है, जो शहरी बाढ़ को उत्पन्न करने वाले अन्य कारकों के समान है।

मानसून के दौरान मुंबई में बाढ़ क्यों आती है?

 

मानसून के दौरान मुंबई के जलमग्न होने के पीछे कई अनगिनत कारण हैं। जिनमें से कुछ को नीचे सूचीबद्ध किया गया हैं:-

  • बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की लापरवाही
  • प्राकृतिक विशेषताएं जैसे मैंग्रोव और आर्द्रभूमि नष्ट हो गई है जो जलशोषक के रूप में कार्य करते हैं।
  • सरकार द्वारा अनिवार्य सुरक्षा उपायों का गैर कार्यान्वयन जैसे कि पारगम्य सामग्रियों के उपयोग और बिल्डरों द्वारा पानी निकलने के लिए जगह छोड़ना।
  • अनियमित और अपर्याप्त कचरा संग्रह तंत्र
  • मेट्रो निर्माण गतिविधि से निकलने वाले मलबे का ढेर एकत्र होना
  • अनुचित जल निकासी व्यवस्था
  • कचरे और औद्योगिक कचरे से नालियों और जल निकायों का अवरुद्ध होना
  • उच्च मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का अभाव
  • आधारभूत उचित नगर बुनियादी ढाँचे का अभाव
  • पूरे शहर में पानी की नालियों की सफाई में विलम्ब
  • मुंबई के निचले क्षेत्रों में अप्रतिबंधित निर्माण के कारण पानी को छोड़ने की कोई जगह नहीं है।
  • मुंबई में प्रायः आने वाली बाढ़ का सामना करने के लिए आवश्यक उचित रोडमैप का अभाव
  • बृहन्मुंबई वर्षा जल निपटान तंत्र को मुंबई में अवरोधक जल की निकासी का मुख्य खाका माना जाता था। इस प्रणाली में नए पंपिंग स्टेशनों की स्थापना और पुरानी पाइपलाइनों की मरम्मत शामिल थी, जिससे शहर एक घंटे में दो इंच तक की बारिश का सामना करने में सक्षम था। लेकिन काम अभी 50% से भी कम ही पूरा हो पाया था कि इसे बीच में रोक दिया गया इस योजना में लगने वाला शेष धन कहाँ चला गया, इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
  • कचरा और प्रदूषण ने मीठी नदी के जल निकासी में रुकावट डाली है जिससे यह नदी पानी को पुन: शहर में वापस भेजने का कारण बन रही है। नदी मुंबई में पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है और जल निकासी व्यवस्था में इसने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीएमसी इस नदी की सफाई के काम को धीमी गति से चला रहा है, जिसने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है।
  • शहर में नगर बुनियादी ढाँचे की कमी जैसे कि मानसून के दौरान नगर के लिए खोदी गई सड़कें गढ्ढों व उबड़-खाबड़ सड़कों के निर्माण का कारण बनती हैं।

 

मानसून या प्राधिकरण –दोषी कौन है?

मुंबई में होने वाली लगातार मानसून बारिश भारत की वित्तीय राजधानी में जलप्रलय लाकर वहाँ के निवासियों के लिए मुसीबत का कारण बनती है। 2 करोड़ से अधिक लोगों के शहरी जनजीवन को रोकने के लिए बाढ़ एक आम कारण बनती है। इस स्थिति के लिए किसे दोषी ठहराया जाना चाहिए- मानसून अथवा जनता के कल्याण के लिए गठित किए गए प्रधिकारी वर्ग को। हम इस स्थिति के लिए प्रकृति को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं, क्योंकि यह अपनी भूमिका बड़ी कुशलता के साथ निभा रही है। इस संबंध में इस प्रधिकारी वर्ग और शहर की सरकार को अपने निवासियों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए शीघ्र अति शीघ्र कदम उठने की आवश्यकता है।

लेकिन मुंबई की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, ऐसा लगता है कि शहर में बारिश के मौसम के दौरान जनता की चिंताओं को दूर करने के लिए बनाया गया कोई भी उचित नगर निकाय कम ही है। जब कभी भी स्थानीय लोगों की नींद बाढ़ आने के बाद खुलती है  तब नगरपालिका, अधिकारियों और स्थानीय सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं। हर बार, इस मामले में लोगों से वादा किया जाता है लेकिन कभी भी कोई बदलाव नहीं होता है।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी), मुंबई का शासी निकाय को उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। प्राधिकरण को न केवल बाढ़ को रोकना होगा बल्कि हर दूसरे मुंबई निवासी के क्रोध को भी सहन करना पड़ेगा। व्यंग्यात्मक सहानुभूति के लिए, बीएमसी ने मुंबईवासियों को बाढ़ के बहाव से बाहर निकलने के लिए थोड़ा बहुत काम किया है।

कुछ सावधानी पूर्वक उपाय

  • हमेशा अपने बैग में बरसात के मौसम के दौरान इन चीजों को रखें- फर्म स्ट्रेचर के साथ छाता और अपना फोन, लैपटॉप, पर्स, घड़ी इत्यादि की रक्षा के लिए पॉलीथिन का बंडल।
  • मुंबई मानसून के दौरान ऊँची हील की सैंडल या चमड़े के जूते पहनने से बचें। इसके बजाए, मजबूत स्नीकर्स, रेन बूट्स, या रबर के तल्ले वाले जूते पहनें।
  • बारिश के पानी में सर से पैर तक भीगने की स्थिति से बचने के लिए, हमेशा अपने बैग में अतिरिक्त कपड़े रखें (मोजों की अतिरिक्त जोड़ी रखना ना भूलें)
  • मानसून के दौरान हमेशा अपने आहार का ध्यान रखें क्योंकि स्ट्रीट फूड आपके पेट को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकता है।
  • सड़कों पर मैनहोल या गड्ढे से सावधान रहें।

 

 

 

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मानसून आने पर क्यों डूब जाती है मुंबई?
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