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रानी पद्मिनी महल- सौंदर्य और वीरता की एक कहानी

March 7, 2018
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चित्तौड़गढ़, रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में स्थित सबसे सुंदर शहरों में से एक है। चित्तौड़गढ़ राजपूतों के गौरव और प्रतिष्ठा का केंद्र था तथा राजपूतों के राज्य की यह राजधानी, उनकी बहादुरी और पराक्रम के लिए जानी जाती है। गंभीरी और बेराच नदियों के सगंम पर स्थित, यह शहर चित्तौड़गढ़ किले का घर है और यह एक ऐसा गढ़ है, जिसने सदियों से राजपूताना सम्मान की रक्षा की है। चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के मुकुट का अनमोल रत्न है, जिसे राजपूतों की बहादुरी और गौरव के लिए जाना जाता था, जिन्होंने 11वीं शताब्दी के बाद से देश पर शासन किया था। इस शहर में तीन बार घेराबंदी की गई थी और प्रत्येक बार यह शहर पराक्रमी युद्ध और बलिदान की कहानियों के साथ उभर कर सामने आया था।

चित्तौड़गढ़ तब प्रसिद्ध हुआ था, जब वहाँ की रानी पद्मिनी और बाद में रानी कर्णवती ने दुश्मनों के हाथों अपमानित होने की बजाय जौहर (आत्मदाह) करने के लिए महिलाओं का नेतृत्व किया था। चित्तौड़गढ़ का इतिहास, गोरा और बादल जैसे योद्धाओं द्वारा किए गए अनुकरणीय नेतृत्व और वीरता की कहानियों के साथ सुशोभित है। सिसोदिया राजाओं के वंशज महाराणा प्रताप, चित्तौड़गढ़ को पुनः प्राप्त करने के लिए, अपने किए गए बहादुर प्रयासों की वजह से इतिहास में अमर हो गए हैं।

हाल ही के वर्षों में, चित्तौड़गढ़ दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों के पसंदीदा स्थलों में से एक रहा है। इतना ही नहीं चित्तौड़गढ़, राजस्थान के सबसे खूबसूरत और हरे-भरे क्षेत्रों में से एक है। चित्तौड़गढ़ को संपन्न और रंगीन राजस्थानी संस्कृति का प्रदर्शन तथा सर्वश्रेष्ठ व्यंजनों का केंद्र माना जाता है।

रानी पद्मिनी की सुदंरता, बुद्धिमत्ता और वीरता

चित्तौड़गढ़ (मेवाड़) के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी, रानी पद्मिनी अपनी सुंदरता और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध थीं। वास्तव में वह इतनी सुंदर थीं कि उन्होंने राजा रावल रतन सिंह को सिंघल राज्य आने पर मजबूर कर दिया था, जहाँ राजकुमारी पद्मिनी रहती थीं। राजा रावल रतन सिंह ने पद्मिनी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और पद्मनी से विवाह कर लिया तथा रतन सिंह को इस विवाह में काफी दहेज भी मिला था। राजा रावल रतन सिंह का दरबारी राघव चेतन, जो एक जादूगर के रूप में मशहूर था। शायद राघव चेतन ने विवाह में मिले दहेज के एक हिस्से को बाँटने की माँग की थी, जिसके कारण राजा रावल रतन सिंह ने राघव चेतन को राज्य से निकाल दिया था और इसलिए राघव चेतन ने राजा से बदला लेने का निश्चय किया। राघव चेतन ने अपना बदला लेने के लिए दिल्ली में अलाउद्दीन खिलजी के राजदरबार में पहुँचा। राघव चेतन ने चित्तौड़गढ़ पर हमला करने के लिए हिन्दुत्व विरोधी अल्लाउद्दीन खिलजी को लुभाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी योजनाओं को अच्छी तरह से कार्यरूप में पर्णित नहीं कर पाया। राघव चेतन अपनी योजना में तब सफल हो गया, जब उसने रानी पद्मिनी की सुंदरता का वर्णन करना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप अल्लाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ राज्य पर हमला करने और रानी पद्मनी को जबरदस्ती कैद करने के लिए राजी हो गया।

जब खिलजी ने चित्तौड़गढ़ को चारों-तरफ से घेर लिया, तब उसने महसूस किया कि यह सुव्यवस्थित किलाबन्द राज्य आत्मसमर्पण नहीं करेगा। इसलिए खिलजी ने राजा को यह संदेश भेजा कि अगर वह रानी पद्मिनी को एक बार देखने की इजाजत दे, तो वह अपनी घेराबंदी वापस ले लेगा। रानी पद्मिनी ने एक दर्पण पर अपना प्रतिबिंब दिखाने की अनुमति दे दी। हालांकि धूर्त खिलजी की अन्य योजना थी। जब अल्लाउद्दीन खिलजी के साथियों ने किले के प्रवेश मार्गों और सुरक्षा व्यवस्थाओं की पहचान कर ली, तो खिलजी ने राजा रावल रतन सिंह का अपहरण कर लिया, जो उस समय खिलजी के साथ द्वार पर थे। पद्मिनी जो अपनी चातुर्य के लिए जानी जाती थीं, उन्होंने खिलजी के शिविर में प्रवेश करने के लिए पालकी में महिलाओं के रूप में तैयार सैनिकों के एक दल को भेजा। राजा रावल रतन सिंह तो खिलजी की कैद से बरी हो गए थे, लेकिन खिलजी की घेराबंदी से चित्तौड़गढ़ के संसाधनों में कमी आ गई थी।

रतन सिंह ने किले से बाहर निकलने और बहुत बड़ी सेना से युद्ध की असमानता का सामना करने की योजना बनाई, तो दूसरी तरफ रानी पद्मिनी और चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने आत्मदाह के लिए चिताएं तैयार कर ली और उन्होंने दुश्मन के हाथों अपमानित होने के बजाय जौहर (आत्मदाह या अनुष्ठानित आत्महत्या) करने का निश्चय किया। राजा और राज्य के लोगों ने अपने परिवार की क्षति से क्रुद्ध होकर, तपस्वी या भिक्षु योद्धाओं के गेरुआ वस्त्रों को धारण कर मृत्यु के लिए लड़े जाने वाले युद्ध – शाका करने का निश्चय किया। अंततः जब खिलजी की सेना ने युद्ध जीत लिया, तो उन्हें निराशाओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि किले में प्रवेश करते समय उनकी जीत की खुशी वहाँ का माहौल देखकर विलुप्त हो गई थी।

रानी पद्मिनी का महल

रानी पद्मिनी का महल चित्तौड़गढ़ किले के ठीक केन्द्र में, स्वाभाविक रूप से चट्टानी इलाके का लाभ उठाकर राजपूत कौशल से बनवाया गया है। एक समय में सुंदर, भव्य और छोटी संरचना वाला यह महल, वर्तमान समय में जीर्णता के साथ एक उन्नत राज्य में स्थित है। लेकिन फिर भी, यह स्पष्ट रूप से सैनिकों की दुनिया के बीच में नारित्व के एक स्पर्श के रूप में खड़ा है। यह किला 180 मीटर ऊँची पहाड़ी के ऊपर स्थित है, जो प्राकृतिक परिस्थिति के अनुकुल होने के कारण अभेद्य बना हुआ है। यह माना जाता है कि लगभग 700 एकड़ में विस्तारित इस चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण मूल रूप से 7 वीं शताब्दी में हुआ था।

रानी पद्मिनी का महल प्रकृति की अनुभूति करने की दृष्टि से बनवाया गया है। यह भारत में निर्मित सबसे पुराने महलों में से एक है, जो पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ है। रानी पद्मिनी की पौराणिक सुंदरता कमल के छोटे तालाब में परिलक्षित होती है, जो रानी पद्मिनी के छोटे लेकिन भव्य महल के चारों ओर बना है। इसकी वास्तुकला शैली विशिष्ट रूप से राजस्थानी है, लेकिन इसमें फारसी प्रभावों के संकेत उपस्थित हैं, जिन्होंने उस समय भारत में अपनी उपस्थिति को महसूस कराना शुरू कर दिया था। जबकि निश्चित रूप से चित्तौड़गढ़ किले के कई भाग हैं, जिसे यात्रा मार्गदर्शन और संभवत: याद रखने के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। अपने इतिहास के साथ जुड़ा हुआ रानी पद्मिनी का यह महल, इस किले का एक अविस्मरणीय और आकर्षक हिस्सा है।

चित्तौड़गढ़ तक कैसे पहुँचें?

चित्तौड़गढ़ शहर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 567 किलोमीटर और इस राज्य की राजधानी जयपुर से 310 किलोमीटर दूर स्थित है। उदयपुर, कोटा, अजमेर और अन्य निकटवर्ती शहर भी यहाँ के प्रसिद्ध पर्यटन-केंद्र हैं। चित्तौड़गढ़ शहर दिल्ली, जयपुर, अजमेर और उदयपुर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नियमित रूप से राज्य बस सेवा और गाड़ियाँ चित्तौड़गढ़ के लिए चलाई जाती हैं। चित्तौड़गढ़ में आने वाले कई पर्यटक चित्तौड़गढ़ और आसपास के शहरों का भ्रमण करने के लिए कार किराए पर लेना अधिक पसंद करते हैं।

चित्तौड़गढ़ एक प्रमुख ट्रेन जंक्शन भी है और इसलिए उत्तर भारत के प्रमुख शहरों के लिए यहाँ से नियमित रेलगाड़ियाँ भी प्रचालित होती हैं। चित्तौड़गढ़ से 70 कि.मी. की दूरी पर स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डा या उदयपुर (यूडीआर) का डबोक हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई अड्डा संपर्क के साथ यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है।

चित्तौड़गढ़ में और उसके आसपास देखने योग्य स्थान

  • विजय स्तम्भ
  • मीरा मंदिर
  • गुरमुख जलाशय
  • राणा कुंभा महल
  • कीर्ति स्तम्भ
  • साँवरियाजी मंदिर
  • फतेह महल
  • राम पोल
  • कुंभ श्याम मंदिर
  • तुलजा भवानी मंदिर
  • सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य
  • भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
  • बस्सी वन्यजीव अभयारण्य
  • नगरी गाँव

अधिकांश संख्या में पर्यटकों के आवागमन के कारण चित्तौड़गढ़ और राजस्थान में कई पर्यटक केंद्र और कार्यालय स्थापित करवाए गए हैं, जो पर्यटन और यात्रा व्यवस्था के साथ आगंतुकों की सहायता करने के लिए बेताब रहते हैं।

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