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18 वाँ कारगिल विजय दिवस

July 27, 2017


kargil-vijay-hindiपाकिस्तान के खिलाफ उस विशेष युद्ध में हासिल की जाने वाली यादगार जीत को याद करने के लिए, पूरे देश में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन मूल रूप से भारत के सैन्य कौशल के अनुस्मारक (रिमाइंडर) के रूप में और साथ ही धरती के बहादुर पुत्रों द्वारा किए गए अकल्पनीय तथा अतुलनीय बलिदान के रूप में मनाया जाता है। हमारे कई जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। यह भारत के इतिहास में उल्लेखनीय दिन की 18 वीं वर्षगांठ है।

1999 का कारगिल युद्ध – सेना द्वारा सामना की गई समस्याएं

इस विशेष संदर्भ में 60 दिनों तक चले इस युद्ध में तैनात राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के सदस्यों के बलिदान को याद किए जाने की आवश्यकता है। परिस्थितियाँ – अधिक ऊंचाई वाले ग्लेशियर (बर्फ) से भरे इलाके जो कि दोनों देशों को युद्ध के लिए समस्याएं पैदा कर रहे थे, इसलिए किसी भी बिंदु पर सैनिकों के लिए यह युद्ध लड़ना बहुत मुश्किल था। यह युद्ध मई और जून महीने के दौरान लद्दाख क्षेत्र में लड़ा गया, इस समय को कड़ाके की ठंड के लिए जाना जाता है। भारतीय सेना को पाकिस्तान के अंदर प्रभावशाली सेनाओँ द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित घुसपैठियों के खतरे का भी सामना करना पड़ा था।

सशस्त्र बलों की वीरता के लिए मोदी ने की प्रशंसा

भारत के प्रधानमंत्री ने भी कारगिल युद्ध के दौरान सशस्त्र बलों और बहादुर सैनिकों द्वारा दिखाए गए कौशल एवं बलिदान को याद किया और प्रशंसा की। मोदी ने एक ट्वीट के जरिये, भारत के बहादुर सैनिकों को याद किया, जो वीरता से लड़े, ताकि युद्ध के बाद नागरिक सुरक्षित रह सकें और देश उन पर गर्व करे। वास्तव में, युद्ध के दौरान घुसपैठियों द्वारा कब्जा की गई चोटियों पर नियंत्रण पाने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए भारतीय सेना ने लगातार दो महीने तक कई हानियों को अनदेखा करके लड़ाई लड़ी।

भारत द्वारा श्रद्धांजलि

भारत ने भी इस महत्वपूर्ण दिन पर अपने बहादुर पुत्रों को श्रद्धांजलि दी है और देश की सलामती और सुरक्षा के लिए उनके बलिदान को याद किया। लद्दाख के ड्रैस वॉर मेमोरियल में युद्ध के दौरान गायब होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया था। केंद्रीय रक्षा एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली कारगिल विजय दिवस पर इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर भारत के सशस्त्र बलों की विभिन्न इकाइयों के प्रमुखों के साथ वहाँ मौजूद थे।

शहीदों को नमन

1999 में कारगिल युद्ध में देश के सभी नायकों के साथ कैप्टन जैरी प्रेम राज ने अपने जीवन का बलिदान दिया ताकि हमारा देश सुरक्षित रह सके। उन्हें ट्विन बाम्प्स, द्रास सेक्टर पर हमला शुरू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कैप्टन राज दुश्मन की स्थिति का निर्धारण और सटीक बिंदु पर तोपों का निर्देशन करने में सक्षम थे। इसी दौरान दुश्मन ने उनपर फायरिंग कर दी। उन्होंने फायरिंग की परवाह किये बिना दुशमनों पर हमला जारी रखा। उसी समय इनको एक गोली लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गये। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि दुश्मन की हानि भारत में होने वाली हानि से अधिक है। उन्हें अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए, मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। यहाँ पर कप्तान शशि भूषण घिडियाल, सुबेदार रघुनाथ सिंह और हवलदार सीस राम गिल का भी उल्लेख करना चाहिए।