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वायु प्रदूषणः इन 11 आयुर्वेदिक तरीकों से आप खुद को रख सकते हैं सुरक्षित

November 10, 2018


वायु प्रदूषण : इन 11 आयुर्वेदिक तरीकों से आप खुद को रख सकते हैं सुरक्षित

भारत के हर क्षेत्र में प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जिसके चलते सुरक्षित और स्वस्थ रहना आज की मुख्य चुनौती बन गई है। यहाँ 11 सर्वोच्च आयुर्वेदिक समाधान प्रस्तुत किए गए हैं जो वायु प्रदूषण के खिलाफ एक उत्कृष्ट उपाय के रूप में कार्य करते हैं:

हल्दी

हल्दी – हल्दी उत्तम खाद्य पदार्थों में से एक है जिसका सबसे अधिक उपयोग भारतीय परिवारों में किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ आपको वायु प्रदूषण से भी बचाने में सक्षम है।

हल्दी में सूजन को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं तथा यह आपके कार्डियोवैस्कुलर (हृदयवाहिनी) तंत्र को ठीक से कार्य करने हेतु सक्षम बनाती है। हल्दी वायु प्रदूषण से बचाव के सबसे अच्छे उपचारों में से एक है। आधा चम्मच हल्दी पाउडर को एक चम्मच घी या शहद के साथ खाली पेट सेवन करने से यह आपके डिटॉक्सिफिकेशन (आहार-संयम शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने की पद्धति) में भी सहायता करती है।

हर्बल चाय

हर्बल चाय – वजन घटाने के लिए एक आदर्श तरीका, हर्बल चाय एक एंटीऑक्सिडेंट (ऑक्सीकरण रोधी) भी है जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करने में सहायता करती है। हर्बल चाय पृथ्वी पर सबसे स्वस्थ खाद्यपदार्थों में से एक है और यह आपकी प्रतिरक्षा क्षमता (रोगों से बचाव की क्षमता) में भी वृद्धि करती है। तुलसी, दालचीनी और अदरक का उपयोग करके हर्बल चाय को घर पर ही बनाएं। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें नींबू का रस या इलायची भी डालें और स्वस्थ एवं सुरक्षित रहने के लिए दिन में एक या दो बार इसका सेवन करें।

जैतून का तेल

जैतून का तेल – जैतून के तेल में विटामिन-ई पायी जाती है जो आपके फेफड़ों के कार्य को बेहतर बनाने में सहायता करती है। यह तेल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि यह आपकी कार्डियोवैस्कुलर (ह्रदवाहिनी) को वायु प्रदूषण कणों से प्रभावित होने से बचाता है।

जैतून के तेल को सलाद और व्यंजनों के साथ ही सेवन करें और ध्यान रखें कि इसे खाना पकाने के दौरान गर्म न करें, क्योंकि गर्मी के संपर्क में आने से इसकी रासायनिक संरचना बदल सकती है।

तुलसी

तुलसी – तुलसी जिसमें अनगिनत औषधीय गुण पाए जाते हैं और यह प्रदूषण को अवशोषित करने वाले अपने गुणों के लिए जानी जाती है। यह फेफड़ों और गुर्दों से संबधित सभी रोगों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए एक फायदेमंद औषधि है। तुलसी की पांच से छः पत्तियों को लगभग 10 मिनट के लिए उबलते हुए पानी में डालें और इसके साथ ही इसमें गुड़ या शहद भी डालें। इस चाय का प्रत्येक दिन सेवन करें क्योंकि यह न केवल आपके शरीर को डिटॉक्सिफाई (शरीर से हानिकारक तत्वों को निकालने की प्रकिया) करेगी बल्कि मूत्र पथ से पत्थर निष्कासन को भी प्रेरित करेगी। यह वायु प्रदूषण के लिए किए जाने वाले प्रभावी उपचारों में से एक है।

आयुर्वेदिक हर्ब स्टीम

आयुर्वेदिक हर्ब स्टीम – आयुर्वेदिक हर्ब स्टीम और धूप का उपयोग करते हुए आप घर में नमी को आने से रोक सकते हैं जो असहनीय सर्दी और सांस की समस्याओं का प्रमुख कारण है। गुगुलु और अगुरु जैसे आयुर्वेदिक औषधियों को बेहतर रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

नीम

नीम – नीम एक रक्तशोधक औषधि है। यह रक्त प्रवाह को शुद्ध करने के साथ-साथ आपके शरीर से हानिकारक तत्वों को भी निकालता है। नीम त्वचा और म्यूकोसल मेंम्बरेन्स (झिल्ली) पर चिपके प्रदूषकों को भी हटा सकता है। वायु में मौजूद प्रदूषकों से बचने के लिए प्रत्येक दिन दो से चार नीम की पत्तिंयों का सेवन करें।

गुड़

गुड़ – गुड़ एक प्राकृतिक डिटॉक्स (विषहारक) है जो पोषक तत्वों से युक्त है और आपके श्वसन तंत्र, रक्त प्रवाह और आहार नलिका से हानिकारक तत्वों को हटाने में सहायता करती है। प्रत्येक दिन गुड़ का सेवन करें क्योंकि यह बलगम को निकालने वाले उत्कृष्ट पदार्थों में से एक है और आपके खून को शुद्ध करके,  प्रदूषण के प्रभाव से होने वाली खांसी और छींकने जैसी बीमारियों से भी राहत प्रदान करेगी।

अदरक

अदरक – अदरक में जिन्जरॉल और कुछ यौगिक होते हैं जो श्वास तंत्र की सूजन को कम करने में मदद करने के साथ-साथ इसके संकुचन को भी रोकते हैं, यह वायु प्रदूषण को रोकने वाली एक अद्भुत औषधि के रूप में कार्य करती है। अपने प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय रखने के लिए अपने आहार सारिणी में अदरक की चाय को शामिल करें या प्रत्येक दिन एक चुटकी नमक के साथ एक ताजे अदरक के टुकड़ो को चबाएं।

लहसुन और प्याज

लहसुन और प्याज – लहसुन और प्याज का मिश्रण प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और संक्रमण पर काबू पाने में क्रियाशील है। लहसुन और प्याज का मिश्रण अस्थमा की रोकथाम और उपचार में सहायता करता है। चूंकि अदरक और प्याज दोनों एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और ये स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में सहायक होते हैं।  

पिपरमिंट

पिपरमिंट – पिपरमिंट में पाया जाने वाला मेथनॉल, श्वसन तंत्र की पीड़ा को कम करके आराम से सांस लेने में मदद करता है। पिपरमिंट एक एंटी-हिस्टामाइन और एंटी-ऑक्सीडेंट है जो राहत प्रदान करने में प्रभावी है। यह श्वसन तंत्र को हानि पहुँचाने वाले सूक्ष्मजीवों से लड़ता है।

घी

घी – अपने आहार के साथ घी का भी सेवन करें, क्योंकि यह लेड और मरकरी जैसी धातुओं के जहरीले प्रभाव को नष्ट कर सकता है। यह हड्डियों, गुर्दों और यकृत में हानिकारक धातुओं को जमने से रोंकता है। प्रदूषकों से बचने के लिए सोने के समय प्रत्येक दिन 2 बूंद गाय के घी को अपनी नाक में डालें।