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हम पश्चिमी संस्कृति से क्या सीख सकते हैं?

November 17, 2014


हम एक बंद समाज में रहते हैं। अक्सर हम किसी ना किसी को पश्चिमी संस्कृति की बुराई करते सुन सकते हैं, जैसे कि वह बहुत खुली, आधुनिक या आकर्षक है और आज की पीढ़ी को बिगाड़ रही है। हम में से ज्यादातर लोगों को लगता है कि पश्चिमी संस्कृति हमारे मूल्यों को कमजोर कर रही है और समय के साथ हमारी संस्कृति खत्म हो जाएगी।

लेकिन क्या आपको लगता है कि अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना सही है? हमारे समाज में जो कुछ भी हो रहा है वह हमारी वजह से हो रहा है, ना कि किसी अन्य व्यक्ति या समाज की वजह से। क्या आधुनिक कपड़े पहनना, मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, फास्ट फूड खाना हमारे लिए पश्चिमीकरण है? सच तो यह है कि हम दुविधा में हैं। जहां हम हैं वहां हम रहना भी चाहते हैं और आकाश में उंची उड़ान भी भरना चाहते हैं। लेकिन जमीन में गहरी जड़ें रखकर उड़ने से आप किसी भी हालत में गिरते नहीं हैं।

इसके अलावा हर समाज चाहे वो पूर्वी हो या पश्चिमी उसमें कुछ पाॅजिटिव पक्ष भी होता है और कुछ नेगेटिव पक्ष भी होता है। यह तो व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह पाॅजिटिव पहलू अपनाता है या नेगेटिव पक्ष चुनता है।

आज के दौर में, हम में से ज्यादातर लोग आँखे बंद करके आधुनिकता की ओर दौड़ रहे हैं और यह मानने लगे हैं कि पश्चिमी संस्कृति सिर्फ गलत ही कर रही है। लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि पश्चिमी देश हमसे कहीं ज्यादा रफ्तार से विकास कर रहे हैं। भारत के मुकाबले कई पश्चिमी देशों में अपराध की दर बहुत कम है। कम अपराध दर के कारण और उंचे जीवन स्तर के कारण उन देशों के शहर रहने के लिए दुनिया में सबसे पसंदीदा जगहों में आते हैं। तो हमें सभी से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए गलत चीजों को छोड़कर।

हम पश्चिमी संस्कृति से क्या अपना सकते हैं?

समाज और समुदाय मूल्य प्रणाली

गहरी जड़ों वाले पारिवारिक मूल्य भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। माता पिता बच्चों को बड़ा करने का अपना फर्ज पूरा करते हैं, फिर बच्चे बड़े होने पर परिवार के बड़ों का ख्याल रखते हैं। भारतीय संस्कृति में शादी एक पवित्र बंधन है। लेकिन जब समाज की या समुदाय की बात आती है तब हमारा रवैया पूरी तरह अलग होता है। किसी भी खराब स्थिति में हम सोचते हैं कि यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि किसी और की है। जबकि पश्चिम में समुदाय के प्रति वही जिम्मेदारी अच्छी तरह समझी जाती है। पश्चिमी लोग समाज के प्रति चिंता भी करते हैं और जरुरत पड़ने पर बलिदान भी करते हैं।

साफ-सफाई की आदत

हम में से ज्यादातर लोगों की आदत होती है कूड़े को कूड़ेदान में डालने के बजाय यहां वहां फेंकने की। यदि आप किसी पश्चिमी देश में देखें तो आप सफाई के मामले में बड़ा अंतर पाएंगे। वे लोग अपने आसपास बिलकुल सफाई रखते हैं और सड़क, पार्क या सार्वजनिक स्थान पर एक कागज का टुकड़ा भी नहीं फेंकते हैं।

सबकुछ व्यवस्थित रखा जाता है

कुछ पश्चिमी देशों में विभिन्न प्रकार का कूड़ा जैसे प्लास्टिक, रसोई का कचरा आदि, कचरे की अलग अलग थैलियों में डाला जाता है। फिर इन्हें घर के बाहर रखा जाता है जिससे संबंधित संग्राहक उसे उठा ले। लेकिन भारत में खाली पड़ी जमीन पर कचरा फेंकना आम बात है। इसलिए साफ सफाई का भाव हमें उनसे सीखना चाहिए।

यातायात के नियम

आप में से कितनों ने किसी ना किसी को भारत में यातायात के नियम तोड़ते देखा है? मैंने यह कई बार देखा है। लेकिन पश्चिमी लोग यातायात पुलिसकर्मी की गैरमौजूदगी में भी यातायात के नियमों का सख्ती से पालन करते हैं।

परिवहन

भारत के मुकाबले पश्चिमी देशों में परिवहन प्रणाली बहुत अच्छी है। मेरी एक दोस्त इंग्लैंड गई। वह बस से यात्रा कर रही थी। बस अपने नियत स्थान पर रुकी और वहां एक विकलांग व्यक्ति बस की प्रतीक्षा कर रहा था। इस बस में जगह नहीं थी तो ड्रायवर बस से उतरा और उस रुट की दूसरी बस के ड्रायवर से संपर्क कर उस व्यक्ति और उसकी व्हीलचेयर के लिए जगह बनवाई। इसके बाद बस के ड्रायवर ने उस बस के आने तक इंतजार किया। उसने बस तब ही रवाना की जब वह उस विकलांग व्यक्ति को बस में बैठा चुका था। जरुरत पड़ने पर बस के ड्रयवर यात्रियों से बात करते हैं और बहुत विनम्रता से संवाद करते हैं। भारत में ऐसे किस्से मिलना बहुत मुश्किल हैं।

जवाबदेही

पश्चिमी संस्कृति में जवाबदेही की भावना बहुत ज्यादा है, यह हमें उनसे जरुर सीखना चाहिए। हम जो कर रहे हैं हमें उसके प्रति जवाबदार होना चाहिए। हालांकि भारत में महत्वपूर्ण व्यक्ति आम व्यक्तियों के मुकाबले कम जवाबदार होता है।

व्यावसायिकता

पश्चिमी लोगों की तरह व्यावसायिक बनना चाहिए, जो अपने पेशेवर जीवन में अपनी निजी भावनाएं, परेशानी और व्यवहार को दखल नहीं देने देते। इसके साथ ही वे समय के बहुत पाबंद होते हैं और दूसरों के समय का भी सम्मान करते हैं।

इसलिए, आगे बढ़ते हुए अपने मूल्यों और संस्कृति को सहेज कर रखना गलत नहीं है। हमें समय के साथ बेहतरी के लिए बदलना भी चाहिए, क्योंकि दुनिया में सबकुछ बदल रहा है। हमें बेहतरी, प्रगति और विकास के लिए अपने मूल्यों के साथ पश्चिमी संस्कृति के अच्छे मूल्य जरुर अपनाने चाहिए।