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भारत में स्वच्छ और सबसे गंदे रेलवे स्टेशन

June 16, 2017


Cleanest-and-Dirtiest-Railway-Stations-hindiस्वच्छ रेल स्वच्छ भारत

केंद्रीयमंत्री सुरेश प्रभु ने अपने रेल बजट के भाषण में भारतीय रेलपथ के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया जिसे देश के अन्दर यात्रा का मुख्य जरिया एवं परिवहन के सबसे अच्छे तरीकों में से एक माना जाता है। देश के अत्यधिक लोगों द्वारा रेलगाड़ियों और रेलवे स्टेशनों का इस्तेमाल करना इस काम को मुस्किल बनाता है। केंद्रीय मंत्री ने वादा किया था कि इस वित्तीय वर्ष में सरकार देश में लगभग 8000 स्टेशनों को साफ करने के लिए कदम उठाएगी। “यह विचार है कि पूरे रेल नेटवर्क को साफ करना है अभी यह वास्तव में प्रक्रिया की सिर्फ एक शुरुआत है जो अंततः सभी स्टेशनों को एक विशेष मानक के बराबर लाएगा।” उन्होंने एक सर्वेक्षण के परिणाम को बताते हुए कहा कि भारतीय रेलवे स्टेशनों को स्वच्छता के आधार पर श्रेणीकृत किया गया है। यह सर्वेक्षण सरकार के ‘स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत मिशन’ का ही एक हिस्सा है, जो फिर से स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़ा गया है। यह एनडीए सरकार के प्रमुख अभियानों में से एक है।

स्वच्छ रेलवे स्टेशनों की श्रेणियाँ

‘ए-1’ श्रेणी के 75 रेलवे स्टेशनों में, पश्चिमी राज्य गुजरात के डायमंड सिटी सूरत को भारत के सबसे स्वच्छ रेलवे स्टेशन के रूप में स्थान दिया गया था। गुजरात में राजकोट का भी दूसरा स्थान था। तीसरा स्थान छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का था, यह सबसे महत्वपूर्ण रेल जंक्शनों में से एक था। इसके बाद महाराष्ट्र के दो स्टेशन- सोलापुर और मुंबई सेंट्रल आए। सुंदर सिटी से चंडीगढ़ रेलवे जंक्शन अगले स्थान पर था और फिर उड़ीसा में भुवनेश्वर और गुजरात में वडोदरा आए।

‘ए’ श्रेणी के अंतर्गत आने वाले 332 स्टेशनों में से पंजाब का बीस स्टेशन सबसे स्वच्छ था। गुजरात के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक जामनगर और कच्छ की आर्थिक राजधानी गांधीधाम (दोनों गुजरात में) अगले स्थान पर थे। प्रधान मंत्री के गृह राज्य ने ‘ए-1’ और ‘ए’ दोनों स्टेशन रैंकिंग के द्वारा साफ-सफाई सूचकांक में काफी प्रगति की है। गांधीधाम के बाद, गोवा के रंगीन तटीय राज्य के वास्को दा गामा स्टेशन को स्वच्छ माना गया था। तमिलनाडु का कुंबकोणम ऐतिहासिक और शाही शहर के नाम से जाना जाता है जोकि अगला साफ स्टेशन बताया गया है। कुंबकोणम के बाद, महाराष्ट्र के नासिक रोड ने देश में स्वच्छ ‘ए’ श्रेणी के रेलवे स्टेशनों में अपनी जगह बनाई है।

2015 में भारत की स्वच्छता श्रेणी के अनुसार साफ शहरों में मैसूर (कर्नाटक), थिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), नवी मुंबई (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), हसन (कर्नाटक), मांड्या (कर्नाटक), बेंगलुरु (कर्नाटक), तिरुवनंतपुरम (केरल), हल्सीहर (पश्चिम बंगाल), और गंगटोक (सिक्किम) हैं। इन शहरों के स्टेशनों में यह आश्चर्य की बात है कि इन सभी रेलवे स्टेशनो को स्वच्छता श्रेणी में बराबरी का स्थान मिला है।

गंदे रेलवे स्टेशनों की श्रेणियाँ

सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि देश के विभिन्न सबसे गंदे स्टेशनों की भी श्रेणियाँ बनाई जा रही हैं। जिसमें असम का गुवाहाटी जंक्शन सबसे गंदे स्टेशनों की श्रेणी में आया था। यह स्टेशन उत्तर पूर्व के पहाड़ी वाले राज्यों को जोड़ने का मुख्य बिंदु है। हजरत निजामुद्दीन राष्ट्रीय राजधानी उत्तरी रेलवे द्वारा प्रबंधित पाँच मुख्य स्टेशनों में से एक दूसरा सबसे गंदा स्टेशन था। जबकि पश्चिम बंगाल में सियालदाह अगले स्थान पर आया था। सियालदह कोलकाता के भीड़-भाड़ वाले स्टेशनों में से एक है और यह बाहरी ट्रेनों के साथ-साथ इंटर-सिटी ट्रेनों को भी संचालित करता है। अगला गंदा स्टेशन उत्तर प्रदेश का कानपुर सेंट्रल है जो एक प्रमुख रेल जंक्शन भी है। भोपाल जंक्शन, वेस्ट सेंट्रल रेलवे द्वारा प्रबंधित है और सांची के आगंतुकों के लिए प्रमुख कनेक्टिंग सेंटर है जो कानपुर के करीब आ गया है। बिहार का मुजफ्फरपुर जंक्शन ‘ए-1’ श्रेणी में देश के शीर्ष गंदे स्टेशनों में अगले स्थान पर है।

लगता है कि उत्तर प्रदेश स्वच्छ स्टेशन रैंकिंग में खराब प्रदर्शन कर चुका है। ‘ए’ श्रेणी के रेलवे स्टेशनों में शीर्ष तीन सबसे गंदे स्टेशन निम्न राज्यों से संबंधित हैं – शाहगंज, बलिया और जंघाई जो शीर्ष पर रहे हैं। मधुबनी बिहार में प्रसिद्ध मधुबनी चित्रों का घर है जो सर्वेक्षण में सबसे गंदे रेलवे स्टेशनों में आया है। उसके बाद बिहार का ‘ए’ श्रेणी का एक स्टेशन बख्तियारपुर गंदे रेलवे स्टेशनों में आया है। भारत में अपनी सामान्य सफाई और सुंदरता में मसहूर होने के बावजूद, कर्नाटक अगले स्थान पर रायचूर के साथ अगले सबसे गंदे स्टेशन के रूप में लिया गया है।

सर्वेक्षण

सर्वेक्षण के संचालन का कार्य, जिसके आधार पर इन श्रेणियों को अंतिम रूप दिया गया है, इसका आयोजन भारतीय रेलवे आहार प्रबन्ध और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा किया गया था। आईआरसीटीसी ने व्यापारिक सलाहकार और बाजार शोधकर्ता, टीएनएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को बढ़ावा दिया।

जनवरी से फरवरी 2016 के बीच विभन्न क्षेत्रों के कई यात्रियों से साक्षात्कार लिया था। उन लोगों से अलग-अलग मानदंडों के आधार पर 407 रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता और स्वच्छता दर का मूल्यांकन करने के लिए भी कहा था। इन स्टेशनों में ‘ए-1’ श्रेणी के 75 स्टेशन और भारत के 16 क्षेत्रीय रेलवे द्वारा प्रबंधित 332 ‘ए’ श्रेणी के स्टेशन शामिल हैं।

‘ए-1’ श्रेणी में वे स्टेशन शामिल हैं जो सालाना 60 करोड़ या इससे अधिक वार्षिक राजस्व अर्जित करते हैं जबकि ‘ए’ श्रेणी में वे स्टेशन हैं जो 6 करोड़ रुपये से लेकर 50 करोड़ रुपये के बीच वार्षिक आय अर्जित करते हैं। मंत्री द्वारा अब तक केवल प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की गई है। अंतिम रिपोर्ट में रेलवे के कर्मचारियों, विक्रेताओं और उपलब्ध बुनियादी ढांचे के अध्ययन से संबंधित प्रतिक्रियाओं सहित विभिन्न दृष्टिकोणों को शामिल करने की संभावना है। एक बार जब अंतिम विवरण पेश हो जाता है, तो मंत्रालय द्वारा प्रमुख रेलवे स्टेशनों की सफाई दर में सुधार करने के लिए कार्रवाई करने की संभावना अधिक हो जाती है।