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नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात में विकास

May 24, 2017


gujarat-developmentनरेंद्र मोदी ने गुजरात के लिए क्या किया?

नरेंद्र मोदी से पहले गुजरात की स्थितिः

कई संशयवादी लोगों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के आने से पहले ही गुजरात का का विकास हो रहा था। यह एक तथ्य है कि, मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री बनने से पहले ही गुजरात ने अपनी तरक्की का 35% हिस्सा हासिल कर लिया था।       इसके अलावा, यदि हम राज्य में औद्योगिक विकास के बारे में बात करें, तो यह स्पष्ट है कि 1960 से 1990 के बीच गुजरात ने इस क्षेत्र में काफी विकास किया और औद्योगिकीकरण के मामले में अन्य राज्यों से आगे निकल गया था। गुजरात पेट्रोरसायन, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग, कपड़ा, रसायन, डेयरी, सीमेंट, चीनी मिट्टी की वस्तुऐं और आभूषण आदि की औद्योगिकी के क्षेत्र में आगे रहा है। 1994 से 2002 के बीच (उदारीकरण की अवधि में) गुजरात का राज्य घरेलू उत्पाद (एसडीपी) औसतन 14% प्रतिवर्ष रहा है। लेकिन जैसे एक अच्छा जहाज एक योग्य कप्तान के बिना बेकार है इसी प्रकार कुशल नेतृत्वकर्ता के अभाव में एक प्रगतिशील राज्य ज्यादा विकास नहीं कर सकता है। गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीन कार्यकालों के दौरान नरेंद्र मोदी ने, राज्य को अधिक आर्थिक लक्ष्यों के लिए संचालित करने और गुजरात की वृद्धि और विकास के लिए स्थिरता सुनिश्चित करने के मामले में, अपना अनिवार्य नेतृत्व प्रदान किया।

नरेंद्र मोदी द्वारा किये गये प्रयास

गुजरात में व्यापक औद्योगिकीकरण के लिए नरेंद्र मोदी के प्रयास:

आज गुजरात औद्योगिकीकरण का केंद्र है, गुजरात की स्थित संभावित कंपनियों, उद्योगपतियों और निवेशकों के बीच पहली पसंद है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि उद्योगपति और निवेशक, भारत के राज्यों में आर्थिक विकास की सूची में गुजरात की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। यह नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व है जिन्होंने, अपने व्यापार के रवैये से औद्योगिकीकरण के लिए जरूरी मान्यताओं को त्वरित रूप से वितरित किया, औद्योगिकीकरण के प्रयासों और सही कार्यों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया, जिससे उद्योगपति और निवेशक आकर्षित हो रहे हैं। जब टाटा नैनो परियोजना को तृणमूल कांग्रेस और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पश्चिम बंगाल से हटा दिया गया था तब मोदी ने नैनो परियोजना का न केवल स्वागत किया बल्कि केवल तीन दिनों में ही इस परियोजना के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान की थी।

इसलिये, जब नरेन्द्र मोदी ने निजी निवेश के लिए गुजरात को स्वाधीन कर दिया था तब, उद्यमियों, उद्योगपतियों और निवेशकों ने गुजरात में आना शुरू कर दिया। नरेन्द्र मोदी को उद्यमियों, उद्योगपतियों और निवेशकों ने अपने इरादों और उद्देश्यों के लिए एक अनुकूल समर्थक के रूप में पाया। व्यापार को बढ़ावा देने के लिये मोदी के सकारात्मक और अनोखे दृष्टिकोण की उन्होंने सराहना की। कई व्यवसायों के प्रमुख अनिल अंबानी अब मोदी के समर्थकों की सूची में एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, उन्होंने गुजरात व्यावसायिक सम्मेलन में 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों में, भारत के भावी प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का समर्थन किया। इसमें अगले समर्थक के रूप में महत्वपूर्ण औद्योगिक व्यक्तित्व सुनील मित्तल ने भी इसका समर्थन किया। 2002 में होने वाले भयानक दंगे, जिसमें  लगभग 2000 लोगों का जीवन दांव पर लगा था, भी ज्यादा समय तक गुजरात की समृद्धि को रोक नहीं पाये। जब मोदी पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाये गये एक विशेष जांच दल ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी, अब तक उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।

हालांकि संदेहवादी यह तर्क दे सकते हैं कि भारत की चीन के साथ तुलना करना  व्यर्थ है क्योंकि चीन पूरी तरह से हमारे राष्ट्र से बहुत आगे है,सिर्फ गुजरात के आर्थिक विकास को प्रदर्शित करने के लिए यह तथ्य होगा, कि गुजरात का ऑटोमोबाइल उद्योग क्षेत्र और डायमंड पॉलिशिंग क्षेत्र चीन के गुआंग्डोंग औद्योगिक प्रांत के लगभग बराबर है। एसोसिएटेड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में इस तथ्य के पुष्टि की गयी है, कि पिछले पाँच वर्षों में भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा गुजरात ने मूल्य और आंकड़ों दोनों के मामले में सबसे अधिक निवेश प्रस्ताव दर्ज किए हैं। वर्तमान समय में गुजरात टाटा समूह और फोर्ड जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिये एक बेहतर विकल्प है। इसीलिए गुजरात आगे रहता है,जबकि देश के अन्य राज्य अभी भी कम निवेश और बेरोजगारी से ग्रस्त हैं। मुंबई में अख़बार मिंट के समीक्षक, प्रशांत अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि, “मैं उन लोगों से मिल रहा हूँ जो गुजरात की दक्षता के बारे में सोचते हैं”। आधिकारिक प्रक्रिया में जटिलता, निष्क्रियता और नौकरशाही खत्म हो गयी है। व्यापार के लिए गुजरात खुला हुआ है। सामाज के लिये निश्चित रूप से और भी अधिक कार्य किये जा सकते हैं, लेकिन सच यह है कि मोदी भारत में रोजगार उत्पन्न कर रहे हैं।

मोदी सरकार के द्वारा गुजरात के विकास को व्यावहारिक मापदंड देने के लिये हर दो वर्षों बाद व्यावसायिक गुजरात सम्मेलन का आयोजन होता है। सम्मेलन में राज्य में हुऐ महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में बताया जाता है इसमें प्रसिद्ध कारोबारियों, संभावित निवेशकों और इच्छुक उद्योगपतियों द्वारा भाग लिया जाता है। वास्तव में कौन है देश का सच्चा हितैषी? 2013 में आयोजित हुऐ गुजरात व्यावसायिक सम्मेलन में भारत की बड़ी औद्योगिक हस्तियों जैसे मुकेश अंबानी और रतन टाटा ने भाग लिया और नरेन्द्र मोदी को गुजरात के औद्योगिकीकरण में अपने सफल प्रयासों के जरिये नौकरशाही को खत्म करने, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को बनाने और विवाद मुक्त भूमि के फैलाव के माध्यम से औद्योगिकीकरण को भूमि उपलब्ध करवाने के लिये व्यक्तिगत रूप से बधाई दी थी। यहाँ उल्लेखनीय है कि जापान और कनाडा ने देश के भागीदार के रूप में 2013 के व्यावसायिक गुजरात सम्मेलन में भाग लिया, जो वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मोदी सरकार के द्वारा राज्य में हुऐ विकास और उन्नति के महत्व की पुष्टि करता है। सीधे शब्दों में कहें तो, व्यावसायिक गुजरात सम्मेलन को अब महत्वपूर्ण उद्योगपतियों और निवेशकों के सम्मेलन के लिए एक राष्ट्रव्यापी मंच के रूप में जाना जा सकता है, वह भविष्य में अपने निवेश के लिये ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिये यहाँ पर इकट्ठा हो सकते हैं और भारत में एक शानदार बदलाव ला सकते हैं। यूपीए-2 सरकार द्वारा 2001 में  आयकर की जांच के साथ संभावित निवेशकों को डराने के बावजूद भी 2013 में गुजरात व्यावसायिक सम्मेलन ने अपनी सफलता को जारी रखा। सीधे तौर पर कहें तो, नरेंद्र मोदी का कारोबार पर केंद्रित रवैया, अद्वितीय कार्य शैली और दूरदर्शिता गुजरात की तरक्की का एक मुख्य कारण है, वरना यह राज्य मोदी जैसे नेता के नेतृत्व के बिना (राष्ट्रीय और वैश्विक परिक्षेप्य में) समृद्धि के लिये प्रसिद्ध नहीं हो पाता।

गुजरात में एफडीआई के लिए नरेंद्र मोदी के प्रयास:

ओडिशा की तरह गुजरात में प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा कोई स्त्रोत नहीं है जिसने   उस विशेष संसाधनों की चाहत रखने वाले विदेशी निवेशकों को यहाँ आकर्षित किया हो। लेकिन मोदी के कारोबार की दक्षता ने गुजरात को सीमित व्यवहार्य क्षेत्रों में भी एफडीआई को आकर्षित करना संभव कर दिया दिया है, इस तथ्य के बावजूद इसका श्रेय मोदी जी को जाता है कि गुजरात विकास के लिये देर से शुरू होने वाला राज्य है और इस राज्य में कोई महानगर नहीं है।

गुजरात में बेरोजगारी को रोकने के लिए नरेंद्र मोदी के प्रयास:

2009-2010 के एनएसएसओ सर्वेक्षण के आंकड़े यह दावा करते हैं कि गुजरात में रोजगार की समस्या है,जो वास्तव में हास्यास्प्रद है। गुजरात,श्रम ब्यूरो,2012 के सर्वेक्षण रिपोर्टों के मुताबिक देश के अन्य सभी राज्यों की तुलना में केवल 1% की न्यूनतम बेरोज़गारी दर्ज की जाती है, जहाँ एक ही रिपोर्ट द्वारा राष्ट्रीय बेरोजगारी दर का अनुमान3.8%है। राज्य में मनरेगा के लिए लघु दावे,ग्रामीण गरीबों के बीच रोजगार की काफी महत्वपूर्ण दर का मानदंड है। यहाँ उल्लेख किया जाना चाहिये, कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात में शहरी महिलाओं में रोजगार की उच्चतम दर दर्ज की गयी है।

गुजरात में गरीबी उन्मूलन के लिए नरेंद्र मोदी के प्रयास:

वास्तव में, मानव विकास सूचकांक के अनुसारगरीबी के मामले में केरल के बाद गुजरात पांचवें स्थान पर है, जो बहुत ही भ्रामक है। उदाहरण के लिए गरीबी रेखा के नीचे राज्यों की आबादी का मुद्दा उठाऐं। योजना आयोग के सर्वेक्षण आंकड़ों ने पुष्टि की है कि 2004-2005में गुजरात में31.6%गरीबी थी जो तेजी से गिरावट के साथ2009-2010 में23% तक हुँच गयी। ग्रामीण गरीबी में पिछले पांच सालों में39.1%से26.7% की सराहनीय और अनुकरणीय गिरावट दर्ज की गयी, यह सब मोदी सरकार द्वारा गरीबी पर आक्रामणशील ध्यान केंद्रित करने के लिये संबंधित मुद्दों को संबोधित कर रही है।

गुजरात के महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिये नरेंद्र मोदी के प्रयास:

यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि मानव विकास सूचकांक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के विपरीत, मोदी सरकार विशेष रूप से कुपोषित और ऐसे ही अन्य बच्चों के कल्याण और शैक्षिक अवसंरचना के सुधार जैसे मुद्दों पर ध्यान देने में सक्रिय है। नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से बालिकाओं के पक्ष में वकालत की थी और महिलाओं को सशक्तीकरण के विभिन्न पहलुओं के माध्यम से महिलाओं के पक्ष में शक्ति के मुद्दे को बरकरार रखा था। मोदी द्वारा किये गये इन निरंतर प्रयासों से राज्य के लिंग अनुपात में सुधार हुआ है, यह मोदी द्वारा किये गये प्रभावशाली शासन के तहत एक शानदार बदलाव आया था। यहाँ, यह भी उल्लेख किया जाना चाहिऐ कि, राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई जन्मपूर्व और प्रसवकालीन चिकित्सा सुविधाओं ने गुजरात को सबसे कम बाल मृत्यु दर वाले राज्यों में से एक बना दिया है, देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले यहाँ 41% कम प्रभावशाली आंकड़े पाये गये हैं।

राज्य के एकीकृत विकास के लिए नरेंद्र मोदी द्वारा कार्यान्वित योजनाऐं:

  • गुजरात के समग्र विकास के लिए नरेंद्र मोदी ने कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें से कुछ यह हैं:
  • सुजलाम सुफ़लाम्ः इस कार्यक्रम को राज्य में जल वितरण, संरक्षण और उचित उपयोग में एकीकृत विकास के लिये लागू किया गया था।
  • चिरंजीवी योजना: इस योजना को राज्य में बाल मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था।
  • कृषि  महोत्सव: कृषि सुधारों की सुविधा के लिए अनुसंधान और विकास कार्यक्रम।
  • पंचामृत योजना: राज्य के समग्र विकास को बढ़ाने के लिए एक पाँच बिंदु नीति।
  • बेटी बचाओ: इस योजना को कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और राज्य में एक स्वस्थ लिंग अनुपात स्थापित करने के लिये लागू किया गया था।
  • कर्मयोगी अभियान: यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम है।
  • बालभोग योजना: यह योजना अत्यंत गरीब बच्चों को स्कूल में आकर्षित करने के लिये बनाई गयी है, इस योजना में मिड-डे मील योजना की तरह दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
  • मटरू वंदना: प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य योजना के तहत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये इस कार्यक्रम को लागू किया गया था।
  • कन्या केलवानी योजना: महिलाओं में साक्षरता आरंभ करने और साथ ही में अधिक शैक्षिक विकास के लिए इस कार्यक्रम की शुरूआत की गयी।
  • ज्योतिग्राम योजना: सभी गांवों को बिजली की आपूर्ति के प्रावधान के लिए इस कार्यक्रम की शुरूआत की गयी।

2013-2014 के लिये मोदी सरकार द्वारा बनाया गया बजटः

मोदी सरकार ने बजट सत्र 2013-2014 में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया जिनमें यह बिंदु हैः

  • श्रम और रोजगार विभाग के लिये अनुदान में 75% की वृद्धि करना।
  • आईटीआई संस्थानों में 5000नई सीटें संलग्न करना और आदिवासी क्षेत्रों में नए आईटीआई संस्थानों की स्थापना करना।
  • 18 विशेष जातियों में 48 नए अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना करना।
  • गरीबों और मेधावी छात्रों के लिए मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति निधि का आवंटन करना।
  • शिशु पोषण और देखभाल सुविधाओं से सुसज्जित 22 अस्पतालों की स्थापना करना।

निष्कर्ष:

अब मुझे लगता है कि ‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात के लिए क्या किया? अच्छी तरह से उत्तर दिया। उन संदेहवादियों के विपरीत जिनका यह तर्क है कि यह अलादीन अपने जादुई चिराग के साथ है जो वर्तमान समय के गुजरात के लिए जिम्मेदार है, तथ्य यह है कि गुजरात की सफलता की कहानी के पीछे का व्यक्ति नरेंद्र मोदी है। मोदी की सत्ता में तीन बार शानदार जीत ने आज के आदर्श गुजरात के निर्माण में मोदी के योगदान को साबित कर दिया है और गुजरात की आबादी मोदी के प्रति असीम विश्वास को दर्शाती है। मोदी ने न केवल राज्य के औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि पूरे गुजरात के एकीकृत विकास पर भी जोर दिया है। गुजरात में नैनो परियोजना के स्थानांतरण के बाद, रतन टाटा ने एक बार टिप्पणी की थी कि ‘यदि आप गुजरात में नहीं हैं तो यह बेवकूफी है’। टाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष ने कहा कि वास्तव में यह प्रशंसा करने योग्य बात है कि नरेंद्र मोदी से नए और चमकीले गुजरात के आर्किटेक्ट के रूप में उम्मीद की जा सकती है।