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भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक

September 8, 2017


भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक

नृत्य का ताल अंतरंग को गुंजायमान कर देता है। भारतीय विरासत में विभिन्न प्रकार की परंपराएं, ललित कलाएं, लोक संगीत और नृत्य हैं। नृत्य के प्रदर्शनकारी (नर्तक) संगीत की गतिशीलता के माध्यम से अपने आप को व्यक्त करने के योग्य बनाते हैं। शास्त्रीय नृत्य या भारतीय शास्त्रीय नृत्य पूरी दुनिया में मशहूर है। नृत्य की अभिव्यक्ति सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिबंधों के दायरे से परे है। संगीत नाटक अकादमी ने आठ शास्त्रीय नृत्य की शैलियाँ – भरतनाट्यम, कथक, कुचीपुड़ी, ओडिसी, कथकली, सत्रीया, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम को मान्यता प्रदान की है। हालांकि, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने, भारत के अर्ध-शास्त्रीय नृत्य “छौ” को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की सूची में शामिल किया है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, असंख्य पौराणिक कहानियों का प्रभावी ढंग से, पीढ़ी दर पीढ़ी अभिव्यक्ति करने का सबसे बेहतरीन माध्यम है। भारतीय शास्त्रीय नर्तक या नर्तकियाँ अपने अविश्वसनीय प्रदर्शन के कारण दुनिया भर में मशहूर हैं और शास्त्रीय नृत्य में एक मानदण्ड (बेंचमार्क) का भी निर्धारण किया गया है। यहाँ भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक का उल्लेख किया गया हैं।

पंडित बिरजू महाराज (पंडित बृजमोहन मिश्र)

पंडित बिरजू महाराज ने संगीत नाटक अकादमी से प्रसिद्ध पद्म विभूषण पुरस्कार और कालिदास सम्मान प्राप्त किया है। बिरजू महाराज ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य के रूप, कथक को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। उन्होंने अपने कथक नृत्य नाटक में मानदण्ड का निर्धारण किया है। पंडित बिरजू महाराज एक कथक नर्तक हैं और उन्होंने कथक के छात्रों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ दुनिया भर की यात्रा की है और हजारों नृत्य प्रदर्शन किए हैं। पंडित बिरजू महाराज कलाश्रम के संस्थापक भी हैं। पंडित बिरजू महाराज ने सात साल की उम्र में, अपने पहले गायन कार्यक्रम की प्रस्तुति की थी। पंडित बिरजू महाराज, ईश्वर प्रसाद जी (कथक शिक्षक के नाम से विख्यात) के वंशज है और इनकी भारतीय शास्त्रीय संगीत पर भी बेहतरीन पकड़ है। बिरजू जी महाराज एक कुशल गायक है। बिरजू जी ने संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी में, अपनी सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी (नृत्यकला) के लिए फिल्मफेयर अवार्ड (2016) जीता है। इसके अलावा, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टर की डिग्री (उपाधि) भी प्राप्त की है।

सोनल मानसिंह

सोनल मानसिंह ओडिसी नृत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है और यह एक प्रतिष्ठित भारतीय शास्त्रीय नर्तकी के रूप में जानी जाती हैं। सोनल मानसिंह ने वर्ष 1962 में अपने नृत्य कैरियर की शुरुआत की थी। सोनल मानसिंह ने नई दिल्ली में भारतीय शास्त्रीय नृत्य केंद्र की स्थापना की। वर्ष 1992 में सोनल मानसिंह को पद्म भूषण और वर्ष 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जबकि सोनल मानसिंह ने वर्ष 2003 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार) प्राप्त किया था। वह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के लिए नामांकित “नवरत्नों” में से एक थीं। भारत की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक व्यक्तित्व वाली सोनल मानसिंह को जी.बी. पंत विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस (सम्मान से संबंधित) और संबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (सम्मान से संबंधित) की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

मल्लिका साराभाई

बहुमुखी व्यक्तित्व वाली मल्लिका साराभाई एक प्रसिद्ध कुचीपुड़ी और भरतनाट्यम नर्तकी हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों जैसे पद्म भूषण और संगीत नाटक अकादमी के साथ-साथ और भी कई अन्य पुरस्कारों को जीता है। वह अपने थिएटर (नाटकशाला) कार्य के जरिए समाज की चुनौतियों को दर्शाती हैं। उन्होंने अभिनय, लेखन और प्रकाशन के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है। मल्लिका साराभाई फ्रेंच पाल्म डी या फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं।

रुक्मिणी देवी अरुंडेल

प्रसिद्ध भरतनाट्यम की प्रतिपादक और कलाक्षेत्र की संस्थापक रुक्मिणी देवी अरुंडेल को, वर्ष 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। पशु अधिकारों और कल्याण कार्यकर्ता का यह मानना है कि एक बार भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा रुक्मिणी देवी को भारत के राष्ट्रपति पद की पेशकश की गई थी, जिसको इन्होंने अस्वीकार कर दिया था। रुक्मिणी देवी नृत्य, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अपने दूरदर्शी काम के लिए जानी जाती हैं। रुक्मिणी देवी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत का पुनर्जागरण करने में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने वर्ष 1967 में संगीत नाटक अकादमी से फेलोशिप भी प्राप्त किया था और आज भारत की सूची में 100 लोग हैं, जिन्होंने भारत को सशक्त बनाने में बहुत योगदान दिया है।

शोवना नारायण

प्रसिद्ध कथक कलाकार शोवना नारायण, भारत की कलात्मक परंपरा का एक अवतार हैं। शोवना नारायण वर्ष 1992 में पद्म श्री पुरस्कार और वर्ष 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित की गई थीं। इस प्रसिद्ध कथक नर्तकी ने नृत्य से संबंधित दस किताबें लिखी हैं। 1970 के दशक के दौरान इन्होंने अपने आप को नर्तकी के रूप में प्रस्तुत किया था। इनका नृत्य, शक्ति और भावनात्मक गहराई के संदेश से परिपूर्ण होता है। मिरांडा हाउस की पूर्व छात्रा रह चुकी शोवना नारायण ने, वर्ष 2008 में मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा और सामरिक अध्ययन में एम. फिल की डिग्री और वर्ष 2001 में पंजाब विश्वविद्यालय से सामाजिक विज्ञान में एम. फिल की डिग्री हासिल की थी।

उदय शंकर

वर्ष 1971 में पद्म विभूषण से सम्मानित उदय शंकर, पश्चिमी नाट्य पद्धतियों के अनुकूल होने के कारण जाने जाते हैं और इन्होने पारंपरिक हिंदू नृत्य का प्राचीन कला के रूप में भारत, यूरोप और संयुक्त राज्य में बखूबी प्रसार किया है। यह वर्ष 1962 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा देसीकोट्टमा पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे।

यामिनी पूर्णतिलकाकृष्णमूर्ति

यामिनी कृष्णमूर्ति के नाम से मशहूर, वह एक प्रसिद्ध कुचीपुड़ी और भरतनाट्यम नर्तकी है। यामिनी कृष्णमूर्ति ने वर्ष 1957 में सत्रह वर्ष की आयु में नृत्य से अपने कैरियर की शुरूआत की थी। वर्ष 1968 में उन्हें पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण और 2016 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2014 में, यामिनी कृष्णमूर्ति को महिला दिवस के अवसर पर “उत्कृष्ट-नायिका के व्यक्तित्व”  नृत्य के लिए, शम्भवी स्कूल द्वारा “नाट्य शास्त्र” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।