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प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिक राजवंश

May 1, 2018
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प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिक राजवंश

भारत में सदियों से राजनीतिक परिवारों का इतिहास विस्तृत रहा है, ये राजवंश राजनीति में स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सक्रिय रूप से शामिल होते रहे हैं। कई वंश एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक विरासत के रूप में अपना निर्वाचन क्षेत्र सावधानीपूर्वक सौंपते हुए राजनीतिक राजवंशों के रूप में उभर कर सामने आए हैं।

हालांकि, भारत में एक बड़ी संख्या में राजनीतिक राजवंशों का अस्तित्व कई अन्य बाहरी लोगों के लिए असामान्य बात हो सकती है, लेकिन यह केवल राजसी गौरव की परंपरा रही है कि शासन करने का अधिकार सदियों से जन्म अधिकार के रूप में देखा जाता रहा है। इन राजघरानों के भूतपूर्व लोगों ने अब राजनीतिक राजवंशों के लिए सफलता के द्वार खोल दिए हैं और वे भारत के विभिन्न राज्यों में तथा विभिन्न राजनीतिक क्षेत्रों में कामयाब हो रहे हैं।

राजनीतिक राजवंशों की सूची लंबी है, इसलिए यहाँ पर भारत के केवल कुछ प्रमुख और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवारों को ही सूचीबद्ध किया जा रहा है।

नेहरू /गांधी परिवार

इसमें कोई संदेह नहीं है कि नेहरू / गांधी परिवार भारत का सबसे प्रतिष्ठित और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार है, जो पीढ़ियों, राजनीतिक प्रभाव और लोकप्रियता के मामले में किसी भी अन्य परिवार से अनोखा है और हमारी सूची में शीर्ष पर है।

गांधी परिवार का राजनीतिक सफर, दिल्ली के जोरानी और गंगाधर नेहरू के यहाँ 24 सितम्बर 1861 को जन्मे मोतीलाल नेहरू के साथ शुरू हुआ था। वह एक सफल वकील थे और इसके साथ ही साथ वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरुआती सदस्यों में से एक थे, जहाँ  उन्होंने दो पदों की अध्यक्षता भी संभाली थी। मोतीलाल नेहरू के तीन बच्चे- एक पुत्र जवाहर लाल और सरुप (जिन्हें बाद में विजय लक्ष्मी पंडित के रूप में जाना गया) तथा कृष्णा (जिन्हें बाद में कृष्णा हुशहेसिंग के नाम से जाना गया, जो एक प्रसिद्ध लेखिका के रूप में जानी जाती थीं) दो पुत्रियां थीं।

जवाहरलाल नेहरू जी को अंग्रेजी की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा दी गई थी, जिसकी वजह से नेहरू जी अपने पिता की तरह एक सफल वकील बन गए थे, बाद में नेहरू जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और इस पार्टी में उन्होंने अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। भारत को आजादी मिलने के बाद, ये भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और उनकी एक बेटी थी, जिनका नाम इंदिरा था।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान छोटी सी उम्र में ही इंदिरा जी को राजनीतिक गतिविधि से अवगत कराया गया था और अपने पिता द्वारा प्रोत्साहित किया गया था, नेहरू जी ने उनके सलाहकार के रूप में भी भूमिका निभाई थी।

इंदिरा जी ने फिरोज गांधी से शादी कर ली और शादी के बाद ये इंदिरा गांधी कही जाने लगीं। वे भारत के सबसे प्रसिद्ध प्रधानमंत्रियों में से एक बन गईं और उनके दो बेटे संजय गांधी तथा राजीव गांधी थे।

इंदिरा गांधी जी के बड़े बेटे संजय गांधी भारतीय राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन एक दुखद हवाई दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। उनकी विधवा पत्नी, मेनका गांधी बाद में भाजपा में शामिल हो गई तथा वे वर्तमान समय में एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवा भी कर रही हैं। मेनका गांधी के बेटे, वरुण गांधी भाजपा के एक क्रियाशील सदस्य हैं।

इंदिरा गांधी के छोटे बेटे, राजीव गांधी ने यू0के0 (ब्रिटेन) में अपनी पढ़ाई पूरी करके एक कामर्शियल एयरलाइन पॉयलट (वाणिज्यिक विमान पायलट) बनने का लक्ष्य बनाया था, अपनी पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात इटली की एक छात्रा सोनिया से हुई थी, जिनसे उन्होंने शादी की। बाद में वे भारत के प्रधानमंत्री चुने गए लेकिन वे एक भयंकर आत्मघाती बम हमले का शिकार हो गए थे और अपने प्राणों से हाथ धो बैठे। राजीव गांधी की विधवा पत्नी सोनिया गांधी के पास भारत की प्रधान मंत्री बनने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने इस अवसर को छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और इसके अध्यक्ष के रूप में वे आज तक राजनीतिक में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

सोनिया गांधी के बड़े बेटे, राहुल गांधी आज कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, जबकि उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी राजनीति में सक्रिय हैं।

सिंधिया परिवार

पूर्व महाराजा जॉर्ज जिवाजीराव सिंधिया की विधवा पत्नी राजमाता विजयराजे सिंधिया, सन् 1962 में राजनीति में शामिल हुई थीं। राजमाता विजयराजे शुरू में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई और फिर स्वतंत्र पार्टी में स्थानांतरित हो गई लेकिन जल्द ही वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं और अपने अंतिम दिनों तक इस पार्टी के साथ रहीं। राजमाता विजयराजे सिंधिया का एक बेटा और दो बेटियां थीं।

उनके पुत्र, दिवंगत माधवराव सिंधिया, कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवा की। राजनीतिक और व्यक्तिगत मतभेदों के कारण उनकी मां के साथ उनका संबंध कई सालों तक सौहार्दपूर्ण नहीं रहा था।

दिवंगत माधवराव सिंधिया की दो बड़ी बहनें, पद्मावती राजे और उषा राजे सक्रिय रूप से राजनीति में शामिल नहीं हुईं, उनकी दो छोटी बहनें, वसुंधरा राजे (राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री) और यशोधरा राजे भाजपा पार्टी की सक्रिय सदस्य रही हैं। माधवराव सिंधिया के बेटे, ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे हैं और इसके साथ ही साथ ये केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री पद पर भी रहे हैं।

सिंधिया परिवार राजनीति में एक शक्तिशाली पार्टी बना हुआ है, जो अपने संबंधित दलों पर काफी प्रभाव डालता रहता है।

अब्दुल्ला परिवार

शेख अब्दुल्ला जी ने नेशनल कांफ्रेंस पार्टी की स्थापना की और जम्मू-कश्मीर के राजनीति मामले में सबसे आगे रहे हैं। शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली राजनीतिक नेता के रूप में उभरे। उन्होंने महाराज हरि सिंह के तहत कश्मीर की रियासत पर प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की है और बाद में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद को भी सुशोभित किया।

शेख अब्दुल्ला जी के बेटे फारूक अब्दुल्ला एक बहुत ही मुखर और शानदार राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की और अब फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व कर चुके हैं और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा कर चुके हैं। फारूक अब्दुल्ला की बेटी, सारा अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी के युवा नेता, पायलट सचिन से शादी की है।

अब्दुल्ला परिवार काश्मीरी राजनीति में लगातार प्रभावशाली रहा है।

देवेगौड़ा परिवार

माननीय एच. डी. देवेगौड़ा ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की है। इससे पहले उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पद पर भी कार्य किया था। देवेगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाला था जबकि उनके दूसरे बेटे एच.डी. रेवन्ना ने कर्नाटक सरकार में पीडब्ल्यूडी पार्टी में मंत्री के रूप में सेवा की है।

देवेगौड़ा परिवार राजनीति में सक्रिय रहा है और राज्य की राजनीति में इसका प्रभाव भी कायम है।

बादल परिवार

प्रकाश सिंह बादल पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल उपमुख्यमंत्री हैं। सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल एक राजनीतिज्ञ हैं और वर्तमान में भारत सरकार के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं, और वे साथ ही साथ भटिंडा लोक सभा की सांसद भी हैं। पंजाब में बादल परिवार एक बड़ी राजनीतिक ताकत रहा है और इस परिवार के लोग राज्य में अकाली दल के प्रभावशाली सदस्य भी हैं।

पटियाला का शाही परिवार (कैप्टन अमरिंदर सिंह)

पंजाब के पूर्व मुख्यमन्त्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला राज्य के महाराजा यादविंद्र सिंह और राजमाता महारानी मोहिन्दर (मेहताब) कौर के पुत्र हैं। राजमाता ने संसद सदस्य के तौर पर सेवा की, जबकि उनके पुत्र कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे। उनकी पत्नी परनीत कौर कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं, वे विदेश मामलों की राज्य मंत्री और सांसद भी हैं। उनके बेटे रनिंदर सिंह राज्य में कांग्रेस पार्टी के एक सक्रिय सदस्य हैं।

इस शाही बादल परिवार का नेतृत्व करने वाले अकाली दल के साथ पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता रहा है और राज्य की राजनीति पर नियंत्रण के लिए यह परिवार अपनी प्रतिद्वंद्विता जारी रखा है।

पटनायक परिवार

विजयानंद (बीजू) पटनायक ब्रिटिश विमान के तहत रॉयल एयर फोर्स के एक शानदार पायलट थे। वह बीजू पटनायक ही थे, जिन्होंने सन् 1947 में सीमा पार से उग्रवादियों द्वारा कश्मीर छापे के दौरान एक सिख रेजिमेंट के सैनिकों के साथ पहली उड़ान भरी थी और हमलावरों से कश्मीर को बचाने में सफल रहे थे।

वे जवाहरलाल नेहरू के घनिष्ठ सहयोगी थे और उनकी रूचि राजनीति में होने के कारण वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।

सन् 1969 में इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर उन्होंने उड़ीसा में उत्कल कांग्रेस का गठन किया। 70 के दशक में, उन्होंने जयप्रकाश नारायण द्वारा नेतृत्व किए जा रहे आंदोलन में अपना सहयोग दिया और अस्तित्व में आने के बाद जनता पार्टी में शामिल हो गए और अंत तक इस पार्टी के साथ बने रहे।

विजयानंद पटनायक के बेटे नवीन पटनायक, उड़ीसा के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, उनकी बेटी गीता मेहता अंग्रेजी की एक अच्छी लेखिका के रूप में जानी जाती हैं। नवीन पटनायक ने अपने पिता की मृत्यु के बाद बीजू जनता दल की स्थापना की और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में एक कैबिनेट खनन मंत्री के रूप में सेवा की है।

ओडिशा में नवीन पटनायक एक मजबूत और लोकप्रिय नेता रहे हैं।

करुणानिधि परिवार

एम. करुणानिधि राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (डीएमके) के प्रमुख नेता हैं, इस राजनीतिक दल का गठन 1969 में सी. एन. अन्नादुराई द्वारा किया गया था। तमिल सिनेमा के एक पूर्व नाटककार और पटकथा लेखक एम करुणानिधि, ने 60 सालों से अधिक वर्षों में राजनीतिक करियर में अपनी पूर्ण भागीदारी निभाई है और पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।

मुत्तुवेल करुणानिधि ने तीन शादियाँ कीं, उनकी तीन पत्नियां और छह बच्चे हैं। उनके बेटे हैं- स्वर्गीय एम. के. मुत्तु, एम. के. अलागिरी, एम. के. स्टालिन और एम. के. तामिलरसु, उनकी पुत्रियां हैं एम. के. सेल्वी और कानिमोझी। यह परिवार राजनीति से गहन रूप से जुड़ा हुआ है, यहाँ तक कि इस परिवार के लोगों में राजनीतिक नियंत्रण के लिए प्रतिस्पर्धा है। एम करुणानिधि के भतीजे, स्वर्गीय मुरासोली मारन ने केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवा की है, जबकि उनके पुत्र, दयानिधि मारन ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पूर्व दूरसंचार मंत्री के पद पर कार्य किया है।

एम. करुणानिधि एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) जे. जयललिता और वर्तमान मुख्यमंत्री के तेज प्रतिद्वंदी बने रहे हैं। तमिलनाडु राज्य की राजनीति को दो परिवारों के बीच अल्प समय के लिए विभाजित किया गया है।

भारत में पारिवारिक राजनीति का प्रचलन कायम है।  

पारिवारिक नियंत्रित राजनीति की परंपरा गहराई से भारतीय राजनीतिक राजवंशों में निहित है। हालांकि समय के साथ-साथ अधिकांश परिवार अब पहली पीढ़ी के राजनेताओं से अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं तथा बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए नजर आते हैं और यह तो केवल समय ही बताएगा कि कितने लोग स्वयं की विरासत के अधिकारों को कायम रख पाते हैं।