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हिंदी दिवस पर छात्रों और शिक्षकों के लिए भाषण

September 13, 2017


हिंदी दिवस पर छात्रों और शिक्षकों के लिए भाषण

भारत दुनिया के सबसे विविध देशों में से एक है जिसमें कई धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएँ, व्यंजन और भाषाएँ सम्मिलित हैं। हिंदी भारत की सर्वप्रमुख भाषाओं में से एक है और 2001 में, इस भाषा के लगभग 26 करोड़ देशव्यापी वक्ता थे, जिससे यह भाषा देश में सबसे अधिक और व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा बन गई है।

जब 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को भारत में गौरवान्वित स्थान मिला, तो इसे देश की शासकीय भाषा के रूप में अपनाया गया। 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आज, हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त है।

हिंदी दिवस को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

वर्तमान समय में, अत्यधिक व्यावसायिक वातावरण में, जहाँ लोग अपनी मूल भाषा को भूल रहे हैं, वहाँ हिंदी दिवस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे न केवल लोगों को अपनी मूल संस्कृति के संपर्क में रहने के लिए प्रोत्साहन मिलता है बल्कि साथ ही हिंदी को बढ़ावा भी मिलता है। अफसोस की बात है, ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी मातृभाषा को बोलने में संकोच महसूस करते हैं। हिंदी दिवस हमें यह एहसास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि हिंदी दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली भाषाओं में से एक है, इसलिए हमें अपनी मातृभाषा को बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए।

हिंदी मनीषियों (ज्ञानियों) की भाषा है और इस भाषा में कई साहित्यिक रचनाएं लिखी गई हैं। रामचरितमानस हिंदी भाषा में लिखी गई सबसे बड़ी साहित्यिक रचनाओं में से एक है। 16 वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित इस रचना में राम के चरित्र का वर्णन किया गया है। हिंदी भाषा में कुछ अन्य रचनाएँ जैसे हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित मधुशाला, मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित निर्मला और देवकी नंदन खत्री द्वारा रचित चंद्रकांता आदि हैं।

हिंदी सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है और संस्कृत भाषा की वंशज (अवरोही) है। हिंदी आधुनिक इंडो-आर्यन (भारतीय-आर्यों की) भाषाओं की शाखा से संबंधित है। हालाँकि, हिंदी में विगत कई शताब्दियों में काफी बदलाव हुआ और आखिरकार अब यह अपने मौजूदा स्वरूप में विकसित हुई है। प्रारंभिक समय में हिंदी के तीन रूप- हिन्दवी, हिंदुस्तानी और खड़ी-बोली थे। इनका उपयोग 10 वीं शताब्दी में किया जाता था। हिंदी का साहित्यिक इतिहास 12 वीं शताब्दी से पहले का है। हिंदी का आधुनिक अवतार लगभग 300 वर्ष पुराना है, जो कि वर्तमान युग में अधिकतर उपयोग में लाया जाता है।

वास्तव में, अंग्रेजी के साथ ही हिंदी को भी राष्ट्र की शासकीय भाषा के रूप में चुना गया क्योंकि हिंदी ही एकमात्र भाषा थी जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एकीकृत कर सकती थी। वास्तव में, 1917 में महात्मा गांधी ने गुजरात शिक्षा सम्मेलन, भारुच में एक भाषण प्रस्तुत किया और हिंदी के महत्व को रेखांकित किया। उस विशेष सम्मेलन में, गांधीजी ने स्पष्ट किया कि हिंदी पूर्वकाल से ही अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है इसलिए इसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाया जा सकता है। उन्होंने भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए आगे बताया कि इसका प्रयोग धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक संचार के एक माध्यम के रूप में किया जा सकता है।

इसलिए 14 सितंबर 2017 को हम अत्यधिक आत्मिक खुशी और गर्व के साथ हिंदी दिवस मनाते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय भाषा है और इसने हमें अपनी निराली पहचान प्रदान की है। हिंदी में बात करते समय हमें हमेशा गर्व महसूस करना चाहिए। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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