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भारत में होना चाहिए मानव तस्करी का अंत

July 18, 2017


human-trafficking-hindiमानव तस्करी ड्रग्स और शस्त्र व्यापार के बाद पूरी दुनिया में तीसरा सबसे संगठित अपराध है। संयुक्त राष्ट्र ने इसको “तस्करी किसी भी प्रकार की वह गतिविधि है जिसमें डराकर या बलपूर्वक या आलोचना (बदनामी) की स्थिति के कारण लोगों की भर्ती, परिवहन, शरण देना और किसी को खरीदना जैसे कार्य किये जाते हैं।” के रूप में परिभाषित किया है। पूरी दुनिया में लगभग 80% तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है बाकी बंधुआ मजदूरी के लिए की जाती है, एशिया में भारत को इस तस्करी का केंद्र माना जाता है। सरकारी आँकड़ो के अनुसार हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चे की तस्करी की जाती है। 2011 में लगभग 35,000 बच्चे लापता हुए थे इनमें से लगभग 11,000 से अधिक बच्चे पश्चिम बंगाल के थे। ऐसा माना जाता है कि तस्करी के कुल मामलों में से केवल 30 प्रतिशत मामलों की ही रिपोर्ट दर्ज करायी जाती है इसलिए इसकी वास्तविक संख्या बहुत अधिक है।

मानव तस्करी भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है। अब तक भारत में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया है जिससे तस्करी के मामलों की स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सके। न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा भारत के झारखंड राज्य में मानव तस्करी की व्यापक समस्या की सूचना दी गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पड़ोसी देश नेपाल से युवा लड़कियों की तस्करी करके भारत में लाया जाता है। द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक अन्य लेख में बताया गया कि कर्नाटक मानव तस्करी के लिए भारत का तीसरा राज्य है। भारत के अन्य दक्षिणी राज्यों को भी मानव तस्करी के एक गंतव्य के रूप में अधिक पसंद किया गया है। चार दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रत्येक वर्ष 300 से अधिक ऐसे मामलों की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। जबकि, हर साल पश्चिमी बंगाल और बिहार में ऐसे 100 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। आँकड़े बताते हैं कि मानव तस्करी के आधे से अधिक मामले इन राज्यों में ही पाये जाते हैं। यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम द्वारा जारी एक ताजी रिपोर्ट में बताया गया कि 2012 में तमिलनाडु में मानव तस्करी के 528 मामले सामने आए हैं। यह संख्या पश्चिम बंगाल (549) को छोड़कर वास्तव में अन्य राज्य से अधिक है। गृह मंत्रालय से प्राप्त आँकड़ो के अनुसार कर्नाटक में पिछले चार सालों में 1,379, तमिलनाडु में 2,244 जबकि आंन्ध्र प्रदेश में 2,244 मानव तस्करी के मामले दर्ज किये गये। हाल ही में बेंगलुरू में 300 से अधिक बंधुआ मजदूरों को बंधकों के चंगुल से मुक्त कराया गया है। फर्स्टपोस्ट में एक लेख के अनुसार, भारत में दिल्ली मानव तस्करी के व्यापार का केंद्र है और दुनिया के आधे से अधिक गुलाम भारत में रहते हैं। दिल्ली युवा लड़कियों के अवैध व्यापार के लिए एक हॉटस्पॉट है इन लड़कियों से घरेलू काम, जबरन विवाह और वेश्यावृत्ति जैसे काम कराये जाते हैं। दिल्ली मानव तस्करी के लिए एक संक्रमण बिंदु भी है।

कुछ एजेंट भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से बच्चों और खासकर युवा लड़कियों को उनके घरों से ले आते हैं और भारत के दूर दराज के राज्यों में यौन शोषण और बंधुआ मजदूरी के लिए बेच देते हैं, एजेंट बच्चों के माता-पिता को बेहतर शिक्षा, अच्छा जीवन और पैसे देने के लालाच में फुसलाकर ऐसा करते हैँ। एजेंट इन बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय ईंट के भट्टों, बढ़ईगीरी इकाइयों, घरेलू नौकरी तथा भिखारी आदि के रूप में काम करने के लिए बेच देते हैं, जबकि लड़कियों का यौन शोषण के लिए अवैध व्यापार किया जाता है। यहाँ तक कि इन लड़कियों को कुछ क्षेत्रों में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है, ऐसा अधिकतर उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ पर लिंग अनुपात बहुत ज्यादा खराब होता है। जनजातीय क्षेत्रों के बच्चों के लिए मानव तस्करी का खतरा अधिक है। हाल ही में मानव तस्करी के मामलों में अधिकांश बच्चे मणिपुर के तामेंगलांग जिले में कूकी जनजाति के थे। आदिवासियों में होने वाले संघर्षों के कारण मानव तस्करी और समृद्ध हुई। 1992 और 1997 के बीच पूर्वोत्तर क्षेत्र में कूकी और नागा जनजाति के बीच संघर्ष ने कई बच्चों को बेघर कर दिया इन बच्चों को एजेंटो द्वारा देश के अन्य भागों में ले जाया गया था।

भारत में क्यों बढ़ रही है मानव तस्करी?

माँग और आपूर्ति का मौलिक सिद्धांत इस व्यापार पर भी लागू होता है। आमतौर पर पुरुष रोजगार के लिए प्रमुख व्यवसायिक शहरों में चले जाते हैं और यही से व्यवसायिक यौन की मांग शुरू होती है। इस मांग को पूरा करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं द्वारा लड़कियों के अपहरण जैसे सभी प्रकार के कार्यों का प्रयास किया जाता है। इससे गरीब परिवार की युवा लड़कियों और महिलाओं को अधिक खतरा है।

इसके बाद आर्थिक अन्याय और गरीबी एक कारण है। यदि आप भारत के पूर्वोत्तर राज्य के गरीब परिवारों में जन्म लेते हैं तो आप बेचे जाने के अधिक खतरे पर हैं। यदि आपका परिवार गरीब है और आप एक लड़की हो तो यह संभावना और भी अधिक हो जाती है। कभी-कभी माता-पिता भी पैसे कमाने के लिए अपनी बेटियों को बेचने पर मजबूर हो जाते हैं।

भारत में मानव तस्करी के अन्य प्रमुख कारणों में सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लिंग वरीयता, असंतुलन और भ्रष्टाचार शामिल हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में माता-पिता सोंचते हैं कि बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा के मामले में बाहर भेजकर जीवन बेहतर बनाया जा सकता है। माता-पिता द्वारा बच्चों के रहन-सहन के लिए इन एजेंटों को लगभग 6000-7000 रुपये का भुगतान भी किया जाता है।

जबरन विवाह

भारत में लड़कियों और महिलाओं की केवल वेश्यावृत्ति के लिए तस्करी नहीं की जाती है, उनको भारत के कुछ हिस्सों में वस्तुओं की तरह बेच दिया जाता है। ऐसा उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ महिलाओं का लिंग अनुपात बहुत कम होता है, इन महिलाओं को शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है।

बंधुआ मजदूर

हालांकि भारत में कर्ज को चुकाने के लिए करवाई जाने वाली मजदूरी ज्यादा नहीं है लेकिन भारतीय समाज मे प्रचलित यह मजदूरी अवैध है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, एशियाई प्रशांत क्षेत्र में 11.7 मिलियन से अधिक लोग बंधुआ मजदूरी मे लगे हुए हैं। जिन लोगों के पास नकदी (पैसों) की कमी होती है वह आमतौर पर अपने बच्चों को नकदी के बदले मजदूरी पर बेच देते हैं। दोनों ही लड़कों और लड़कियों को बंधुआ मजदूरी के लिए बेच दिया जाता है और लगभग साल-साल भर भुगतान नहीं किया जाता है।

मानव तस्करी से पीड़ित लोगों के मानसिक रोग, अवसाद और चिंता जैसी बीमारियों से पीड़ित होने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। यौन संबंधों के कारण महिलाओं को एचआईवी और अन्य एसटीडी रोगों से पीड़ित होने का अधिक खतरा है।

दोषी के खिलाफ कार्रवाई

अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम (आईटीपीए) के अंतर्गत व्यवसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी को दंडनीय घोषित किया गया है। इसमें सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक कि सजा होती है। बंधुआ श्रम उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और युवा न्याय अधिनियम भारत में बंधुआ मजदूरी को निषेध करते हैं।

दिसंबर 2012 में होने वाले सामूहिक क्रूर बलात्कार के कारण सरकार ने एक बिल पारित किया, जिसमें यौन हिंसा से संबंधित कानून और यौन के लिए तस्करी के संबंध में संशोधन किया है। लेकिन इन कानूनों और अधिनियमों के प्रभावी होने में एक बड़ा अंतर है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण, अपने लाभ के लिए एजेटों को इस लड़कों और लड़कियों को उपयोग करना आसान होता है। इस प्रकार के अपराधों मे शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, इस समय केवल इसी समस्या पर ध्यान दिया जा सकता है।

इसके अलावा अच्छी शिक्षा और अन्य सुविधाओं को लोगों के मूल स्थान पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि माता-पिता अपने बच्चों के लिए इस प्रकार के कार्यों को न अपनायें। हमें महिलाओँ और लड़कियों के प्रति अपने नजरिये को बदलना चाहिए।