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भारत में एक महिला होना

August 7, 2018
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जब आप सुबह 21 वीं शताब्दी की भारतीय महिला के रूप में उठती हैं और अपने दिन की शुरुआत करती हैं, तो आप कैसा महसूस करती हैं? आपके पास 1947 से मतदान अधिकार, 1950 से संवैधानिक अधिकार हैं, तो चीजें अच्छी होनी चाहिए, है ना? कम से कम जब तक आप अपनी सुरक्षा को लेकर, यहां तक कि दिन के उजाले में भी, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करने से डरती हैं।

2018 की शुरुआत में, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश घोषित किया है। देश की स्थिति 193 संयुक्त राष्ट्रों में यौन हिंसा, मानव तस्करी, संस्कृति और धर्म (आधारित खतरों) की श्रेणियों में सबसे खराब है। स्वाभाविक रूप से, अफगानिस्तान और सीरिया जैसे देशों को सूची में हमारे से बेहतर देखकर लोगों के चकित होने के साथ ही इन परिणामों पर कई वाद विवाद भी हुए हैं। भले ही परिणाम एक स्पष्ट छवि को चित्रित नहीं करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि वे सच से ज्यादा दूर भी नहीं हो सकते हैं।

महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के “क्राइम्स इन इंडिया 2016” की रिपोर्ट से पता चला है कि देश में प्रतिदिन 106 मामले बलात्कार के दर्ज किए जाते हैं, जिसमें प्रत्येक 10 पीड़ितों में से 4 नाबालिग होती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 94.6% मामलों में अपराधी पीड़िता का परिचित होता है। ऐसे मामलों में अपराध को छुपाने में कुछ ही समय लगता है। जबकि आज के समय में बलात्कार के आँकड़े ऊँचाई छू रहे हैं, वही इसकी सजा की दर के बारे में भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। उपलब्ध नवीनतम आँकड़ों के मुताबिक, हर चार बलात्कार के मामलों में से केवल एक ही में दोषी को सजा मिल पाती है। ध्यान रखें कि ये आँकड़े गैर-बलात्कार के मामलों के साथ-साथ वैवाहिक बलात्कार को छोड़कर हैं। भारतीय कानून में अभी भी वैवाहिक बलात्कार को वैध या बलात्कार माना ही नहीं जाता है। यदि आप इन आंकड़ों में साइबरस्टॉकिंग, छेड़खानी, एसिड अटैक, छेड़छाड़ इत्यादि को जोड़ते हैं, तो इसकी वास्तविकता पर यकीन करना बहुत ही मुश्किल होगा।

पितृसत्ता और पुरुष प्रधान संस्कृति

एक प्रसिद्ध शोध रिपोर्ट में, डॉक्टरेट शोध सदस्य सार्थक राठोड ने 50 बलात्कार अपराधियों से साक्षात्कार किया। एक अपराधी ने एक ही लड़की का तीन बार अलग-अलग समय पर बलात्कार किया था और कहा कि वह बाहर निकलने के बाद फिर से ऐसा करेगा। उसके द्वारा बोले गए शब्द थे, “मुझे उस लड़की को दे दो और फिर मुझे फांसी पर लटका दो।” मधुमिता पांडे के एक अन्य शोध में 23 वर्षीय बलात्कारी का साक्षात्कार लिया गया था। दोषी ने 2010 में 5 साल की एक लड़की से बलात्कार किया था और कहा था कि वह उसे अनुपयुक्त तरीके से छू रही थी”। उनका मानना था कि यदि उसे रिहा किया गया, तो वह चीजों को सही करने के लिए उससे शादी करेंगे।

इस तरह के मामलों में,  कहने के लिए शब्द भी कम पड़ जाते है। आप इस तरह की पुरुष प्रधान मानसिकता के साथ तर्क देना कैसे शुरू कर देते हैं? जबकि एक का मानना है कि उसके पास पीड़िता के साथ बलात्कार करने के लिए कुछ “विशेष अधिकार” हैं, दूसरा सोचता है कि वह लड़की से “न्यायसंगत तरीके से” शादी करेगा। इस तरह के विचार समस्या को और अधिक गम्भीर बना सकते हैं। भारत में हमने जो भी प्रगति की है, उसके बावजूद भी, यह बड़े पैमाने पर पितृसत्तात्मक देश बना हुआ है। जबकि आप अपनी लड़कियों को विनम्र और क्षमाशील बनने का सबक देते हैं, तो आप लड़कों के उस समूह को भी शिक्षा दें जो नहीं जानते कि उत्तर में मिली “ना” को कैसे लेना है। बलात्कार के कई मामलों में, अपराधी का मानना है कि यह वह लड़की थी जिसने उसे प्रोत्साहित किया या वह चाहती थी। यह तब होता है जब हम वैवाहिक बलात्कार पर भी विचार नहीं कर रहे हैं। हमारी संस्कृति हमें स्पष्ट रूप से बताती है, कि विवाह का मतलब आजीवन सहमति है।

भारतीय संविधान की धारा 375, जो बलात्कार के अपराध को परिभाषित करती है, कहती है कि “पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया यौन संभोग या यौन कृत्य, यदि पत्नी की आयु पंद्रह वर्ष से अधिक है, बलात्कार नहीं है”। इस प्रक्रिया में, संविधान एक महिला को उसके शारीरिक अधिकार से वांछित कर, उसके बजाय उसके पति को देता है। यह उन लोगों को बताया जाए जो कहते हैं कि पितृसत्ता तो अतीत की बात है।

निष्कर्ष

जुलाई 2018 में, भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी हैं, एक लोकतंत्र जो हमें जीवन में समानता, शोषण के खिलाफ, हमारे मौलिक अधिकार प्रदान करता है और फिर भी, इन अधिकारों का समाज द्वारा बहिष्कार किया जाता है और पुरुषों द्वारा उनके घातक पुस्र्षत्व द्वारा संचालित किया जाता है। इस तरह की मानसिकता में, हम एक राष्ट्र के रूप में की गई प्रगति पर कैसे गर्व करते हैं? भले ही महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने का अधिकार दिया गया हो, लेकिन उनके पास पुरुषों की तरह डर मुक्त होकर जीवन जीने का अधिकार नहीं है। इसलिए, जब भी कोई मुझसे पूछता है, भारत में एक महिला होने की सबसे बुरी बात क्या है? तो मैं मुँहतोड़ जवाब देती हूँ कि “क्या नहीं है?”

 

 

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भारत में एक महिला होना
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भारत महिलाओं के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक देश घोषित किया जा रहा है, इस लेख में उन चुनौतियों पर नजर डाली गई जिनका महिलाएं सामना करती हैं।
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