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वे घटनाक्रम जिन्होंने भारत की रूपरेखा को बदल दिया

May 7, 2018
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वे घटनाक्रम जिन्होंने भारत की रूपरेखा को बदल दिया

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति को 70 साल बीत चुके हैं, राष्ट्र कई उतार-चढ़ाव, उपलब्धियों और सामूहिक आंदोलनों से गुजर चुका है। आजादी के बाद यहां कई प्रमुख घटनाएं हुई हैं जिन्होंने भारत की रूपरेखा को अच्छे या बुरे रूप में परिवर्तित किया है। पिछले सात दशकों के दौरान, देश के राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक जीवन दोनों में कई बदलाव देखे गए हैं। भारत ने कई बाधाओं पर काबू पा लिया है और भारतीयों ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना ली है।

एक ऐसा देश जो लाखों लोगों के लिए निवास स्थान है इसकी 70 वीं वर्षगांठ पर, माई इंडिया आपके सामने 10 ऐसी घटनाएं पेश करता है जिनका हमारे देश पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है।

1962: भारत और चीन के बीच युद्ध

भारत को इस युद्ध का सामना तब करना पड़ा जब लगभग 200 वर्षों की बर्बरता भरी औपनिवेशिक गुलामी की अवस्था के बाद वापस अपने पैरों पर खड़े रहने की कोशिश कर रहा था। साम्यवादी चीन ने इस स्थिति का फायदा उठाया और लद्दाख में लगभग 80,000 चीनी सैनिकों के साथ 20 अक्टूबर 1962 को भारत की बिना जानकारी के उस पर हमला कर दिया। इस युद्ध ने दोनों देशों पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ी है और इसका प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है।

1966: हरित क्रांति

हरित क्रांति से अभिप्राय बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र में उर्वरकों, संकर बीज, कीटनाशकों और सिंचाई जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी और तरीकों को अपनाना था। इससे अनाज के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

1969: बैंकों का राष्ट्रीयकरण

19 जुलाई 1969 को देश के आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने देश की 14 प्रमुख भारतीय व्यावसायिक बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया। इन 14 व्यावसायिक बैंकों ने देश की जमा राशि का 85 प्रतिशत नियंत्रित किया है।

1971: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध

भारत-पाकिस्तान का युद्ध सिर्फ 13 दिन का एक सैन्य संघर्ष था जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। भारत सरकार ने बांग्लादेशी लोगों के बहुमत का समर्थन किया। 16 दिसंबर, 1971 को, पूर्वी पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके कारण बांग्लादेश राष्ट्र का निर्माण हुआ। बांग्लादेश के निर्माण से भारत की भू-राजनीति में हमेशा के लिए बदलाव आया।

1975: आपातकाल का वर्ष

25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा करवायी गई आपातकालीन घोषणा को अक्सर “स्वतंत्र भारत के सबसे अंधेरा चरण” के रूप में जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र को इससे करारा झटका लगा और प्रत्येक मौलिक अधिकार जिसका हर भारतीय नागरिक पालन करता था 21 मार्च, 1977 तक निलंबित कर दिए गए थे उसके बाद देश अंत में फिर से लोकतंत्र की सांस ले सकता था। आपातकाल के खिलाफ विरोध करने वाले राजनीतिक नेताओं को जेल भेजा गया और भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया गया।

1979: वीपी सिंह द्वारा मंडल आयोग का कार्यान्वयन

यह आयोग 1 जनवरी 1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के अंतर्गत भारतीय समाज में संरचनात्मक परिवर्तन लाने के लिए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को ऊपर उठाने के लिए बनाया गया था। आयोग ने अन्य पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षिक संस्थानों के साथ-साथ नौकरियों की सीटों में भी 27% आरक्षण देने का सुझाव दिया। मंडल आयोग लागू होने के बाद से देश में आरक्षण के विरुद्ध कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। मंडल आयोग ने इसके कार्यान्वयन के 29 साल बाद भी भारत को परेशान करना जारी रखा है।

1991:  अर्थव्यवस्था का उदारीकरण  

24 जुलाई 1991 को तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट भारतीय राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण बजट है। इस बजट ने आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को स्वाधीन बनाया गया। 1991 की आर्थिक उदारीकरण नीति का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक सेवा उन्मुख बनाना, आयात शुल्क और करों में कमी, बाजारों का विनियमन और निजी तथा विदेशी निवेश की भूमिका का विस्तार करना था। यदि व्यापार का विस्तार नहीं किया गया होता, तो भारत कभी भी दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक नहीं बन पाएगा।

2005: सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया गया

2005 भारत में सूचना के अधिकार के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था क्योंकि इस वर्ष सूचना कानून के एक राष्ट्रीय अधिकार के अधिनियमन को पारित किया गया था। इस अधिनियम के लागू होने के साथ, भारत के नागरिकों को राज्य या केंद्रीय अधिकारियों से किसी भी तरह की जानकारी मांगने का अधिकार है। सूचना का अधिकार के अधिनियम ने 2005 में भारत के इतिहास में कुछ सबसे भ्रष्ट घोटालों को उजागर करने में मदद की। यह भारत के लोगों के लिए स्पष्टता को बढ़ावा देने और सत्ता में रहने वाले लोगों को जिम्मेदार रखने के लिए एक मजबूत उपकरण है।

2009: आधार की शुरूआत

आधार भारत सरकार द्वारा जारी 12 अंकों का अद्वितीय पहचान संख्या है जिसमें प्रत्येक निवासी भारतीय व्यक्ति की जनसांख्यिकीय और बॉयोमीट्रिक (शारीरिक चिन्हों जैसे ऊँगली के निशानों अथवा आँखों की पुतलियों द्वारा व्यक्ति विशेष की पहचान की पद्धति) जानकारी समेत सभी विवरणों को शामिल किया गया है। यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अपने ग्राहक को जानने के लिए (केवाईसी) मानदंडों के आधार के रूप में भी कार्य करता है। अन्य चीजों के लिए आवेदन करते समय इसे एकमात्र पहचान प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

2014: नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने

2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनने की घोषणा के बाद, भारतीय चुनावों के इतिहास में दो महत्वपूर्ण रिकॉर्ड टूटे। पहला रिकॉर्ड यह था कि कांग्रेस के अतिरिक्त एक राजनीतिक दल (भाजपा) लोकसभा में 282 सीटों में से अधिकांश के साथ जीत हासिल की थी और दूसरा रिकॉर्ड था कि भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 44 सीटों की सबसे खराब स्थिति पर पहुंच गई थी। नरेंद्र मोदी का उभरना एक स्पष्ट संकेत था कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाला 125 वर्षीय पुराना राजनीतिक दल खतरे में है।

2016:  विमुद्रीकरण (नोटबंदी)

8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने 500 और 1000 रूपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। विमुद्रीकरण के पीछे इरादा औपचारिक आर्थिक प्रणाली से बाहर मौजूद “काले धन” को बाहर निकालना था। नोटबंदी के दौरान देश को भारी नकदी समस्या का सामना करना पड़ा और लोगों को अपने नोटों को बैंक में आदान-प्रदान करने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा। सरकार के इस अधिनियम ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया और यह भारत को नकदी रहित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

2017जीएसटी व्यवस्था की शुरूआत

माल और सेवा कर (जीएसटी) भारत का सबसे बड़ा कर सुधार 1 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यरात्रि में संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में शुरू किया गया था। आजादी के बाद चौथी बार यह हुआ है कि मध्यरात्रि में एक समारोह आयोजित किया गया था। मौजूदा कर दरों को जीएसटी की दरों से बदल दिया गया है और यह देश की 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को दोबारा बदलने में मदद करेगा।

सारांश
लेख का नाम  वे घटनाक्रम जिन्होंने भारत की रूपरेखा को बदल दिया

लेखिका  साक्षी इक्वाडे

विवरण  स्वतंत्रता के बाद कई घटनाओं से भारतीय प्रणाली में बदलाव आया आइए इन घटनाओं पर विस्तार से चर्चा करें।