Home / / डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के विचार

डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के विचार

June 16, 2017


self-stand“अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त और सुन्दर विचार वाले लोगों का देश बनाना है, तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता, और गुरु ये कर सकते हैं ” – डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम 

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम को “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया”, के नाम से जाना जाता है। कलाम को भारत के प्रमुख वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, एयरोस्पेस इंजीनियर जैसे नाम दिए गऐ हैं, जो भारत के सबसे प्रेरक व्यक्तित्व के लिए ही इस्तेमाल किये जाते हैं। डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली में भौतिकी और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।

डॉ. कलाम भारत के रक्षा अनुसंधालय में काम करते थे और भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में मजबूत बनाना चाहते थे। 1998 में, भारत के परमाणु हथियार के सफल परीक्षण के बाद, वह राष्ट्रीय नायक बन गए। डॉ. कलाम बहुत ही प्रेरक और करिश्माई व्यक्तित्व के साथ एक सच्चे आदर्शवादी नेता माने जाते थे।

डॉ. कलाम कई पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं और उनकी बहुत ही लोकप्रिय पुस्तकों में से एक भारत 2020 है, जिसमें उन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उपाय प्रस्तुत किए हैं। वह चाहते थे कि भारत एक महाशक्तिशाली देश बने। डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने भारत के विकास लिए, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता जैसे तीन सपने देखें हैं।

स्वतंत्रता – लगभग 3,000 वर्ष पहले, भारत पर दुनिया भर के कई आक्रमणकारियों ने आक्रमण करके यहाँ की संपत्ति को लूट लिया, हमारी संस्कृति को हानि पहुँचाया और अपनी इच्छा के अनुसार भारत का निर्माण करने की कोशिश भी की थी। लेकिन भारत ने कभी भी किसी देश पर हमला नहीं किया है क्योंकि भारत दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान और उनकी संस्कृति का आदर करता है। इसलिए उनका पहला सपना स्वतंत्रता है क्योंकि सम्मान आप को तभी मिल सकता है जब आपके पास स्वतंत्रता होती है।

विकास- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज भी हमारा देश विकासशील देशों मे से एक है। लेकिन आज समय यह है कि विकासशील देश से एक विकसित देश का निर्माण किया जाए। हालाँकि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, और हमारी उपलब्धियों को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया जा रहा है, फिर भी हमारे पास एक विकसित राष्ट्र के निर्माण का आत्मविश्वास नहीं है। उनका दूसरा सपना भारत का विकास था।

आत्मनिर्भरता- दूसरे देश, हमारा तब ही सम्मान करेंगे, जब हम आत्मनिर्भर  होंगे और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सैन्य और आर्थिक दोनों शक्तियों को एकजुट करेंगे।

मीडिया की भूमिका- मीडिया को फिजूली कार्यक्रमों और नकारात्मक विषयों को दिखाने की बजाय हमारी ताकत और मजबूत व्यक्तित्वों को भी दिखाना चाहिए। मीडिया यह कभी नहीं दिखाती है कि भारत दूध के उत्पादन और रिमोट सेंसिंग उपग्रहों में पहले स्थान पर है। जबकि भारत गेहूँ और चावल के उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके अलावा भारत लाखों उपलब्धियों से परिपूर्ण है जो मीडिया द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों, निराशाओं और फालतू की खबरों के कारण हमारी जानकारी में नहीं आ पाता है।

हमें क्या करना चाहिए? कई बार हम छोटी-छोटी बातों के लिए शिकायत करते रहते हैं और दूसरों को दोष देते रहते हैं। हम कहते हैं कि हमारी सरकार अयोग्य है। हम कहते हैं कि हमारे देश में कोई उचित कानून व्यवस्था नहीं है। हम यह भी कहतें हैं कि नगरपालिका भी सही समय पर कचरा उठाने में अपनी  जिम्मेदारी नहीं समझती है। फिर भी हम सिर्फ कहते हैं और करते कुछ नहीं हैं। दूसरी ओर हम कानून तोड़ते हैं और हम सड़कों पर कचरा फेंकते हैं। इसलिए हमें भी जागरुक होना चाहिए और हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिये।

वर्तमान में, भारतीय लोग विदेशी उत्पादों से घिरे हुए हैं। केवल सम्मान की बात की जाए, तो यदि आपके पास जरा सा भी आत्मसम्मान हो तो भारत में बने उत्पादों का ही उपयोग करें, क्योंकि भारत के लिए आत्म-साक्षात्कार बहुत महत्वपूर्ण है।

हमें अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्ति पर जोर देना चाहिए। रचनात्मकता, साहस और धार्मिकता ज्ञान के तीन घटक हैं जो विवेकशील नागरिकों की पहचान होती है। सकारात्मक सोच और ज्ञान का सही जगह प्रयोग आपको महान बनाता है। धार्मिकता आपको सही दिशा और गुणवान बनाने में मदद करती है। साहस आपको नई सोंच को विकसित करने में मदद करता है। जिससे आप जीवन में सफलता के लिए कड़ी से कड़ी बाधाओं का सामना कर सकते हैं।

शिक्षकों को दूरदर्शी और उत्साहवर्धी होना चाहिए क्योंकि उनके जरिए ही एक सामान्य बच्चे का एक चरित्रवान नेता में परिवर्तन हो सकता है। शिक्षा बिना भेदभाव प्रदान की जानी चाहिए, ताकि सभी बच्चें अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दिखाने में सक्षम हो। प्रत्येक बच्चे का जीवन में एक लक्ष्य होना चाहिए। जिससे छात्रों को शिक्षा देने के साथ लक्ष्य प्राप्ति का विश्वास दिलाया जा सके।

डॉ. कलाम द्वारा हमेशा रचनात्मकता और नवीनता पर जोर दिया गया। उनके अनुसार, भारत को उन रचनात्मक नेताओं की जरूरत है जो आदेश के बजाय को मार्गदर्शन का रास्ता दिखाने में सक्षम हों। भारत के नेताओं में एक दृष्टि और उस दृष्टिकोण को जारी करने के कार्यकुशलता की आवश्यकता है। सफलता के साथ-साथ विफलता को संभालने का एक नेता के पास साहस भी होना चाहिए।

डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भारत को एक विकसित देश बनाने का एक उद्देश्य बनाया था। उन्होने कहा कि हमारा भारत फिर से एक विकसित अर्थव्यवस्था के साथ एक समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज होगा। यदि आप इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आपको समाज को बनाए रखने में और अपने व्यक्तिगत कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करना होगा।