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भारत के प्रमुख मुद्दे

July 13, 2017


भारतीयों ने अति प्राचीन काल से ही शांति को बढ़ावा दिया है और अब “चलता है” (जाने भी दो) के रवैये के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं। इसलिए, हमारे लिए कुछ भी गलत नहीं है, चाहे वह सरकार, भ्रष्टाचार, सड़कों की स्थिति, गुडों के अपराध हों या फिर कोई और चीज हो। कार्यकर्ता भीड़ का नेतृत्व करने के लिए और समाज को समझाने के लिए होते हैं, लेकिन ज्यादातर उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाती है, जिन लोगों को अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त होती है वह आमतौर पर नेतृत्व करने के योग्य नहीं होते हैं। यद्यपि वर्तमान भारत में कई बदलावों की आवश्यकता है, फिर भी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनसे तुरन्त निपटना जरूरी है।

भारत के प्रमुख मुद्दे

भ्रष्टाचार

भारत में सबसे विस्तृत रूप से फैली समस्या भ्रष्टाचार है, जिससे जल्दी और समझदारी से निपटने की आवश्यकता है। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में शायद ही कोई ऐसा कार्यालय होगा, जो इस रोग से अछूता है। कोई यह भी नहीं बता सकता कि इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ है। हालांकि हम में से ज्यादातर लोग इससे चिंतित हैं, लेकिन जब कुछ कार्यवाई करने का समय आता है तो हम भारतीय लोग कानून व्यवस्था में कमियाँ निकालते हैं।

निरक्षरता

भारत में निरक्षरता का प्रतिशत चिंताजनक है। भारत में दस में से पाँच व्यक्ति निरक्षर हैं। शहरों की तुलना में गाँवों की हालत ज्यादा खराब है जबकि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्राथमिक विद्यालय स्थापित करवाए गये हैं, फिर भी समस्या जैसी की तैसी बनी हुई है। इसके अलावा, केवल बच्चों को शिक्षा प्रदान करने से निरक्षरता की समस्या का समाधान नहीं हो सकता, क्योंकि भारत में बहुत से वयस्क भी निरक्षर हैं।

शिक्षा व्यवस्था

भारत की शिक्षा प्रणाली को दोषी ठहराया जाता है क्योंकि यह अब भी व्यावहारिक और कौशल आधारित न होकर सैद्धांतिक है। छात्र-छात्राएँ ज्ञान प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि अंक प्राप्त करने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं, हम इसी प्रकार की शिक्षा प्रणाली का अनुसरण कर रहे हैं। औपनिवेशिक स्वामी द्वारा इस तथाकथित आधुनिक शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि छात्र नौकरी तो कर सकें लेकिन किसी का नेतृत्व न कर सकें। हम इसी प्रकार की शिक्षा प्रणाली का अनुसरण कर रहे हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए कई लेख लिखे थे और सुझावों को प्रस्तुत किया था लेकिन सफलता अभी भी हमेशा की तरह एक दिखावा है।

बुनियादी स्वच्छता

स्वच्छता भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यहाँ लगभग 70 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय नहीं हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में शौचालय न होने के कारण उन्हें खुले में शौच करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिसकी वजह से कई रोगों जैसे दस्त, हैजा, निर्जलीकरण आदि के मामले सामने आते हैं। कई ग्रामीण स्कूलों में भी शौचालय नहीं होते हैं, जिसके कारण माता-पिता अपने बच्चों को, विशेष रूप से लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते हैं। गाँधीजी द्वारा इस समस्या के प्रति ध्यान दिया गया था लेकिन फिर भी ज्यादा कुछ नहीं हुआ। बढ़ती आबादी इन समस्याओं के कारण सबसे बड़ी चुनौती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में सीवेज प्रणाली को तीन लाख लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था। लेकिन अब दिल्ली की आबादी 14 लाख से अधिक है। यह सिर्फ दिल्ली का ही नहीं बल्कि भारत के हर राज्य और क्षेत्र का मुद्दा है।

स्वास्थ्य देखभाल तन्त्र

यह सच है कि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतांत्रिक देश अपनी पूरी आबादी के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान नहीं कर पा रहा है। भारत चिकित्सा पर्यटन के लिए एक केंद्र बन रहा है लेकिन ये सभी सुविधाएँ स्थानीय गरीब निवासियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं, भारत में स्वास्थ्य देखभाल एक उपेक्षित मुद्दा है, क्योंकि भारत का प्रमुख ध्यान बढ़िया कृषि उपज, बुनियादी ढाँचे और आईटी पर है। ग्रामीण भारत में संसाधनों की कमी एक बड़ी चिंता है, जिससे अधिकांश समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लगभग 50% ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास पहुँच नहीं है, 10% बच्चे अपने जन्म के एक वर्ष के भीतर मर जाते हैं, पोषण की कमी ने 50% बच्चों की वृद्धि को बाधित किया है और भारत के 33% लोगों के पास शौचालय नहीं हैं।

गरीबी

भारत में दुनिया के एक तिहाई गरीब रहते हैं, भारत में कुल आबादी का 37% हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे है। पाँच साल से कम उम्र के 42% बच्चों का वजन कम है। भारत में अधिकांश गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल सबसे गरीबी वाले राज्य हैं। गरीब क्षेत्रों में निरक्षरता का उच्च स्तर, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और मूलभूत संसाधनों तक सीमित पहुँच आदि बुनियादी समस्याएँ हैं।

प्रदूषण

वर्तमान में प्रदूषण और पर्यावरण संबंधी अन्य चुनौतियाँ हैं जिसका भारत सामना कर रहा है। हालांकि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भारत कड़ी मेहनत कर रहा है फिर भी तय करने के लिए एक लंबा रास्ता है। प्रदूषण के कारण भूमि की क्षमता, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और जैव विविधता को होने वाले नुकसान चिंता के मुख्य मुद्दे हैं। अनुपचारित सीवेज जल प्रदूषण का प्रमुख कारण है। यमुना नदी आज भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। आबादी वाले स्थानों के मध्य से गुजरने वाली लगभग सभी नदियों की यही स्थिति है।

महिला सुरक्षा

पुरुष और महिला दोनों ही समान अवसरों का आनंद लेते हैं, लेकिन जब बात आती है महिलाओं की सुरक्षा की तो इस मामले में भारत बहुत पीछे है। घरेलू हिंसा, बलात्कार के मामले, मीडिया में महिलाओं का चित्रण आदि जैसे मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।

बुनियादी ढाँचा

भारत को अपने बुनियादी ढाँचे जैसे बेहतर सड़कें, पानी और स्वच्छता आदि सेवाओँ पर तेजी से काम करने की आवश्यकता है।

सूची काफी लंबी है। आप किस समस्या को इस सूची में जोड़ना चाहोगे?