समृद्ध और सौंदर्य का प्रतीक – आमेर का किला, जयपुर
जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमेर किला (या अम्बर किला) राजा मान सिंह प्रथम द्वारा 1592 में बनवाया गया था। पारंपरिक हिंदू और राजपुताना वास्तुकला के एक मिश्रण से किले को संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों से खूबसूरती से बनाया किया गया है।
सूर्यास्त के समय किले के सामने बहने वाली माओथा झील में किले का प्रतिबिंब आश्चर्यजनक दिखाई पड़ता है। यह इमारत बाहर से साधारण, बीहड़ और रहस्यमय दिखती है और इसका अंदरूनी हिस्सा आश्चर्यजनक रूप से भव्य और शांत है। विस्तृत दीवार पर चित्रकारी, जटिल सजावट, पारंपरिक दर्पण-गुजरात की कारीगरी, इसके दरवाजे, हॉल, जालीदार गलियारा और मंडप – सभी में एक जैसी नक्काशी ह। आमेर के किले का इतिहास पुराना है जो राजसी गौरव, आक्रमण और संर्घषों का गवाह है।
देखने योग्य स्थान-
- दीवान-ए-आम – सार्वजनिक दर्शक हॉल
- दीवान-ए-खास – निजी दर्शक हॉल
- सुख निवास – आनंद का हॉल
- गणेश पोल – शाही प्रवेश द्वार पर मोजैइक (काँच के टुकड़ों से बना चित्र) के साथ सुशोभित एक सुंदर मूर्तिकला
- शीश महल – दर्पण महल (‘जादू फूल’ भित्ति को देखने न भूलें)
- काली मंदिर
- शिला माता मंदिर – मंदिर का मुख्य द्वार विशेष है। चाँदी की चादर से ढका हुआ, प्रवेश द्वार खूबसूरती से सजाया गया है।
- जस मंदिर – जेनाना (शाही महिलाओं के लिए आँगन) में स्थित इस हॉल में सुंदर काँच लगी हुई है।
किले के इतिहास के बारे में गहनता से जानने के लिए एक गाइड की मदद लें। आपको किले के अंदर गायक और सपेरे जैसे कई मनोरंजक साधन मिलेंगे।
एक शाही स्वागत के लिए तैयार रहें महल में आने वालों का संगीतमय स्वागत नगाड़े (विशाल ड्रम) के साथ किया जाता है। किले में जल्दी पहुँचने की सलाह दी जाती है। आप शाम को संगीत और लाइट शो में शामिल होना पसंद करेंगे।
स्थान: जयपुर, राजस्थान
आने का समय: सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक