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शांतिनिकेतन – एक सांस्कृतिक निधि खजाना

May 30, 2017


In-Tagore's-Land-hindiयदि आप भारत में हैं और प्रकृति, संस्कृति और शिक्षा से प्रेम करते हैं, तो पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन एक ऐसी जगह है जहाँ आपको जाना चाहिए। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है।

शांतिनिकेतन को जाने के लिए

शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल राज्य के बीरभूम जिले में स्थित है। इसका निकटतम प्रमुख शहर बोलपुर है, जो पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शांतिनिकेतन की यात्रा के लिए कोलकाता का हवाई अड्डा सबसे निकटतम है। अंतरराष्ट्रीय छात्र और आगंतुक कोलकाता (सीसीयू) हवाई अड्डे से एक कार किराए पर लेकर शांतिनिकेतन को जा सकते हैं।

ट्रेन से: कोलकाता से, बोलपुर आने वाले आगंतुओ के लिए कई स्थानीय ट्रेनें सियालदह स्टेशन और रामपुरहाट के बीच चलती चलती है। इन ट्रेनों में आम तौर पर आरक्षण की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अधिक समझदार यात्री, चेयर कार और एसी कोच का आरक्षण करवा लेते हैं।

सड़क मार्ग से: कोलकाता और बोलपुर के बीच कई राज्य परिवहन और निजी बसें चलती हैं। इस मार्ग पर सबसे ज्यादा चलने वाले वाहन, निजी टैक्सी या कार हैं। यह सड़क पक्की है और सुगमतापूर्वक यात्रा की जा सकती है।

बोलपुर से शांतिनिकेतन मात्र 3 किलोमीटर है। कई ऑटो और रिक्शा वहाँ जाने के लिए उपलब्ध रहते हैं।

शांतिनिकेतन में देखने वाले स्थान

टैगोर आश्रम – 1863 में देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा, ब्रह्मो समाज आश्रम और विद्यालय के रुप में स्थापित यह आश्रम, अब विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के केंद्र में स्थापित है।

छत्तिमताला – प्रार्थना कक्ष के बगल में छत्तिमताला, देबेंद्रनाथ टैगोर के ध्यान करने का स्थान है। विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्नातक को उनके मूल कार्यों की याद दिलाने के लिए यहाँ के एक पेड़ की शाखा से सम्मानित किया जाता है।

रवीन्द्र भवन संग्रहालय – रवीन्द्र भवन कवि की तस्वीरों, स्मृति चिन्ह, चित्रकारी और अन्य वस्तुओं के अलावा 40,000 पुस्तकों और 12,000 पत्रिकाओं का घर है। यह संग्रहालय शांतिनिकेतन की सबसे दिलचस्प जगहों में से एक है।

उत्तरायण कॉम्प्लेक्स – उत्तरायन कॉम्प्लेक्स शांतिनिकेतन की सबसे आकर्षक जगहों में से एक है। यहाँ की इमारतों में एक प्रार्थना हॉँल है जहाँ आगंतुक ध्यान लगाते हैं और मनन करते हैं। यहाँ एक और संग्रहालय है जो रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पदक प्रदर्शन पर संग्रहीत है। परिसर में प्रत्येक इमारत को एक अलग वास्तुकला संबंधी शैली में बनाया गया है।

श्रीजनी शिल्पा ग्राम – शिल्पा ग्राम बीरभूम, संथाल संस्कृति, स्थानीय कला और संस्कृति के ग्रामीण जीवन का वर्णन करता है।

श्रीनिकेतन – विश्व भारती विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा श्रीनिकेतन है, जो आर्थिक और ग्रामीण विकास पर केंद्रित है और यह खोज के लिए एक सुंदर जगह है।

चीना भवन – कवि द्वारा 1937 में चीन के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीना भवन की स्थापना की गई। अब यह भवन विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

निप्पॉन भवन – निप्पॉन भवन जापानी अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यह भारत-जापान संस्कृति का आदान-प्रदान करने में सहायक भी है।

ब्रह्मा मंदिर – ब्रह्मा मंदिर की स्थापना 1891 में हुई थी। यह एक महत्वपूर्ण ध्यान करने योग्य स्थान है।

अमर कुथिर – यह एक शोरूम है और शांतिनिकेतन के कुटीर उद्योगों के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों की दुकान भी है। यह कपड़े पर अद्वितीय चमड़े का काम और कांथा कढ़ाई के लिए भी जाना जाता है।

बल्लावपुर वन्यजीव अभयारण्य – बल्लावपुर वन्यजीव अभयारण्य सैकड़ों पक्षियों, चीतल (धब्बेदार हिरण), ब्लेकबक्स और अन्य जानवरों का घर है। सर्दियों के दिनों में, यहाँ पर आने वाले सैकड़ों प्रवासी पक्षियों के लिए यह एक वंशावली स्थान है।

शांतिनिकेतन के प्राण के रूप में सांस्कृतिक मिश्रण के अलावा, यहाँ पास में दो काली जी के मंदिर हैं जो कि बहुत ही प्रसिद्ध हैं और हजारों भक्तों को आकर्षित करते हैं।

कंकालितला – शांतिनिकेतन से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर कंकालितला मंदिर देवी काली को समर्पित है। यह प्रसिद्ध मंदिर के साथ साथ एक शांतिपूर्ण शक्तिपीठ भी है।

तारपीठ – बोलपुर से 55 किलोमीटर दूर एक और शक्तिपीठ है जिसे तारपीठ के नाम से जाना जाता है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को यहाँ आने के लिए मजबूर करता है।

विश्व भारती विश्वविद्यालय

नोबेल पुरस्कार विजेता विद्वान रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के सांस्कृतिक पर्यावरण केंद्र में स्थापित है। रबींद्रनाथ टैगोर ने 1900 के प्रारंभ में, एक शैक्षिक संस्था (स्कूल-विद्यालय) की स्थापना ब्रह्मचार्य आश्रम के बाहर की थी। उन्होंने अपने नोबेल पुरस्कार की राशि और अपनी पुस्तक रॉयल्टी इस विद्यालय के विकास के लिए दे दी थी जिसके कारण इस विद्यालय को 1951 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। विश्व भारती विश्वविद्यालय अब एक बहु-अनुशासनात्मक विश्वविद्यालय माना जाता है, जिसके कारण दुनिया भर के शिक्षक और छात्र इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षा प्रदान करने की दिशा में अपने कट्टरपंथी दृष्टिकोण के लिए सबसे अच्छा इसलिए जाना जाता है, क्योंकि यहाँ तर्क-वितर्क, कार्यशालाएं, खुली वायु वाली कक्षाएं, और सांस्कृतिक विषयों के आदान-प्रदान पर जोर दिया जाता है। विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुछ पूर्व प्रसिद्ध छात्रों में इंदिरा गांधी, सत्यजीत रे, अर्मत्य सेन, आर शिव कुमार और सुचित्रा मित्रा शामिल हैं।

बंगाल के बाउल लोक गीतकार

बंगाल के बाउल लोक गीतकार खनन और रहस्यवादी प्रेमी गायन का एक समूह है। बाउल लोक गीतकार तीन रातें एक जगह नहीं बिताते हैं और ये धार्मिक टिप्पणियों के बजाय आध्यात्मिक रूप वाले गाने गाते हैं। इस्लाम के सूफी संतों की तरह, बाउलो ने भी बंगाली संस्कृति और समाज पर काफी प्रभाव डाला है और राज्य के साहित्यिक और संगीत विरासत में अपनी अहमियत को प्रदर्शित किया है। बाउल बोलपुर क्षेत्र के शांतिनिकेतन संस्कृति केंद्र में भी रहे हैं। बाउल कलाकार शांतिनिकेतन के सड़क के किनारे और गलियों पर अनोखे तरीके से गाते और नृत्य करते निकलते थे, यह देखने वाले स्थानीय दर्शक के लिए एक सामान्य बात होती थी।

क्यों जाएं शांतिनिकेतन?

हर साल हजारों आगंतुक और छात्र शांतिनिकेतन की यात्रा करतें हैं। कोलकाता में सबसे अच्छी छुट्टियाँ बिताने वाले स्थान के अलावा, यह देश का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी है। इसकी प्रकृति, शांतिपूर्ण प्राचीन रख-रखाव, शैक्षिक उत्कृष्टता और कुटीर उद्योगों पर जोर देने के कारण शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। भारत के पूर्व-स्वतंत्रता के वर्षों के दौरान इस शहर ने सबसे स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारकों के साथ टैगोर के आश्रम में काम करने के लिए, लिखने और स्वतंत्र भारत की कल्पना करने के लिए इस शहर ने एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जो लोग सैकड़ों विदेशी छात्रों को भारत के विश्व भारती और शांतिनिकेतन में आकर्षित करते हैं, वह भारत की सांस्कृतिक विरासत और कुटीर उद्योगों को निष्कलंकीय तरीके से सुरक्षित रखते हैं।

महत्वपूर्ण त्यौहार

भारतीय संस्कृति की देहाती धारणाओं को ध्यान में रखते हुए, शांतिनिकेतन में मनाए जाने वाले अधिकांश त्योहार प्रकृति से जुड़े हुए हैं। 25 बोईसाक और 22 स्राबान (बंगाली कैलेंडर की तिथियों) के अलावा, रबींद्रनाथ टैगोर के जन्म और पुण्यतिथि और अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों में बसंत उत्सव (होली), बरशा मंगल, शारोदोत्सव और नंदन मेला यहाँ के प्रमुख त्यौहारों में शामिल हैं।

दिसंबर के अंत में मनाया जाने वाला पूस मेला (बंगाली कैलेंडर के पूस महीने के अनुसार), इस क्षेत्र का सबसे रंगीन मेला और त्यौहारों में से एक है। प्रारंभिक वर्षों में, इस भव्य 3-दिवसीय मेले का आयोजन ब्रह्मो मंदिर में भव्य आतिशबाजी प्रदर्शन से किया जाता था। इस समय शांतिनिकेतन में कुटीर उद्योग वाले ठेलों की स्थापना की जाती है, जिससे बाहरी आगंतुक को यहाँ के बारे में शिक्षा प्राप्त करने और विभिन्न कलाकृतियों को खरीदने में मदद मिलती है।