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भारत सरकार ने जारी किए 14,332 करोड़ रुपए के टैक्स रिफंड

August 16, 2016


Tax Refunds

भारत सरकार ने पांच अगस्त तक टैक्स रिफंड जारी कर दिए हैं

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार ने पांच अगस्त तक 14,332 करोड़ रुपए के टैक्स रिफंड जारी कर दिए हैं। मंत्रालय ने जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उससे पता चलता है कि बेंगलुरू स्थित सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) की ओर से यह रिफंड जारी किए गए हैं।

रिफंड्स के करीब 54.35 लाख मामले हैं। इसमें 2,922 करोड़ रुपए की राशि के 20.81 लाख रिफंड के मामले भी शामिल हैं। कुल मिलाकर, 2015-16 वित्त वर्ष में 14.54 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन हुआ जो एक साल पहले के 12.39 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।

मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 5 अगस्त तक करीब 75 लाख टैक्सपेयर्स ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए ई-वेरिफिकेशन सुविधा का लाभ उठाया। तुलनात्मक रूप से, 7 सितंबर 2015 तक 33 लाख टैक्सपेयर ही इस सुविधा का लाभ उठा सके थे।

आधार के आधार पर ई-वेरिफिकेशन

उसी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि पिछले साल 10.41 लाख टैक्स पेयर्स ने अपने आधार कार्ड्स के आधार पर ई-वेरिफिकेशन सुविधा का इस्तेमाल किया था। इस साल यह नंबर बढ़कर 17.68 लाख तक पहुंच गया है। 3.32 लाख लोगों ने अपने रिटर्न्स डिजिटली साइन किए हैं। इसका मतलब यह है कि 35 प्रतिशत करदाताओं ने इस सुविधा का इस्तेमाल किया। 2016-17 में ई-रिटर्न की संख्या में साल-दर-साल की तुलना करने पर बढ़ोतरी साफ दिखाई देती है। यह नंबर 70.97 लाख से बढ़कर 226.98 लाख तक पहुंच गई है।

राजस्व विभाग से प्रोत्साहन

राजस्व विभाग को ज्यादा से ज्यादा करदाताओं को ई-वेरिफिकेशन के लिए प्रोत्साहित करना था। खासकर उन लोगों से जिन्होंने आयकर रिटर्न फाइल कर दिए हैं। वे आईटीआर-5 फार्म्स को सीपीसी भेजने के सुविधाजनक विकल्प चाहते थे। पिछले वित्त वर्ष में इसका प्रतिशत अच्छा रहा। सीपीसी ने इस साल 4.14 करोड़ रिटर्न प्रोसेस किए।

पिछले बरसों में आयकर रिफंड

वित्त वर्ष 2015-16 में कम से कम 2.10 करोड़ टैक्स रिफंड्स जारी हुए। इसमें 1,22,425 करोड़ रुपए का रिफंड किया गया। 2014-15 में यह राशि 1,12,188 करोड़ रुपए और 2013-14 में 89,664 करोड़ रुपए थी।

प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल

आजकल, सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (बीसीईसी) और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है रिफंड्स और असेसमेंट्स को कम से कम वक्त में पूरा करना। व्यापार और कस्टम क्लीयरिंग की सुविधा से जुड़े मुद्दों के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अप्रत्यक्ष कर संग्रह

2015-16 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह जीडीपी का 5.17 प्रतिशत था, जो 2014-15 में 4.36 प्रतिशत रहा था। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि 2016-17 में यह अनुपात 5.20 प्रतिशत तक पहुंच गया। 2015-16 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 7.12 लाख करोड़ रुपए था, जबकि 2014-15 में 5.43 लाख करोड़ रुपए का संग्रह हुआ था।

सरकार ने सर्विस और सेंट्रल एक्साइज टैक्स के रिफंड्स और रिबेट का भुगतान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था का इस्तेमाल किया है। इसके लिए एनईएफटी और आरटीईजीएस जैसी व्यवस्थाओं का इस्तेमाल किया गया। इसका नतीजा यह है कि इन सर्विस एक्सपोरर्टर्स ने पांच दिन के भीतर 80 प्रतिशत रिफंड हासिल कर लिए।

स्विफ्ट

स्विफ्ट या सिंगल विंडो इंटरफेस फॉर फेसिलिटेटिंग ट्रेड एक सिंगल विंडो की तरह काम करता है, जहां छह सरकारी एजेंसियों से जुड़े 50 दफ्तरों का काम करवाया जा सकता है। इससे एक्जिम सामान का क्लीयरेंस आसान होता है तथा जरूरी दस्तावेजों को बनाने के खर्च में भी कमी आती है। भारत के वित्त मंत्रालय के मुताबिक यह व्यवस्था देश के 97 प्रतिशत आयात पर मददगार साबित हुई है।