Home / / भारत के 10 प्रसिद्ध वैज्ञानिक

भारत के 10 प्रसिद्ध वैज्ञानिक

July 8, 2017


Top-Indian-Scientists-hindiआर्यभट्ट द्वारा प्राचीन काल में संख्याओं की अवधारणा का परिचय देने से लेकर, आयुर्वेद का अभ्यास करने में विज्ञान हमेशा भारतीय समाज का अभिन्न अंग रहा है। आज यह कहा जा सकता है कि भारत पूरी दुनिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में निर्णायक भूमिका निभाता है। भारत कुछ प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का घर है। जिन्होंने अपने प्रेरणादायक आविष्कारों और खोजों से दुनिया में बहुत योगदान दिया है। इनमें से कुछ यह हैं-

ऐपीजे अब्दुल कलाम

कलाम ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटा हेलीकॉप्टर डिजाइन करके की थी। इन्होंने अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीनस्त आईएनसीओएसपीएआर (अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समित) समिति में काम किया। इसके बाद, वह परियोजना निदेशक के रूप में इसरो टीम का हिस्सा बने और भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (एसएलवी -3) को लॉन्च करने में सफलता प्राप्त की। 1980 में एसएलवी-3 को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्ष के निकट रोहिणी उपग्रह में स्थापित किया गया।

हालांकि कलाम ने भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, उन्होंने 2020 तक भारत को एक विकसित देश बनाने वाली योजना की वकालत की। उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मानों में से एक भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

डी. शिवानंद पाइ

श्री पाइ को भारत के वर्षा मैन (रैन मैन) के रूप में जाना जाता है, जिनमें एक बच्चे की तरह केवल आकाश को देखकर बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त करने की क्षमता थी। श्री पाइ देश के अग्रणी वैज्ञानिकों में से हैं इन्होंने कोच्चि के महाराजा कॉलेज से भौतिकी से परास्नातक, दिल्ली आईआईटी से एप्लाइड ऑप्टिक्स मे एम.टेक और पुणे विश्वविद्यालय से मानसून अध्ययन में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। श्री पाई देश के अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक हैं और बारिश की भविष्यवाणी के साथ विज्ञान में मदद कर रहे हैं। वह पुणे में स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के (आईआईएमडी) लांग रेंज फॉररकास्टिंग (एलआरएफ) विभाग के प्रमुख हैं। उन्होंने बारिश के आगमन के लिए सांख्यिकीय दृष्टिकोण में नई पूर्वानुमान (फॉररकास्टिंग) प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली दुनिया भर में अपने प्रकार की अकेली प्रणाली है। इस प्रणाली को दुनिया में पहला स्थान दिया गया है। पाइ कहते हैं कि “हमारे देश में मौसम का पूर्वानुमान अनिवार्य है क्योंकि यहाँ कृषि चक्र ज्यादातर बारिश पर निर्भर है।”

2010 में, पाइ ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से वायुमंडलीय विज्ञान में “युवा वैज्ञानिकों / इंजीनियरों के लिए योग्यता” का प्रमाण पत्र जीता है।

उपिंदर एस भल्ला

अर्थशास्त्र के दो प्रोफेसरों के रूप में पैदा हुए उपिंदर एस भल्ला ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के तीन प्रमुख संस्थानों, आईआईटी कानपुर, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और कैलटेक से उच्च शिक्षा प्राप्त की। लेकिन जीव विज्ञान में जुनून सवार होने के कारण, उन्होंने मस्तिष्क के कार्य पर अध्ययन करने के लिए इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया। मानव मस्तिष्क ब्रह्मांड की सबसे जटिल संरचनाओं में से एक है और भल्ला हमेशा इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते है। भल्ला सोंचते हैं कि “मस्तिष्क कैसे काम करता है इसका अध्ययन, बहुत ही गहरी चेतना में है, यह अध्ययन है कि एक मस्तिष्क मनुष्य को क्या बनाता है।”

वर्तमान में, वह बेंगलुरु में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) में प्रोफेसर थे। इस समय भल्ला बायोकैमिकल संकेत तथा तंत्रिकाओं की विद्युतीय गति में जुड़ाव पर मानक और प्रततिरूपण विकसित करने, मस्तिष्क का एक ऊतक के रूप में प्रतिरूपण तथा यांत्रिक सिमुलेशन पर शोध कर रहे हैं।

पार्थ प्रतिम मजूमदार

पार्थ प्रतिम मजूमदार एक एमएसटीएट और कोलकाता की भारतीय सांख्यिकी संस्थान से पीएचडी हैं। उन्होंने सेंटर फॉर डेमोग्राफिक एंड पॉपुलेशन जेनेटिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर, ह्यूस्टन में डॉक्टरेट के पद पर काम किया है।

प्रोफेसर मजूमदार को पहले मानव आनुवंशिकी वाद के रूप में जाना जाता था, इन्होंने मानव आनुवंशिकी और विकास के लिए भी योगदान दिया है।

उनके परिवर्तनीय मानदंडों और सांख्यिकीय विधियों का उद्देश्य जटिल मानवीय गुणों में अनुवांशिक जैविक समस्याओं को हल करना तथा मानचित्रण जीन को लक्षित करना है। प्रोफेसर मजूमदार के काम से भारतीय उप-महाद्वीप में बीमारी के जीनों के मानचित्रण में मदद मिली है। पार्थ मजूमदार को रैनबैक्सी अनुसंधान अवार्ड (2000), न्यू मिलेमियम साइंस अवार्ड (2000), श्री ओम प्रकाश भसीन अवार्ड (2001) और जीडी बिरला फॉर साइंटिफिक रिसर्च (2000) से सम्मानित किया गया।

उषा बरवाले

सुश्री बरवाले जेहर ने 1981 में बॉम्बे विश्वविद्यालय के विल्सन कॉलेज से बीएससी से स्नातक किया। इसके बाद वह 1985 में संयुक्त राज्य अमेरिका के एग्रोनोमी में इलिनोइस विश्वविद्यालय से एमएस और पीएचडी की उपाधि हासिल की। 2000 के बाद से वह भारत के जलना में महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी लिमिटेड की पूर्ण कालिक निदेशक हैं। सुश्री बरवाले का लक्ष्य स्थायी रूप से कृषि उत्पादकता को बेहतर बनाने के लिए हाल के वर्षों में जैव संयंत्र प्रौद्योगिकी में प्रगति के लिए प्रभावी कार्य करना है।

कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के लिए आणविक साधनों का उपयोग, फसलों के बारे में बेहतर जानकारी के लिए जीनोमिक्स का उपयोग तथा खाद्यान्न के पोषण संबंधी महत्व को बढ़ाने के लिए नये उपकरणों की स्थापना आदि उनके द्वारा विकसित की जाने वाली कुछ प्रसिद्ध संभावनायें हैं।

विश्वनाथ मोहन

डॉ. मोहन मद्रास डायबेटिक रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) के अध्यक्ष और डायबिटीज स्पेशलिटी सेंटर के चेयरमैन थे, विश्वनाथ मोहन का लक्ष्य जीवन में मधुमेह को हराना है। उन्होंने इंडियन डायबिटीज रिसर्च स्कोर नामक एक सरल मधुमेह निदान परीक्षण केन्द्र विकसित किया है। इस परीक्षण से डायबिटीज से ग्रसित होने का पता चलता है। मोहन के अनुसार, “आबादी की आहार प्रणाली को समझने की जरूरत है जिससे कि मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों के आहार संबंधी जोखिम वाले कारकों की पहचान करने के लिए एक निवारक रणनीति बनाई जा सके।” उनके अनुसार अगर सही उपाय किये जा रहे हैं तो मधुमेह के करीब 35 मिलियन मामलों को रोका जा सकता है।

इंडियन डायबिटीज रिसर्च स्कोर द्वारा निदान परीक्षण महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड और चंडीगढ़ में पहले से ही पूरा कर लिया गया है। यह अध्ययन राष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह के रोगियों को पहचानने में मदद प्रदान करेगा।

अशोक सेन

अशोक सेन को स्ट्रिंग थ्योरी के लिए जाना जाता है, इन्होंने 1975 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से अपनी परास्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय में भौतिकी डॉक्टरेट का कार्य किया। अशोक सेन ने प्रबल-दुर्बल द्वैतता या एस-द्वैतता पर प्रकाशित उनके ऐतिहासिक पत्र सहित स्ट्रिंग सिद्धांत विषय में बहुत सार्थक योगदान दिया है।  1998 में, उन्होंने सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग द्वारा नामांकित होने पर रॉयल सोसाइटी की फेलोशिप जीती।

सुब्रमण्यम गणेश

डॉ. गणेश बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं। वर्तमान में, वह कानपुर में आईआईटी विभाग के सदस्य हैं और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में होने वाली हानियों की पहचान प्रक्रिया में हैं। न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक समूह है जो तंत्रिका ऊतकों की प्रगतिशील हानि होने के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप आंदोलन, विषमता, बौद्धिक और संज्ञानात्मक कार्यों में भारी मात्रा में क्षय और प्रारंभ के कुछ मामलों में मृत्यु होना पाया गया। इसके लिए, वह प्रभावित परिवारों में आनुवंशिक स्क्रीन का संचालन करता है और परिकल्पना के परीक्षण को मान्य करने के लिए सेल्यूलर / पशु मॉडल का उपयोग करता है।

स्वप्न कुमार दत्त

स्वप्न कुमार दत्त ने 1976 में चावल अनुसंधान से अपना कैरियर शुरु किया। दत्त को चावल के आनुवंशिक संशोधन के क्षेत्र में अपने व्यापक कार्य के लिए जाना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप यह प्रतिरोधी होने के साथ बेहतर पोषण प्रदान करने की क्षमता रखते है। उन्होंने अनाज में पृथक माइक्रॉस्फोर भ्रूण-उत्पत्ति के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम के साथ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। उन्होंने सक्रिय रूप से फसलों में सुधार के लिए जीनोमिक्स के आवेदन और जीन प्रौद्योगिकी पर सहयोगात्मक दुनिया भर के अनुसंधानों को शामिल किया है।

परमजीत खुराना

परमजीत खुराना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में बीएससी, एमएससी, एम.फिल और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। परमजीत ने “गेहूं और सेरीबियोटेक्नोलॉजी”, और “कंपरेटिव जीनोमिक्स” के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है। पिछले एक दशक के दौरान भारतीय गेहूँ के आनुवंशिक परिवर्तन, अनाज पुटी निमेटोड के खिलाफ और अजैविक तनाव सहिष्णुता के लिए उनके समूह के द्वारा प्रतिरोध किया जा चुका है। शहतूत में, लवणता और सूखा तनाव की स्थिति का सामना करने के लिए ट्रांसजेनिक क्षमता को विकसित किया गया है। प्रोफेसर परमजीत खुराना को भारतीय एकेडमी ऑफ साइंसेज (2010) और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया (2003) का सदस्य चुना गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (2011) पर उन्हें गंतव्य संस्थान द्वारा सम्मान के प्रमाण पत्र से सम्मानित भी किया गया।

निष्कर्ष

भारत में वैज्ञानिकों की सूची का कोई अंत नहीं है उनमें से प्रत्येक को अनुसंधान में शामिल किया गया है जो दुनिया को जीने के लिए एक बेहतर जगह बनाने जा रहा है। भारत असाधारण दिमाग के धन के साथ निश्चित रूप से एक ताकत के रूप में अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है।