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इस रमजान के माध्यम शांति और पवित्रता की चमक बढ़ायें

May 29, 2017


इस रमजान के माध्यम शांति और पवित्रता की चमक बढ़ायें

“रमजान मुबारक”

अपने प्यारे बन्धुओं और दोस्तों को अरबी में शुभकामनाएं जो उपवास के पवित्र महीने की शुरुआत की सूचना देती है। या शायद आप पारंपरिक फारसी भाषा में रमजान की शुभकामना “रमजान करीम” को पसंद कर सकते हैं।

शनिवार 27 मई 2017 को दुनिया के 1.8 बिलियन मुसलमानों (इस्लाम के 184 मिलियन भारतीय अनुयायियों सहित) ने एक महीने की लंबी यात्रा शुरू कर दी जिसमें कठोर उपवास (रोजे), आत्मनिरीक्षण और उत्साहपूर्वक प्रार्थना शामिल है।

रमजान क्यों मनाया जाता है?

रमजान या रमद़ान इस्लाम के चंद्र आधारित कैलेंडर का नौंवा महीना है। यह मुस्लिमों के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है और यह लैलत-उल-कद्र या “शक्ति की रात” के स्मरण में मनाया जाता है। इसी रात में कुरान को एक रहस्य के तहत पैगम्बर मुहम्मद पर प्रस्तुत किया गया था। आमतौर पर लैलत-उल-कद्र को रमजान की 27 वीं रात में मनाया जाता है हालांकि, कुछ मुस्लिमों का मानना है कि कुरान का प्रस्तुतिकरण रमजान की 21 वीं या 23 वीं रात में हुआ था। रमजान के महीने की शुरूआत मुस्लिम धर्मगुरूओं द्वारा चन्द्रमा के दर्शन के बाद  होती है।

रमजान के रोजे “उपवास” कैसे मनाये जाते हैं?

इस पवित्र महीने के दौरान प्रतिदिन भोर से सूर्यास्त तक रोजा “उपवास” रखना हर मुसलमान के पवित्र कर्तव्यों में से एक माना जाता है। यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है और धार्मिकता, संयम, सम्मान और आत्म-अनुशासन करना सिखाता है। रमजान के पूरे महीने के दौरान रोजा रखने वाले मुसलमान व्यक्ति के द्वारा पूरे दिन, भोर “सुबह की प्रार्थना से पहले” से लेकर शाम की प्रार्थना “मगरिब” तक, किसी भी प्रकार के भोज्य या पेय पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा इस्लाम अपने अनुयायियों को आत्म-संयम सिखाना चाहता है। इस पवित्र महीने के दौरान मुसलमान भोजन और पेय, धूम्रपान, संभोग, झूठ, शाप, धोखा देने या गपशप आदि को त्यागकर आध्यात्मिक स्वच्छता की तलाश करते हैं। सूरज उगने से पहले, मुसलमान सहरी “भोजन” का उपभोग करते हैं यह एक शक्ति पैक के रूप में होता है जो उनकी दिन भर मदद करता है, रोजे को पानी, अंजीर या खजूर के द्वारा तोड़ा जाता है। सूर्यास्त के बाद, परिवार और दोस्तों के साथ साझा किया जाने वाले महान उत्सव के रूप में “इफ्तार” का समय होता है। कई मुस्लिम परिवार रात में गरीबों और भूखे लोगों के लिये इफ्तार पार्टियों का आयोजन करते हैं। उपवास और संयम प्राकृतिक रूप से परोपकार और करूणा के द्वारा किया जाता है। गरीबों और वंचितों की मदद करने के लिये, कई मुसलमान इस पवित्र माह के दौरान स्वेच्छा से जकात (दान) या सदका (विशेष प्रकार का दान) देकर अपने धार्मिक कर्तव्यों का निर्वाहन करते हैं।

क्या रमजान के रोजे रखना अनिवार्य है?

इस पवित्र महीने के दौरान रोजा “उपवास” रखना वयस्क मुसलमानों के धार्मिक कर्तव्यों में से एक है। यद्यपि कुछ अपवाद हैं। बुजुर्गों और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को उपवास में छूट दी गयी है। गर्भवती और मासिक धर्म वाली स्त्रियों के लिए भी अपवाद दिए जा सकते हैं। बच्चों के लिये रोजा रखना जरूरी नहीं है लेकिन उनका वे तेजी से इसका अभ्यास कर रहे हैं ताकि यौवन अवस्था प्राप्त करने पर वे रोजा रखने के लिये तैयार हो जायें। इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले एथलीट रोजा न रखने की उम्मीद कर रहे हैं।

हालांकि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष और बहुजातीय समाज काफी उदार हैं, अरब जैसे कई मुस्लिम देशों ने रोजा न रखने वालों को दंडित किया है जो दिन के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर भोज्य या पेय पदार्थों का सेवन करते पाये गये और फिर, चीन जैसे देशों में ऐसे कानून हैं जो रमजान के रोजे रखने का विरोध करते हैं।

भारत में रमजान

भारत एक ऐसा कपड़े रूपी देश है जिसे विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के सद्भाव एवं सुंदरता के शानदार मिश्रण के साथ बुना गया है। यदि आपके कुछ दोस्त या सहकर्मी मुस्लिम हैं और इस पवित्र माह में रोजे रखते हैं, तो सहानुभूति के तहत उनके छोटे मोटे कामों को निपटाने में उनकी मदद करें, उनको इफ्तार के लिये आमंत्रित करें। यदि आप और आपके परिवार वाले रोजा रख रहे हैं तो अपने दोस्तों को शाम की दावत (इफ्तार) के लिये आमंत्रित करें। हैदराबाद की टॉलीचौकी, दिल्ली की जामा मस्जिद का क्षेत्र, लखनऊ में अकबरी गेट और कोलकाता में पार्क सर्कस आदि अपने दोस्तों के साथ इफ्तार करने तथा बधाई देने के लिये सर्वश्रेष्ठ स्थान हैं।

ईद-उल-फितर

प्रार्थना, उपवास और आध्यात्मिक कार्यों का यह महीना तीन दिवसीय समारोह ईद-उल-फितर से साथ सम्पन्न होता है। यह इस्लामी परंपरा में सबसे महान त्योहारों में से एक है। इस दिन परिवार और मित्र एक साथ मिलते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और उत्सव एवं मजे के साथ दिन बिताते हैं। भारत में, सभी धर्मों के लोगों का अपने मुस्लिम मित्रों के घर जाना, उत्सव में भाग लेना, शुभकामनायें देना और स्वादिष्ट सेवईयाँ खाना आदि कोई निराली बात नहीं है।

भारतीय के रूप में, हम यह प्रार्थना करते हैं कि रमजान के माध्यम से हम शांति एवं भाईचारे को गले लगाना सीखें और इस ईद के उत्सव को अपने देश की महिमा और कल्याण के रूप में आमंत्रित करें।