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गुमनाम नायक: रॉबिनहुड आर्मी

September 14, 2018
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गुमनाम नायक: रॉबिनहुड आर्मी

“वह परिवर्तन खुद में करो जो तुम दुनिया में लाना चाहते हो” – महात्मा गाँधी

क्या आप जानते हैं कि हर साल मलेरिया – एड्स जैसी बीमारियों और आतंकवादी घटनाओं से होने वाली मौतों से कहीं ज्यादा मौत भुखमरी की वजह से होती हैं? क्या आप जानते हैं कि हर दस सेकेण्ड में एक बच्चा भूखा होने की वजह से दम तोड़ देता है? क्या आप जानते हैं कि हर रात आठ में से एक इंसान भूखे पेट सोता है? और ये स्थिति तब है जब एक अनुमान के अनुसार एक तिहाई खाना खाया ही नहीं जाता बल्कि खपत से ज्यादा बन गए होने की वजह से बिन खाए खराब हो जाता है या फेंक दिया जाता है। भारत में करीब चालीस प्रतिशत भोजन बिना खाए बर्बाद हो जाता है। यानी मुख्य समस्या खाद्य पदार्थ की कमी होना नहीं बल्कि उचित प्रबंधन का अभाव और संसाधन का समुचित उपयोग न करना है।

उस वक़्त ज़ोमाटो के लिए काम कर रहे नील घोष ने आनंद सिन्हा और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर 26 अगस्त 2014 को दिल्ली की सड़कों पर एक अनूठी पहल की जब उन्होंने होटल और रेस्तरां में संपर्क कर बचे हुए खाने को लेकर करीब 150 लोगों को खाना उपलब्ध कराया जिन्हें उस रात भूखे पेट ही सोना पड़ता। उस दिन नील घोष, आनंद सिन्हा और उनके दोस्तों द्वारा उठाया गया एक छोटा सा क़दम आज एक मुहिम का रूप ले चुका है –  12 देशों में, 80 शहरों से सोलह हजार से ज्यादा स्वयंसेवी इस मुहिम से जुड़कर अपना योगदान कर रहे हैं.

स्वयंसेवियों की ये संस्था “रॉबिनहुड आर्मी” कहलाती है और हरे रंग की टी-शर्ट पहने स्वयंसेवी “रॉबिन”. इंग्लैण्ड की लोककथाओं में चर्चित रहे नायक रॉबिनहुड को अमीरों की संपत्ति लूटकर गरीबों में बाँट दिए जाने के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन इस रॉबिनहुड आर्मी का काम किसी को लूटना नहीं है, बल्कि भूख के मारे लोगों में भोजन बाँटना है, मुस्कान बाँटना है। रॉबिनहुड आर्मी कोई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) नहीं है, इस संस्था का कोई ऑफिस नहीं है, कोई बैंक अकाउंट नहीं है और न तो ये किसी से डोनेशन लेते हैं। इस आर्मी के अधिकतर सदस्य नौकरीपेशा हैं या स्टूडेंट हैं, जो अपने व्यस्त समय में से कुछ घंटे निकालकर इस काम को अंजाम देते हैं। काम होता है होटलों, रेस्तरां और शादी जैसे समारोह में अधिक मात्रा में तैयार हो गए भोजन को इकठ्ठा कर जरूरतमंद – झुग्गियों और पुनर्वास कॉलोनियों के निवासियों – तक पहुंचाने का।

ये अवेयरनेस फैलाने और टीम मेम्बर्स में संवाद के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करते हैं। बहुत से होटल – रेस्तरां अब खुद इन्हें संपर्क करते हैं और आसपास रहने वाले रॉबिन्स खाना इकठ्ठा करने पहुँच जाते हैं, फिर इस भोजन को आसपास के जरूरतमंद लोगों में बाँट दिया जाता है। सिर्फ दो घंटे का समय देकर कोई भी इस मुहिम से जुड़ सकता है। जो समय नहीं दे सकते, लेकिन खाना सप्लाई कर सकते हैं वे भी रॉबिनहुड आर्मी का हिस्सा बन सकते हैं।

एक नजर रॉबिनहुड आर्मी की अब तक की उपलब्धियों पर डालते चलें –

ऑक्टोबर 2014 में इनका फेसबुक कैम्पेन #BeRobinthisDiwali खूब चला था।

ज़ोमाटो, ऊबर के साथ मिलकर 2015 के स्वतन्त्रता दिवस पर कैम्पेन चलाया था #Mission100K जिसका उद्देश्य था एक लाख जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुँचाना. 23 शहरों में 141 कॉलेज और ऑफिस से करीब 2400 लोगों ने इस कैम्पेन में भाग लिया था और अस्सी हजार से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुँचाया था।

अप्रैल 2016 में महाराष्ट्र के लातूर में भीषण सूखा पड़ा था, तब पुणे से स्पेशल रेलगाड़ी द्वारा 75 हजार लीटर से ज्यादा पीने का पानी लातूर भेजा था।

जुलाई 2016 में रॉबिनहुड एकेडेमी की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य जरूरतमंद बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना था। अब तक 1200 से अधिक बच्चों को रॉबिनहुड एकेडेमी द्वारा प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराई जा चुकी है।

15 फ़रवरी 2015 को जब वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत पाकिस्तान के बीच मैच के वक़्त टीवी पर चल रहा “मौक़ा-मौक़ा” ऐड तो याद होगा। उसी दिन कराची में रॉबिनहुड आर्मी का कराची चैप्टर शुरू हुआ जो भारत से बाहर पहला विस्तार था। आज ये आर्मी बारह देशों में काम कर रही है।

2017 में 14-15 अगस्त यानी भारत-पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर सीमा के दोनों तरफ रॉबिनहुड आर्मी ने #Mission1Million कैम्पेन चलाया जिसमें भारत और पाकिस्तान में कुल मिलाकर 13 लाख 40 हजार लोगों को भोजन मुहैया करवाया।

और इसी वर्ष 15 अगस्त को #MissionMillion2018 कैम्पेन के दौरान भारत के 70 शहरों में करीब बीस लाख जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया

इतना सबकुछ करने के बावजूद रॉबिनहुड आर्मी का मानना है कि उन्होंने समस्या को सिर्फ सतही तौर पर स्पर्श भर किया है; समस्या का महज़ 1% समाधान तलाशा है। अभी इस दिशा में उन्हें लगातार, लम्बा संघर्ष करना है।

इस मुहिम के प्रणेता नील घोष कौन बनेगा करोड़पति के विशेष “कर्मवीर” एपिसोड में आमंत्रित किये गए और उनका साथ देने के लिए मौजूद थीं अभिनेत्री काज़ोल

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