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जंक फूड बनाम पौष्टिक भोजन

June 28, 2017


junk-food-vs-healthy-foodजंक फूड और पौष्टिक भोजन एक दूसरे के विरोधी हैं, जो पोषक तत्वों और कैलोरी के कारण एक-दूसरे के साथ संघर्ष करते रहे हैं। यद्यपि हम जानते हैं कि पौष्टिक भोजन हमारे शरीर के लिए अच्छा है लेकिन फिर भी अगर जंक फूड और पौष्टिक भोजन के बीच चुनाव करना हो तो हम जंक फूड ही चुनते हैं। हम ऐसा क्यों करते हैं? हम फलों की सलाद के बजाय एक बर्गर लेना क्यों पसंद करते हैं? क्या हम केवल शरीर की स्वाद की कलियों और भूख के कष्ट को ही संतुष्ट करने के बारे मे सोंचते हैं?

जंक फूड में कैलोरी, वसा, चीनी और नमक की अधिक मात्रा पाई जाती है, यह पौष्टिक भोजन की तुलना में बहुत जल्दी तैयार भी हो जाता है। जंक फूड अच्छे स्वास्थ्य वाले जरूरी और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को शामिल नहीं करता है। जंक फूड अधिक तला हुआ और संरक्षित (डिब्बों में बंद) भोजन होता है जो प्राकृतिक नहीं रह जाता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में चीनी, हाइड्रोजनीकृत वसा, संतृप्त वसा, सोडियम, कृत्रिम मिठास और कैलोरी से तैयार किये गये यह भोजन कई बीमारियों का कारण बनते हैं।

जंक फूड आपके शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

जंक फूड खाने के बाद आप अपने आप को तृप्त तो महसूस करते हैं लेकिन वास्तव में इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। यह भोजन करने के बाद आपको पेट भरे होने के अनुभव के अलावा और कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। इसके अलावा जंक फूड खाने के बाद आपको नींद का आभास भी होगा। क्योंकि धमनियों की भीतरी दीवारों में वसा के जम जाने से रक्त परिसंचरण धीमा हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप नींद आती है।

जंक फूड खाने से मोटापा सबसे आम बात है। भारत के मधुमेह फाउंडेशन के एक अध्ययन से एक बहुत ही आश्चर्यजनक खुलासा हुआ है। जिसमें यह पता चला है कि जंक फूड के कारण दिल्ली के 25% स्कूली बच्चे मोटापे या अधिक वजन के शिकार हैं। जंक फूड का देश में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाता है। स्कूल के बच्चे स्कूल परिसर के बाहर बिकने वाले जंक फूड खाते है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बच्चों के लिए जंक फूड को प्रतिबंधित करने के लिए दिशानिर्देश विकसित करने के लिए कहा गया था, अब तक कोई सख्त नियम और अधिनियम नहीं बनाए गए हैं।

बर्गर, पापड़ (रोल), बंद डिब्बों वाला सलाद जैसे जंक फूड खाने से एकाग्रता खराब हो जाती है। जंक फूड खाने वाले बच्चों में अक्सर एकाग्रता की कमी देखी गई है।

अगर आप उन लोगों में से हैं जो नियमित रूप से जंक फूड खाते हैं तो पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस) और गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लेक्स रोग (जीईआरडी) जैसी बीमारियों के लिए तैयार रहें। जंक फूड में उपस्थित अधिक तेल के कारण पेट में अम्लरोग हो जाता है। जिससे इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा यह पाचन में सहायक फाइबर को भी प्रभावित करता है।

जंक फूड खाने से रक्त में शर्करा का स्तर भी अधिक हो जाता है। इस भोजन में प्रयोग की जाने वाली परिशोधित चीनी सामान्य उपापचय को बाधित करती है। खून में उच्च स्तर वाली परिशोधित चीनी को पचाने के लिए, अग्न्याशय को अधिक इंसुलिन का स्त्राव करना पड़ता है। जंक फूड में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की कमी के कारण रक्त शर्करा में अचानक कमी आ जाती है। इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने के लिये जंक फूड के खाने की लालसा बढ़ जाती है। दूसरी ओर स्वस्थ आहार का मतलब है कि ग्लूकोज उत्पादन को नियमित करना और इंसुलिन स्तर को संतुलित करना। लेकिन जंक फूड खाने का मतलब है कि उपापचय और सामान्य इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए शरीर की कमजोरियों पर जोर देना। जिसके परिणामस्वरूप मधुमेह हो जाता है।

जंक फूड खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्रिग्लिसराइड का स्तर बढ़ता है जो आपके लिए हृदय रोगों और दिल के दौरे जैसी स्थित पैदा करता है। ऐसी स्थिति में गुर्दे की समस्याएं भी हो जाती हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि अधिक जंक फूड के सेवन से 30 साल की उम्र के बाद धमनियाँ काम करना बंद कर देती हैं और भविष्य में दिल के दौरे की संभावना हो जाती हैं। इसलिए बच्चों पर बचपन से ही जंक फूड की बजाय पौष्टिक भोजन करने के लिये बल दिया जाना चाहिए। इस ऑस्टियोपोरोसिस के अलावा, पौरुष ग्रंथि और स्तन कैंसर की जड़ें बचपन से खाने की आदतों से पनपती हैं।

यूरोपीय जर्नल में प्रकाशित, कैंसर रोकथाम के एक अध्ययन में पाया गया है कि फास्ट फूड में अधिक मात्रा में मौजूद चीनी और वसा कैंसर के विकास की संभावना बढ़ा देती है।

दूसरी तरफ पौष्टिक भोजन में सब्जियाँ, फल, माँस, अनाज और दालों जैसे पोषक तत्वों की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। पौष्टिक भोजन खाने से आपका मन, शरीर और आत्मा भी स्वस्थ रहती है। अखरोट खाने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है। संपूर्ण भोजन में जंक फूड की कम मात्रा या बिल्कुल न लेना स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है। पौष्टिक भोजन प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को भी कम करता है। जामुन, जैसे ब्लूबेरी एंटीऑक्सिडेंट्स जो कैंसर के खतरों को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं। अखरोट, फलियों और अनाजों में प्रोटीन और फाइबर की काफी मात्रा होती है। बच्चों को खाने में हरी भरी सब्जियाँ, फल, ब्रोकोली, मीठे आलू, दूध और पानी का अधिक प्रयोग करना चाहिए।

फास्ट फूड आज के खाद्य उद्योग में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ भोजन है क्योंकि यह उचित मूल्य में बेहतर स्वाद सहित आसानी से उपलब्ध हो जाता है। Worldwatch.org द्वारा आयोजित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में फास्ट फूड उद्योग में हर साल 40% तक की बढ़ोत्तरी हो रही है। भारत दुनिया में फास्ट फूड के दस शीर्ष उपभोक्ताओं में शामिल हो गया है।

हम जो खाते हैं वह हमारे विकास, स्वास्थ्य, व्यवहार और मन पर अपना असर डालता है। परंपरागत भारतीय घरों में पकाया जाने वाला खाना उतना ही विविध है जितना कि भारत की संस्कृति। लेकिन पश्चिमी संस्कृति में बढ़ते प्रभाव से खाद्यान्न के सेवन में विशेष रूप से शहरी परिवारों के बीच अंतर है, जो अपने घरों में बाहर के अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों और जंक फूड को खाना पसंद करते हैं। बहुराष्ट्रीय खाद्य केन्द्र अब स्वीकार्य हैं और इन जगहों पर जाना एक फैशन अभिव्यक्ति है।

लेकिन हमें पौष्टिक भोजन के फायदे नहीं भूलने चाहिए कि यह हमारे शरीर के लिए कितने लाभदायक हैं।

पौष्टिक भोजन खाएं, जंक फूड से दूर रहें, व्यायाम करें और अपने आप को फिट रखना जीवन का मंत्र बनाए।

जंक फूड के उदाहरण

  • शीतल पेय
  • बर्गर
  • सैंडविच
  • फ्रेंच फ्राइज
  • पिज्जा
  • पास्ता
  • क्रिस्प्स
  • चॉकलेट
  • मिठाइयाँ
  • हॉट डॉग

जो आपके अनुसार सबसे हानिकारक जंक फूड है उस जंक फूड पर अपने विचार साझा करें।