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Category Archives: society

प्राकृतिक रंगों से अपनी होली को बनाएं स्पेशल

हाँ, रंगों के भारतीय त्यौहार, होली को अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं। एक बार फिर से तरह तरह के रंग, जिन्हें सामान्यतयः “गुलाल” कहा जाता है, सड़क के किनारों पर और बाजारों में, बहु-रंगीं पिचकारी (पानी वाली बंदूक) और अन्य होली के सामानों के साथ बेचें जा रहे हैं। बहुत से चमकदार रंगों वाले गुलाल का आकर्षण, हमें उन्हें खरीदने के लिए आकर्षित करता है। लेकिन, सच यह है कि इनमें से [...]

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स्कूली बच्चों और छात्रों के लिए होली पर निबंध

होली या “रंगों का त्यौहार” भारतीय उप-महाद्वीप में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। मैप्स ऑफ इंडिया सभी छात्रों के लिए सूचनाओं का व्यापक स्नैपशॉट प्रस्तुत करता है और इस समय शिक्षक भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली पर दिलचस्प निबंध लिखने की फिराक में होंगे। परिचय होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह त्यौहार सर्दियों के बाद वसंत में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों के लिए [...]

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यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपात निधि) के अनुसार बाल विवाह की परिभाषा – यूनिसेफ ने बाल विवाह को “18 वर्ष से पहले की शादी” के रूप में परिभाषित किया है और इस प्रथा को मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में माना जाता है। हम में से अधिकांश लोगों ने “बालिका वधू” नामक एक टीवी धारावाहिक देखा है, जो कि राजस्थान के गांवों में बाल विवाह की अवधारणा पर आधारित है और जिसकी निंदा तहे [...]

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तकनीकी सक्रियता के बाद, अब ‘सोशल मीडिया सक्रियता’ आज की पीढ़ी के लिए एक पर्याय बन गई है। आज लगभग तीन में से दो भारतीय अलग-अलग सोशल नेटवर्किंग साइटों जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, पिन्ट्रेस्ट आदि पर ऑनलाइन रहकर अपना समय बिताते हैं। यहाँ तक कि अब सोशल मीडिया की तुलना व्यक्तिगत ईमेल भेजने की प्रवृत्ति समाज में बहुत पुरानी हो गई है। लेकिन भारत में सोशल मीडिया इतना लोकप्रिय क्यों हो रहा है? इंटरेक्शन, [...]

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तिरुमाला तिरुपति

एक हिंदू भक्त के लिए, तिरुमाला की व्यक्तिगत यात्रा करना अपने सम्पूर्ण जीवन की आध्यात्मिक आकांक्षाओं को पूरा करने के समान है। यह एक ऐसा पवित्र धार्मिक स्थल है, जहाँ पर हर रोज दुनिया भर से आने वाले हजारों श्रद्धालु दैवीय आर्शीवाद प्राप्त करते है। तिरुमाला का ऐतिहासिक काल हिंदू पौराणिक कथाओं में वैष्णव परंपरा के अनुसार, पृथ्वी पर तिरुमाला को एकमात्र वैकुंठ और पूजनीय भगवान वेंकटेश्वर, भगवान बालाजी, भगवान नारायण एवं भगवान श्रीनिवास का [...]

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  पिछले 200 वर्षों में, हमारे देश ने चाय उद्योग में एक लंबा सफर तय कर लिया है। वर्ष 1835 में, पहली बार निर्यात के लिए 12 बक्से चाय का उत्पादन किया गया था। आज, भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत के प्रमुख चाय उत्पादक राज्य भारत के पूर्वोत्तर राज्य,  विशेष रूप से असम और त्रिपुरा में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है। भारत में कुल उत्पादित चाय [...]

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क्या प्रौद्योगिकी का अधिक इस्तेमाल हमारे और हमारे प्रियजनों के बीच दूरियां बढ़ा रहा है?

पूरे देश में मोबाइल के प्रयोग का स्तर उच्च रहा है। आज के युग में, इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी दुनिया को करीब कर रहे हैं। इस प्रौद्योगिकी से दुनिया भर में किसी अजनबी के साथ जुड़ना काफी आसान हो गया है। लेकिन हकीकत यह है कि प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग हमारे और हमारे प्रियजनों के बीच गहरी दरार डाल रहा है। हालांकि, आप अपना फोन उठाकर बहुत ही आसानी से एक दोस्त से चैटिंग कर [...]

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भारत में इलेक्ट्रॉनिक शौचालय: क्रिया विधि, कार्य क्षमता और सुविधाएं

भारत में, शौचालयों की कमी खुली जगहों में शौच करने के कारण हुई है, जिसने एक प्रमुख स्वास्थ्य-रक्षा संबंधी समस्या पैदा कर दी है। लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के साथ, सरकार और कई संगठन विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक मूत्रालयों और शौचालयों को बनवाकर स्वच्छ भारत मिशन योजना की शुरुआत कर रही है। हालाँकि, इनमें से अधिकतर सार्वजनिक शौचालय और मूत्रालय आवश्यक स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप टिक नहीं पाए हैं। इनमें से अधिकांश शौचालय ऐसे [...]

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भारत में जेनेरिक दवाएं: अधिक जागरूकता की आवश्यकता है

ज्ञात तथ्य यह है कि भारत जेनेरिक दवाओं के मामलों में वैश्विक नेता है, जो दवाएं अफ्रीका और अमेरिका सहित कई अन्य उभरते हुए बाजारों में निर्यात की जाती है। 2 अक्टूबर 2012 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा परिषद ने एक निर्देश जारी किया था कि भारत में जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड नामों के तहत नहीं, बल्कि उनके सामान्य नामों से ही बेचा जाएगा और केंद्र एवं राज्य सरकारों के अस्पतालों में सभी [...]

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स्वच्छ भारत अभियान - अन्य देशों के कुछ उदाहरण

भारत जैसे देश में, स्वच्छता की सुविधाएं और स्वच्छ सुरक्षित जल पीने का सपना अभी भी बहुत दूर है। जबकि भारत अन्य क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है स्वच्छता और पीने के पानी की सुविधाओं की कमी ने विकास प्रक्रिया में बाधाओं की तरह काम किया है। ये मूलभूत अधिकार न केवल स्वास्थ्य और स्थायी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि गरीबी को दूर करने और देश के समग्र विकास के लिए भी बहुत आवश्यक [...]

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