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रियो पैरालिंपिक में भारत को उम्मीद

September 8, 2016


रियो पैरालिंपिक में भारत को उम्मीद

रियो पैरालिंपिक में भारत को उम्मीद

इस बार बेहतर प्रदर्शन करेंगे एथलीट्स

ब्राजील के खूबसूरत शहर रियो में ओलिंपिक खत्म होने के बाद अब बारी आती है पैरालिंपिक की। पैरालिंपिक 7 सितंबर से शुरू हो चुका है और 18 सितंबर को खत्म होंगे। उम्मीद है कि इस पैरालिंपिक में भारत के 19 एथलीट्स बेहतर प्रदर्शन करेंगे। ये 19 एथलीट्स 10 खेलों में भाग लेंगे। भारतीय खेल मंत्रालय इस पैरालिंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए पहले ही इनामी राशि की घोषणा कर चुका है। मंत्रालय के मुताबिक गोल्ड मेडल जीतने पर एथलीट को 75 लाख रुपए दिए जाएंगे। वहीं सिल्वर मेडल जीतने वाले एथलीट को 50 लाख रुपए और ब्रांज मेडल जीतने वाले को 30 लाख रुपए पुरस्कार स्वरुप दिए जाएंगे।

उम्मीदें देवेंद्र झांझरिया से

2004 में एथेंस में हुए पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झांझरिया से इस बार भी खासी उम्मीदें रहेंगी। रियो पैरालिंपिक उनका चौथा पैरालिंपिक होगा। इस बार भी उन्होंने भरोसा जताया है कि पिछला प्रदर्शन दोहराएंगे और भारत के लिए पदक जीतेंगे।

रियो पैरालिंपिक 2016

रियो पैरालिंपिक में कुल 23 इवेंट में दुनियाभर के 4300 एथलीट अपना दम-खम दिखाएंगे। इस पैरालिंपिक में होने वाले मुकाबलों की सूची इस प्रकार है-

तीरंदाजी
सेलिंग
एथलेटिक्स
निशानेबाजी
बोसिया
तैराकी
साइकिलिंग
टेबल टेनिस
पैरा केनोए
वालीबॉल
एक्वेस्ट्रेन
व्हील चेअर बास्केटबॉल
फुटबॉल (फाइव-ए-साइड और सेवन-ए साइड)
व्हील चेअर फेंसिंग
गोलबॉल
व्हील चेअर टेनिस
जूडो
व्हील चेअर रग्बी
पैरा ट्रायथलॉन
केनो-कयाक
पॉवर लिफ्टिंग
ट्रायथलॉन
रोइंग

केनो-कयाक और ट्रायथलॉन पहली बार पैरालिंपिक में शामिल किए गए हैं। सभी खेल पिछलों सालों की तर्ज पर ही होंगे।

दुर्बलता की कैटेगरी

अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक कमेटी (आईपीसी) ने इन खेलों में भाग लेने वाले एथलीट्स के लिए कुछ मापदंड तय किए हैं। आईपीसी द्वारा निर्धारित इन मापदंडों के अनुसार ही एथलीट्स पैरालिंपिक में खेलने की पात्रता हासिल कर सकते हैं। इनकी सूची इस प्रकार है।

इम्पायर्ड मसल पॉवर
हायपरथोनिया
इम्पायर्ड पैसिव रेंज ऑफ मूवमेंट
एटेक्सिया
लिम्ब डिफेसिंसी
एथेटॉसिस
लेग लेन्थ डिफ्रेंस
विज़न इम्पेयरमेंट
शॉर्ट स्टेचर
इंटलैक्चुअल इम्पेयरमेंट

पैरालिंपिक खेलों में भारतीय दल

भारत ने अब तक इन खेलों में सिर्फ आठ मेडल ही जीते हैं। इसमें दो गोल्ड मेडल शामिल हैं। इसके अलावा तीन सिल्वर और तीन ब्रांज मेडल भारत की झोली में आए हैं। सबसे ज्यादा मेडल ट्रैक एंड फील्ड से आए हैं, जिसमें एक गोल्ड, तीन सिल्वर और दो ब्रांज मेडल शामिल है। भारत ने एक गोल्ड मेडल तैराकी और एक ब्रांज मेडल पॉवर लिफ्टिंग में भी जीता है।
रियो पैरालिंपिक 2016 में भारतीय पुरुष टीम

भारतीय ओलिंपिक कमेटी ने रियो पैरालिंपिक में 16 सदस्यीय पुरुष टीम भेजी है। ये एथलीट्स जिन खेलों में भाग लेंगे, उनकी सूची इस प्रकार है-

मरियप्पन थंगवेलू हाई जंप
वरुण सिंह भाटी हाई जंप
शरद कुमार हाई जंप
रामपाल चहर हाई जंप
सुंदर सिंह गुर्जर जेवलिन
देवेंद्र झाझरिया जेवलिन
नरेंदर रणबीर जेवलिन
रिंकू जेवलिन
संदीप जेवलिन
अमित कुमार सरोहा क्लब थ्रो
धरमबीर क्लब थ्रो
नरेश कुमार शर्मा निशानेबाजी
सुयश नारायण जाधव तैराकी
बाशा फरमन पॉवर लिफ्टिंग
अंकुर धामा 1500 मीटर रेस
वीरेंदर ढांका जेवलिन और शॉटपुट

भारतीय महिला एथलीट्स की बात करें तो तीरंदाजी में पूजा भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। कर्मज्योति दलाल डिस्कस थ्रो और दीपा मलिक शॉटपुट में भारत के लिए पदक लाने की कोशिश करेंगी।

भारतीय एथलीट्स के बारे में जानकारी

पहला सवाल यह आता है कि रिश्तेदारों, दोस्तों, जान-पहचान वालों और एसोसिएशन के पदाधिकारियों को छोड़ दें तो जेवलिन थ्रो में भारत के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद देवेंद्र झाझरिया को देश में कितने लोग जानते हैं ? जिस वक्त अभिनव बिंद्रा ने पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाला था तब पूरे देश ने इस जश्न मनाया था, लेकिन पैरालिंपिक गेम्स में देश को पहला गोल्ड दिलाने वाले देवेंद्र को किसने सराहा ? हम में से कोई नहीं जानता कि इस अद्भुत एथलीट ने तमाम सीमाओं के बावजूद वो कारनामा कर दिखाया था, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्या आप जानते हैं कि देवेंद्र ने अपने कारनामे से भारत का सम्माना बढ़ाया ?

देश की मीडिया को अब अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और इस शानदार खिलाड़ी को दुनिया के सामने लाना चाहिए, जो कई कठिन चुनौतियों से मुकाबला कर इस मुकाम पर पहुंचा। भारतीय मीडिया ओलिंपिक में एथलीट्स की नाकामयाबी पर तो हजारों पन्ने लिख डाले हैं, लेकिन देवेंद्र की शानदार सफलता और बेहतरीन प्रदर्शन का कहीं कोई जिक्र नहीं है।

यह भी अजीब बात है कि समर ओलिंपिक की तरह पैरालिंपिक के लिए अलग से कोई कार्यक्रम नहीं किया जाता। पैरालिंपिक खेलों के आयोजन के लिए एक अलग समारोह होना चाहिए। यहां सवाल यह भी उठता है कि अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी पैरालिंपिक को ओलिंपिक खेलों के साथ-साथ ही क्यों नहीं आयोजित कर सकती ? पैरालिंपिक गेम्स को अब तक वो तवज्जो नहीं मिल पाई है, जिसका वो हकदार है। खासकर भारत जैसे देशों में, जहां के एथलीट्स बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद भी मीडिया में जगह नहीं बना पाते। इसकी वजह शायद यही है कि ओलिंपियन के मुकाबले पैरालिंपियन को सहानुभूति की नजरों से देखा जाता है। प्रायोजक भी इनकी अनदेखी के लिए जिम्मेदार हैं।

पैरालिंपियन उस प्लेटफॉर्म पर अपनी देशभक्ति क्यों जाहिर नहीं कर सकते, जहां नामी सितारे रहते हैं और जिन्हें लोग पहले से ही जानते हैं। कम से कम से पैरालिंपियन को ओलिंपिक का एक हिस्सा बनाना चाहिए, ताकि इन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके और दुनियाभर में इन्हें और इनके टैलेंट को भी पहचान मिले। भविष्य में भारतीय कॉर्पोरेट्स और बड़े-बड़े बिजनेस हाउस को भी आगे आना होगा और इन एथलीट्स से जुड़ना होगा।

कल्पना कीजिए यदि मार्च पास्ट में दीपा कर्माकर, साक्षी मलिक और पीवी सिंधु के साथ-साथ देवेंद्र झाझरिया और उनके जैसे ही अन्य पैरा-एथलीट्स शामिल हो। सोचिए उस वक्त ये लोग क्या महसूस कर रहे होंगे। ये एथलीट्स भी उन सारे सम्मानों के हकदार हैं, जिनके आम एथलीट्स हैं। महज चंद खामियों की वजह से इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

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