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सशस्त्र बलों की महिमा के लिए भारत ने किया पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण

June 5, 2017


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india-successfully-test-fires-nuclear-capable-ballistic-missile-hindiएक जिम्मेदार राष्ट्र होने के बावजूद, भारत को पाकिस्तान जैसे कठोर और खतरनाक पड़ोसी देशों से चुनौतियों का सामना करने के लिए संसाधनों और सामग्रियों को बनाये रखना होता है। हाल ही में ओडिशा के चाँदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से हुए पृथ्वी-2 मिसाइल के सफल परीक्षण को इस संदर्भ में देखना चाहिये। यह बैलिस्टिक मिसाइल सतह से सतह में मार करने में सक्षम है। पृथ्वी-2 मिसाइल 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने और 500 से 1000 किलोग्राम हथियार ले जाने में सक्षम है। इसके द्वारा दुश्मन के किसी भी प्रकार के क्षेत्र में काफी आगे तक पहुँचकर पारंपरिक या सामरिक हथियारों की आपूर्ति की जा सकती है। इसके इलावा, एक ही स्तर पर नौ मीटर लंबाई में भरे तरल ईंधन युक्त मिसाइल की विशेषता यह है कि करीब 30 कि.मी. की ऊंचाई पर पहुँच कर, अपने लक्ष्य को 80 अंश के कोण पर लक्षित करने के बाद यह मिसाइल चढ़ाई और गोता लगाना बंद कर देती है। यही कारण है कि दुश्मन को इस मिसाइल से बहुत डर है। इस मिसाइल का 1988 में पहली बार परीक्षण किया गया और 2003 में इसे सशस्त्र बलों में शामिल किया गया था।

रक्षा बलों के लिये पृथ्वी मिसाइल का महत्व

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी तौर पर निर्मित इस मिसाइल के तीन रूप हैं- पृथ्वी-1, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3। पृथ्वी-1 और पृथ्वी-2 तरल ईंधन पर आधारित मिसाइलें हैं। पृथ्वी मिसाइल का तीसरा संस्करण 750 कि.मी. की मारक क्षमता से लैस है इसे ट्रांसपोर्टर एरेक्टर लॉन्चर वाहन से लॉन्च किया जाता है। अचूक निशाना लगाने के कारण यह दुश्मन के लक्ष्य को प्रभावी रूप से प्रभावित करने में सक्षम है, जिसके कारण युद्ध भूमि में यह एक भरोसेमंद हथियार बन सकती है। कम दूरी की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल भारतीय सेना द्वारा विशेष रूप से बनाई गई रणनीतिक बल कमांड (एसएफसी) के कब्जे में है। पृथ्वी मिसाइल में वायु सेना और नौसेना का संस्करण भी है। जबकि सेना का संस्करण 1000 किलोग्राम और वायुसेना का संस्करण 500 किलोग्राम पेलोड ले जाने में सक्षम है। इसे दुश्मन की महत्वपूर्ण रणनीतियों और रक्षा लक्ष्यों को विफल करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। यह राडार, मिसाइल लॉन्चिंग पैड और सैन्य दलों की एकाग्रता को आघात पहुँचा सकती है। मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने वाली मिसाइलों से बचने के लिये यह मिसाइल धोखा देने के उपायों की क्षमता से लैस है। पृथ्वी-3 मिसाइल दो स्तर- तरल और ठोस संचालन प्रणाली का उपयोग करती है। आईएनएस सुभद्रा और आईएनएस राजपूत बोर्ड पर सफलतापूर्वक परीक्षण किये जाने के बाद भारतीय नौसेना द्वारा इस प्रणाली का उपयोग किया जाता है। गति और सटीक गुणवत्ता में निरंतर सुधार लाने के साथ, पृथ्वी मिसाइल एक बहुत ही महत्व वाला हथियार बन गयी है।

रक्षा के मामले में भारत की तत्परता

यह देखते हुए कि भारत का एक ऐसा पड़ोसी देश है जिससे लगभग सात दशकों से देश की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा बना हुआ है, नई दिल्ली को न केवल उच्च स्तर की जागरूकता की आवश्यकता है, इसके लिये उच्च गुणवत्ता और सटीक हथियारों की जरूरत है ताकि आसन्न शत्रु के शस्त्रागार को मात दी जा सके।  इसका अर्थ यह है कि, भारत की रक्षा तैयारियों को एक श्रेष्ठ स्तर की आवश्यकता है और ऐसा करने के लिये देश में हथियारों का निर्माण करना होगा। लेकिन दुर्भाग्य से, इस मामले पर देश में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया गया है। यही कारण है कि सशस्त्र बलों द्वारा करीब 30 प्रतिशत अप्रचलित तकनीकों का उपयोग किया जाता है। भारतीय सेना पूरी तरह से अप्रचलित तकनीकों से लैस है। मार्च 2012 में, तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह यह कहते हुए रिकार्ड बना दिया कि “वायु सेना की 97 प्रतिशत रक्षा सूची अप्रचलित थी।” इस पृष्ठभूमि में, कुछ भी नहीं बदला है। इस संबंध में, हाल ही में हुए पृथ्वी-2 के सफल परीक्षण को सशस्त्र बलों के लिये एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जाना चाहिये।

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