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अनुच्छेद 35 ए: कश्मीर की ‘विशेष स्थिति’ पर खतरा

August 17, 2017


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Artical-35A_hindiजम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से संबंधित भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35 ए को 1954 के बाद से लागू किया गया है। यह जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 का हिस्सा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा दी गई चुनौती से अनुच्छेद 35 ए का अस्तित्व खतरे में हो सकता है। आइए हम देखते हैं कि आखिर अनुच्छेद 35 ए है क्या? और क्यों राजनेता इसको हटाने पर विरोध कर रहे हैं।

क्या है अनुच्छेद 35?

अनुच्छेद 35 ए भारतीय संविधान का एक अनुच्छेद है जो जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा को स्थायी नागरिकता की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। यहाँ के स्थायी नागरिकों को कुछ अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं और उन्हें स्थायी निवास प्रमाणपत्र भी दिया जाता है, इसके तहत उनको रोजगार के अवसर और छात्रवृत्ति के साथ इसी तरह के कई और लाभ प्रदान किए जाते हैं। इस अनुच्छेद के कुछ मुख्य पहलू यह हैं कि, यह कश्मीर के अलावा जम्मू और लद्दाख पर भी लागू होता है, यह राज्य के स्थायी निवासियों को अपनी निजी संपत्ति रखने और खरीदने का अधिकार देता है तथा बाहर से आने वाले लोगों को ऐसा करने से रोकता है। जम्मू और कश्मीर राज्य के जनसांख्यिकीय चरित्र की रक्षा करने के कारण यह अनुच्छेद बहुत महत्व रखता है, कश्मीर भारत का एकमात्र मुस्लिम बहुमत वाला राज्य है।

सरकार इसे क्यों खत्म कर रही है?

2015 में, आरएसएस के समर्थन वाली एक वैचारिक संस्था, जम्मू और कश्मीर अध्ययन केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में इस अनुच्छेद को चुनौती दी थी। 2017 में एक छोटे से गैर सरकारी संगठन “वी द सिटीजन्स” द्वारा इस अनुच्छेद को चुनौती दी गई, जो कहते हैं कि यह अनुच्छेद महिलाओँ के लिए असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। इसलिए, इसे खत्म कर देना चाहिए। हाल ही में दर्ज की गई एक याचिका में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर की उन महिलाओं के संपत्ति से संबंधिक अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं जिन्होंने किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से शादी कर ली है। यह केवल उन महिलाओं को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि बच्चों को भी स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं दिया जायेगा और उनको अपनी माँ की संपत्ति पर कब्जा करने से भी रोक दिया जायेगा।

इसके अलावा, राज्य की विधानसभा को अन्य राज्यों के लोगों की समानता के अधिकार का उल्लंघन या भारत के संविधान के तहत सूचीबद्ध किसी भी अन्य अधिकार के उल्लंघन के आधार पर चुनौती के बिना किसी भी कानून को बनाए रखने का अधिकार दिया गया है।

राजनेताओं का दृष्टिकोण

जम्मू और कश्मीर के राजनेता अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने का विरोध कर रहे हैं और यह कहा है कि अगर इस अनुच्छेद को समाप्त कर दिया जाता है तो केन्द्र सरकार के वादे से राज्य की विशेष स्थित की रक्षा का अपमान किया जायेगा। उन्हें यह भी डर है कि इस कानून के समाप्त होने से राज्य की जनसांख्यिकी में भारी बदलाव आ जायेगा क्योंकि इससे अन्य राज्यों के लोगों का जम्मू-कश्मीर में बसने का मार्ग खुल जायेगा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और शीर्ष नेता उमर अब्दुल्ला तथा वर्तमान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस कानून को खत्म करने पर चेतावनी दी है। जबकि मुफ्ती ने कहा है कि यह राज्य के साथ भारत के कमजोर संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के लिए इसका परिणाम बहुत ही गंभीर होगा।

क्या अनुच्छेद 35 ए की समाप्ति से हो सकता है कश्मीर की समस्या का समाधान?

जम्मू और कश्मीर पहले ही एक बहुत समस्या ग्रस्त राज्य रहा है और अक्सर पत्थरबाजी जैसी घटनाएं होती रहती हैं। राज्य की किसी भी समस्या को सुलझाने के अलावा अनुच्छेद 35 ए के साथ की गई किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ इसकी स्थित को और बदतर करेगी। संभावना की जाती है कि केन्द्र सरकार सत्तारूढ़ पीडीपी और विपक्ष को एकजुट करके इस अनुच्छेद को समाप्त कर सकती है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी है कि यदि अनुच्छेद 35 ए के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है तो राज्य में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने वाला कोई नहीं होगा।

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