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दिल्ली मेट्रो की सम्पूर्ण जानकारी

July 25, 2016


दिल्ली मेट्रो की सम्पूर्ण जानकारी

दिल्ली मेट्रो की सम्पूर्ण जानकारी

2020 तक ग्लोबल एलिट अर्बन नेटवर्क क्लब में शामिल हो जाएगी दिल्ली मेट्रो

दिल्ली के नागरिकों के लिए बहुत अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण को हरी झंडी दिखा दी है। इसके तहत मेट्रो के मौजूदा नेटवर्क में 106 किलोमीटर अतिरिक्त लाइन जोड़ने पर काम होगा। दिल्ली के बाहरी इलाकों, जैसे- नरेला, बवाना, पुरानी दिल्ली के हिस्से और एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 भी मेट्रो से जुड़ जाएंगे।
2020 के अंत तक दिल्ली मेट्रो का चौथा चरण पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद दिल्ली मेट्रो के कुल रेल नेटवर्क की लंबाई 457 किमी हो जाएगी, जिससे वह दुनिया के सबसे पुराने मेट्रो – द लंदन मेट्रो – को पीछे छोड़ देगा।

कुछ स्थानीय विधायकों ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की ओर से दिल्ली सरकार को सौंपी गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में कुछ छोटे-मोटे बदलावों के सुझाव दिए थे। लेकिन दिल्ली सरकार ने रिपोर्ट को बिना किसी संशोधन के मंजूरी दे दी।

अब मसला केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की मंजूरी के लिए जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलने पर ही डीएमआरसी नए प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी कर सकेगा।
चौथे चरण में यह छह नए कॉरिडोर बनेंगेः

-जनकपुरी (वेस्ट) – आरके आश्रमः 28.92 किमी; स्टेशनः 26
-तुगलकाबाद – टर्मिनल 1 एयरपोर्टः 22.20 किमी; स्टेशनः 16
-रिठाला-नरेलाः 21.73 किमी; स्टेशनः 15
-इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थः 12.57 किमी; स्टेशनः 10
-मुकुंदपुर-मौजपुरः 12.54 किमी; स्टेशनः 7
-लाजपत नगर- साकेत जी-ब्लॉकः 7.96 किमी; स्टेशनः 6

चौथे चरण में प्रस्तावित 106 किलोमीटर के नए नेटवर्क में 35 किमी का नेटवर्क अंडरग्राउंड होगा और 71 किमी एलिवेटेड। इस चरण पर 55,000 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। यह चरण पूरा होने पर रोजाना 15 लाख अतिरिक्त यात्री दिल्ली मेट्रो की सेवा ले सकेंगे।

ऑपरेशनल और नियोजित नेटवर्क

फेज 1 : 2: 190 किमी, जिस पर रोजाना 15 लाख यात्री सफर करते हैं (वर्तमान में 213 किमी ऑपरेशनल)
फेज 3: 160.57 किमी, जिस पर रोजाना 48 लाख यात्रियों के सफर करने की उम्मीद है
फेज 4: 106 किमी, जिस पर रोजाना 63 लाख यात्रियों के सफर करने की उम्मीद है
फेज 4 पूरा होने के बाद प्रोजेक्ट की कुल दूरीः 456.57 किमी

नए कीर्तिमान गढ़ता दिल्ली मेट्रो

कोलकाता मेट्रो भले ही भारत की पहले मेट्रो हो, दिल्ली मेट्रो ने अपने आपको उस मुकाम पर पहुंचा दिया है कि देश में किसी भी जगह नई मेट्रो चलेगी तो उस परियोजना में दिल्ली मेट्रो का ही अनुसरण होगा।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने लागत और समयसीमा को लेकर वैश्विक मानक तय किए हैं। इससे कम लागत और इसके जैसा प्रभावी मेट्रो नेटवर्क दुनिया में आपको कहीं भी नहीं मिलेगा। कई विकासशील देश इतने प्रभावित हैं कि वह डीएमआरसी की मदद सलाहकार के तौर पर या प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में महती भूमिका निभाने के लिए मांग रहे हैं।
जब दिल्ली मेट्रो का विचार सामने आया था तब काफी कम लोगों को यह विश्वास हुआ था कि कम-लागत में यात्रा कराने के बाद भी यह फायदेमंद साबित होगा। आज, दिल्ली मेट्रो ने प्रभावी डिजाइन, सामग्री चयन, समय पर आपूर्ति, करीबी ठेकेदारों की निगरानी और समय पर परियोजना को पूरा करने में अपनी पहचान बनाई। इनकी बदौलत ही दिल्ली मेट्रो की परियोजना समय पर और प्रभावी ढंग से पूरी हो सकी। इससे पहले देश में प्रभावी कार्यशैली और प्रणाली का ऐसा कोई उदाहरण नहीं था।

सफलता के अन्य कारण

जिस भी शहर में यातायात अस्त-व्यस्त हो। जाम लगते हो। वहां मेट्रो रेल की यात्रा स्वागतयोग्य कदम होगा। हालांकि, किसी भी मेट्रो को सही मायनों में प्रभावी बनाने के लिए मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट का प्रभावी नेटवर्क जरूरी है। इसमें बस, ऑटो, टैक्सी, ट्राम और नियमित रेल लाइन जरूरी है। उनकी बदौलत ही हर यात्री को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए परिवहन का साधन मिल पाता है।

यह लक्ष्य भी हो तो, सभी जगहों पर एक ही समय पर परियोजना शुरू करने की लागत की वजह से कई शहरों में महत्वाकांक्षी जन-परिहवन की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरा जा सकता।

डीएमआरसी को यह बात स्पष्ट थी कि यदि दिल्ली को एक प्रभावी जन-परिवहन का साधन देना है तो परिवहन के अन्य साधनों को भी एकीकृत करना होगा। दिल्ली में अभी भी इस दिशा में काम हो रहा है और बहुत कुछ किया जाना शेष है।

अधिकतम इंटर-चेंज स्टेशनों के साथ विस्तृत नेटवर्क

आकार को देखते हुए, दिल्ली को न सिर्फ एक से ज्यादा मेट्रो कॉरिडोर चाहिए, बल्कि उनकी सफलता ‘इंटर-चेंज’ सुविधाओं पर भी निर्भर करती है। मेट्रो के यात्रियों को शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अधिकतम एक जगह रूट बदलना पड़े।

दिल्ली मेट्रो की प्रभावशीलता फेज1 और फेज 2 के पूरे होने पर सिर्फ 9 इंटर-चेंज स्टेशनों तक सीमित थी। इसकी वजह से यात्रियों का मूवमेंट सीमित था। परिवहन के अन्य साधनों पर निर्भरता भी बढ़ गई थी।

फेज-3 पूरा होने के बाद, इंटर-चेंज स्टेशनों की संख्या 27 हो गई। 2020 तक चौथे चरण के पूरा होने पर इंटर-चेंज स्टेशनों की संख्या बढ़कर 41 हो जाएगी। इससे दिल्ली मेट्रो देश का सबसे प्रभावी डिजाइन मेट्रो नेटवर्क बन जाएगा। जहां ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को बिना किसी दिक्कत के सफर करने का मौका मिलेगा।

इस क्षेत्र में दिल्ली अन्य शहरों में विकसित हो रहे या विकसित हो चुके मेट्रो नेटवर्क से अलग मुकाम हासिल कर पाया है। इनमें बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, जयपुर, अहमदाबाद, कोच्चि, पुणे, लुधियाना और लखनऊ शामिल है।

अन्य मेट्रो प्रोजेक्ट में हो रही देरी

अन्य शहरों ने भी मेट्रो रेल सेवाओं का रास्ता पकड़ा है, जो उन शहरों के परिवहन ढांचे के लिए निश्चित तौर पर एक स्वागतयोग्य कदम है। लेकिन यदि इस सेवा को और प्रभावी बनाना है, तो ज्यादा से ज्यादा कॉरिडोर बनाने होंगे। इंटर-चेंज स्टेशनों की संख्या को बढ़ाने पर ही रेल नेटवर्क की सफलता का दारोमदार है।

अन्य शहरों की ज्यादातर मेट्रो परियोजनाएं समय और लागत के तय पैमाने से पीछे चल रही है। इन परियोजनाओं की सबसे बड़ी समस्या जमीन अधिग्रहण की रही। राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से रुट बदले गए और केंद्र की ओर से फंड्स जारी होने में भी देरी हुई।

देश का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट होने के बाद दिल्ली मेट्रो को जमीन अधिग्रहण में काफी कम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जहां भी समस्याएं आईं, वहां केंद्र और राज्य सरकार के हस्तक्षेप से तत्काल समाधान निकाला गया।

अन्य प्रस्तावित मेट्रो परियोजनाओं की तरह दिल्ली मेट्रो को फंड की कमी का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उसको तो जरूरत के मुताबिक फंड उपलब्ध होता रहा।
अन्य राज्यों में, स्थानीय राजनीति ने राज्य सरकार को राजनीतिक रूप से संवेदनशील इलाकों में धीमी गति से काम करने पर मजबूर कर दिया। स्थानीय लोगों ने मेट्रो के जमीन अधिग्रहण पर आपत्ति दर्ज कराई। एक तो अपर्याप्त मुआवजे को लेकर और दूसरा, राज्य सरकार के पास वैकल्पिक व्यवस्थाएं न होने के कारण।

यात्री अनुभव- श्रेष्ठ परिणाम

दिल्ली मेट्रो में रोजाना सफर करने वाले ज्यादातर यात्रियों का अनुभव संतोषजनक है, लेकिन भीड़भाड़ और तकनीकी खामियों की वजह से मेट्रो की प्रतिष्ठा को कुछ हद तक ठेस पहुंचा है।

ट्रेन की फ्रिक्वेंसी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त रैक्स उपलब्ध कराए गए हैं। अतिरिक्त स्टेशनों पर स्मार्ट कार्ड गेट एक्सेस विकल्प भी उपलब्ध कराया गया है। इस सबके अलावा, अतिरिक्त कॉरिडोर बनेंगे तो दिल्ली के यात्रियों का दैनिक यात्रा अनुभव भी सुधरेगा।

अब इस बात का इंतजार करना होगा कि अन्य शहरों के मेट्रो नेटवर्क कैसे काम करते हैं। उनका प्रदर्शन दिल्ली के मानकों पर खरा तरता है या नहीं।

—  देबु सी