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भारत के 29 शहर भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील – एनसीएस

August 2, 2017


Earthquakes-hindiराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस) ने कहा है कि वर्तमान में भारत के 29 शहर और कस्बे भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। कुछ स्थानों पर खतरे का स्तर गंभीर है तो कुछ स्थानों पर अति गंभीर है। एनसीएस ने यह भी कहा है कि इस सूची में दिल्ली के साथ नौ अन्य राज्यों की राजधानियाँ भी शामिल हैं। अधिकांश भूंकपीय क्षेत्र हिमालय के आस-पास स्थित हैं, जो किसी भी स्थित में दुनिया के उन क्षेत्रों में से एक हैं जो भूकंपीय गतिविधियों के उच्चतम स्तर का सामना कर रहे हैं।

निम्नलिखित शहरों और कस्बों को भूकंपीय V और IV जोन में शामिल किया गया है।

  • दिल्ली
  • पटना – बिहार की राजधानी
  • श्रीनगर – जम्मू और कश्मीर की राजधानी
  • कोहिमा – नागालैंड की राजधानी
  • पुडुचेरी
  • गुवाहाटी – असम की राजधानी
  • गंगटोक – सिक्किम की राजधानी
  • शिमला – हिमाचल प्रदेश की राजधानी
  • देहरादून – उत्तराखंड की राजधानी
  • इम्फाल – मणिपुर की राजधानी
  • चंडीगढ़

इन शहरों की स्थिति

इन शहरों में अनुमान के अनुसार लगभग तीन करोड़ लोग रहते हैं। विभिन्न भूंकपीय क्षेत्रों का वर्गीकरण भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा किया गया है। इन भूंकपीय क्षेत्रों को चार जोनों – II, III, IV और V में विभाजित किया गया है। भूंकपीय क्षेत्रों का वर्गीकरण करने के लिए इन शहरों और कस्बों में होने वाली टेक्टॉनिक गतिविधियों, भूकंप के रिकॉर्डों और इसके कारण हुआ क्षति का लेखांकन किया गया। यह जानकारी एनसीएस के संचालक विनीत गहलौत द्वारा प्रदान की गई है।

जोन V

इस जोन में भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील होने का सबसे बड़ा खतरा है। इस जोन में शामिल क्षेत्रों को नीचे बताया गया है:

  • पूरा उत्तर पूर्वी भारत जोन V के अन्तर्गत आता है।
  • जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन V में शामिल हैं।
  • गुजरात में कच्छ का रण क्षेत्र
  • उत्तरी बिहार के कुछ इलाके
  • अंडमान और निकोबार आईसलैंड द्वीप समूह

जोन II को कम से कम भूकंपीय गतिविधि को झेलना पड़ता है और जोन IV को भूकंप के लिए गंभीर माना जाता है। जैसे कि जोन II ऐसा क्षेत्र है जिसपर भूकंपों का खतरा कम है।

जोन IV

भारत के निम्नलिखित क्षेत्रों को जोन IV के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • जम्मू और कश्मीर, सिक्किम और दिल्ली के कुछ हिस्से
  • उत्तरी उत्तर प्रदेश
  • पश्चिम बंगाल
  • गुजरात
  • महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र

2001 में, गुजरात के भुज में एक बड़ा भूकंप आया था। इस प्राकृतिक आपदा में 20,000 लोगों की मौत हो गई थी। भारतीय शहरों और कस्बों की भूकंपीय क्षेत्र की सूची में भुज को भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। इसके अलावा, चंडीगढ़, लुधियाना, अंबाला, रुड़की और अमृतसर जैसे शहरों और कस्बों को जोन IV और V के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा है कि मार्च 2018 तक पूरे देश में 31 नई भूकंप विज्ञान वेधशालाएं स्थापित की जाएंगी। इस समय भारत के पास 84 भूकंप विज्ञान वेधशालाएं हैं। इनका मुख्य कार्य भूकंप का पता लगाना और पैरामीटर को एक निश्चित हद तक रिकॉर्ड करना है। यह भूकंप के झटके को अग्रगामी रूप से ठीक से पहचानकर हर संभावित संकेत भी भेजता है।

एनसीएस द्वारा निभाई गई भूमिका

एनसीएस भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अन्तर्गत काम करता है। यह पूरे देश में हुए भूकंपों को रिकॉर्ड करता है और इस तरह के मामलों में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भूकंपीय माइक्रोजोनेशन से संबंधित अध्ययन भी करता है, जिसे एक प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है, इसमें प्रत्येक क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि की संभावना वाले क्षेत्र के आधार पर उस क्षेत्र को उप क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है।

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