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5 भारतीय धार्मिक स्थल – जो हैं हिंसा के गवाह

July 17, 2017


5-Indian-Religious-Places-hindiभारत की आत्मा आध्यात्मिकता है। हमारा देश महान परम्पराओं वाला देश है जिसकी भूमि के हर कण का एक ऐतिहासिक पहलू है जो हर धर्म को अपने भीतर निहित किए हुए है और हर धर्म की आस्था भारत से संबद्ध रखती है। भारत ने न केवल कई धर्मों को अपनाया बल्कि यह दुनिया के कई महान धर्मो जैसे हिंदू धर्म, सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म आदि का जन्मस्थान है। ये सभी धर्म इस देश की विविधता हैं, लेकिन कभी-कभी इन धर्मों का एक साथ होना भारतीयों के बीच संघर्ष और असंतोष का कारण बनता है। देश कुछ पवित्र पूजा स्थलों पर दिल दहला देने वाली हिंसक घटनाओं और विवादों का गवाह है। इन घटनाओं के आधार पर हम 5 धार्मिक स्थलों को सूचीबद्ध कर रहे हैं जो किसी प्रकार के विवाद या हमले का शिकार हुए हैं। हम अपने देश में धार्मिक सामंजस्य, प्रेम की भावना और शांति बने रहने के लिए प्रार्थना करते हैं।

राम जन्मभूमि – हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार राम, भगवान विष्णु के अवतार और अयोध्या के राजा थे। राम का जन्म इस पवित्र भूमि पर 9,00,000 साल पहले हुआ था। पुरातात्विक साक्ष्य इस तथ्य का समर्थन करते हैं कि 7 वीं शताब्दी ईस्वी में इस स्थान पर एक महान शहर निर्मित था। मुगल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाबरी ने इस स्थल पर 1528 में एक मस्जिद का निर्माण करवाया। तभी से यह जगह हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच एक बहुत ही हिंसक संघर्ष का केंद्र रही है। 1992 में राम जन्म भूमि पर हुआ विवाद और सांम्प्रदायिक दंगा देश की सबसे खराब घटनाओं में से एक बन गया। अदालत एक निश्चित फैसला देने में सक्षम नहीं है, जो दोनों समुदायों को स्वीकार हो या दोनों समुदायों को करीब ला सके।

स्वर्ण मंदिर – श्री हरिमंदिर साहिब, स्वर्ण मंदिर, दुनिया भर के सिख समुदाय के गुरुद्वारों में सबसे पवित्र है। यह अकाल तख्त का सिंहासन है जो सिखों के विवाद के प्रस्ताव और सिखों के लिए नीति बनाने के मामले में सर्वोच्च प्राधिकरण है। स्वर्ण मंदिर पर सिख अलगाववादी एवं उग्रवादी जर्नेल सिंह भिन्द्रावाले और उसके अनुयायियों द्वारा कब्जा कर लिया गया उन्होंने गुरुद्वारे में हथियार इकट्ठे (संभावित रूप से एक सशस्त्र हमला शुरू करने के इरादे से) करने शुरु कर दिए। भारतीय सेना ने जून 1984 में गुरुद्वारा परिसर पर हमला किया और आतंकवादियों को ठिकाने लगा दिया था। इस कार्रवाई के बाद कई पंजाबी घरों और प्रतिष्ठानों पर (भिन्द्रावाले के प्रति सहानुभूति के संदेह में) छापे डाले गए और सिखों को परेशान किया गया। इस हमले के घाव अभी भी हमारी चेतना में ताजे हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर – काशी विश्वनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है और गंगा नदी के तट पर स्थित वाराणसी (काशी) शहर में हिंदू आध्यात्मिकता का केंद्र है। यह मंदिर न केवल 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है बल्कि यह हिंदुओं के अनुसार सबसे पवित्र शिव मंदिर भी है। हालांकि, इस मंदिर का इतिहास हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न की कई घटनाओं से ग्रस्त है। 1124 में, मुहम्मद गौरी ने मंदिर को नष्ट कर दिया। यहाँ तक ​​कि स्थानीय लोगों के अनुसार पुनः र्निर्माण के बाद, कुतुब-उद-दीन ऐबक ने एक बार फिर मंदिर को नष्ट कर दिया। 1351 में, दिल्ली के सुल्तान, फिरोज शाह तुगलक ने फिर से मंदिर को नष्ट कर दिया था। 1669 में, मुगल सम्राट औरंगजेब ने फिर से मंदिर को नष्ट कर दिया था। जिसने उस जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की अहिल्या बाई होल्कर (मराठा शासक) द्वारा एक पास के स्थल पर किया गया था।

सोमनाथ मंदिर – गुजरात का सोमनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है – यह मंदिर शिव पूजा की महत्वपूर्ण जगहों में से एक है, जिसका ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है। यह मंदिर प्राचीन भारत के सबसे पवित्र और धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। शायद इस मंदिर के अत्याधिक धन ने 1025 में भारत में लूट-पाट के उद्देश्य से आए गजनी के महमूद को आकर्षित किया था। उसने मंदिर से अपार धन लूटा और यह भी माना जाता है कि महमूद ने ज्योतिर्लिंग को भी तोड़ दिया था। आने वाले वर्षों में मंदिर पर एक के बाद एक लूट की गई। 1299 में, सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी की सेना ने मंदिर पर आक्रमण किया, 1395 में, दिल्ली सल्तनत के गुजरात के गवर्नर जफर खान ने एक बार फिर मंदिर को नष्ट कर दिया। 1451 में, महमूद बेगड़ा ने एक बार फिर इसे ध्वस्त कर दिया था। फिर पुर्तगालियों ने 1546 में मंदिर पर हमला कर नष्ट कर दिया था और सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इसे फिर से नष्ट कर दिया था। जब-जब मंदिर का पुनः र्निर्माण भक्तों और देश के धर्माभिमानी लोगों द्वारा किया गया तब-तब मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया।

बोध गया – बौद्ध धर्म शांति और सहिष्णुता का प्रतीक है और बोध गया, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया, वह सामंजस्य का सार्वभौमिक प्रतीक है। यह जगह भी हिंसा और खूनखराबे से अछूत रहने में नाकाम रही है। जुलाई 2013 में, कम तीव्रता वाले बम विस्फोटों की एक श्रृंखला ने महाबोधि मंदिर परिसर को हिला दिया। बम विस्फोटों ने कुछ भिक्षुओं को घायल कर दिया। माना जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन एक कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवादी संगठन है, जो इन विस्फोटों के लिए जिम्मेदार था।