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दिल्ली में कुम्हारों का ग्राम – चाक पर आजमाएँ अपने हाथ!

June 14, 2017


potteryक्या आप कभी शहरी घरों के बंधन से स्वयं को मुक्त करना चाहते हैं? क्या आप प्रकृति के करीब अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं? क्या पक्षियों का चहकना, पेड़ों का लहराना और हरी भरी भूमि आदि आपको अपने सपनों के घर की याद दिलाती हैं। अगर इन सवालों का जवाब हाँ है तो आप सही जगह पर हैं! आप अपने शहर में ही ग्रामीण रहन सहन के एक प्यारे जीवन का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में दिल्ली में कुम्हारों का ग्राम – चाक पर आजमाएँ अपने हाथ! है, यह एक ऐसा जगह है  जिसके बारे में आप सपने देखते होंगे।

इतिहास

पश्चिम दिल्ली के पीतमपुरा के पास स्थित कुम्हारों (मिट्टी के बर्तनों) के गाँव का यह सेट अप दक्षिण एशिया फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित किया गया है, जो एक छोटा सा गाँव है। यह फाउंडेशन शिल्पकारी के क्षेत्र में विशेष जोर देते हुए गरीबों के उत्थान के लिए काम करता है। इसलिए, कुम्हारों (मिट्टी के बर्तनों) का यह गाँव सैकड़ों राजस्थानी कुम्हार परिवारों का एक घर है, जो यहाँ पर स्थयी रूप से बस गये हैं।

यहाँ की उपलब्धता  

दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित यह कलात्मक गाँव आपको खूबसूरती से डिजाइन किये गये बर्तनों का एक शानदार अनुभव प्रदान करता है। इस गाँव को विशेष रूप से भ्रमण करने पर आप को मिट्टी के जादू की जानकारी देने के लिए व्यवस्थित किया गया है, जो हस्तशिल्प के क्षेत्र में अद्भुत काम करता है। यहाँ आप केवल ग्रामीणों के जीवन का अनुभव प्राप्त करने के लिये ही नहीं बल्कि मिट्टी के बर्तनों और भारतीय संस्कृति के बारे में जानने के लिए उनके साथ घुल मिल सकते हैं। यहाँ आप कुम्हारों के कार्य करने के तरीके, उनकी समस्याएं और उनके समुदाय में महिलाओं की भूमिका को भी समझ सकते हैं। ग्रामीणों ने अपने रिवाजों और संस्कारों के बारे में दिलचस्प तथ्य भी साझा किए हैं। बर्तन बनाने की कला को सीखने और पहिये (चाक) पर अपने हाथों को आजमाने की कोशिश करने वाले दर्शकों के लिए, मिट्टी के बर्तन बनाने की सभाओं का आयोजन भी किया जाता है। गाँव की कुछ यादों को घर वापस लाने के लिये इस जगह पर एक स्मारिका की दुकान है।

दक्षिण एशिया फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो गरीबों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। इस गाँव के निवासी अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए पूरी तरह से अपनी कला पर निर्भर करते हैं। शहरी निवासियों द्वारा किया जाने वाला भ्रमण इस गाँव वालों को न केवल आजीविका प्रदान करता है बल्कि उनका मनोबल बढ़ाने का एक साधन भी है। पूरे गाँव के लाभ के लिए उपयोग की जाने वाली राशि की एक अच्छी रकम ग्राम विकास कोष में चली जाती है। तो अपने भ्रमण के लिये जल्द ही योजना बनायें, ताकि आप ग्रामीण जीवन का अनुभव प्राप्त कर सकें और गाँव के लोगों की निपुणता से प्रेरित हों।

यात्रा के लिए सलाह

  • ग्रामीण परिवेश के अनुसार आरामदायक और परंपरागत कपड़े पहनें। शरीर को प्रकट करने वाले कपड़ों को पहनने से बचें, अपने हाथों और पैरों को ढकने का प्रयास करें।
  • आरामदायक फुटवियर पहनें।
  • गर्मियों के दौरान सनस्क्रीन लगायें और छाते का प्रयोग करें।
  • इस भ्रमण पर न्यूनतम दो और अधिकतम 15 लोगों के जाने की आवश्यकता है।
  • भ्रमण के दौरान शुद्ध भारतीय भोजन परोसा जायेगा।
स्थान एफडी-6, पीतमपुरा, नई दिल्ली
कैसे पहुँचे बुकिंग करने पर परिवहन सुविधा उपलब्ध है। वास्तविक आधार पर शुल्क लिया जायेगा।
समय सम्पूर्ण भ्रमण करने में करीब 6 घंटे लगते हैं। आपकी सुविधा के अनुसार यात्रा का आयोजन किया जा सकता है। यात्रा का सबसे अच्छा समय सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक है।
यूएसपी मिट्टी के बर्तनों की कार्यशालाएं।
प्रसिद्ध चीजें मिट्टी के बर्तन बनाने के सत्र, ग्रामीण परिदृश्य, शुद्ध भारतीय भोजन, पारंपरिक भोजन