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मोदी सरकार के 3 वर्षों के कार्य का रिपोर्ट कार्ड

May 18, 2017


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16 मई को, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किए। पार्टी को दोबारा चुनाव में लोगों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए, सिर्फ दो साल ही बाकी रह गए हैं,  सरकार ने जो वादे किए – वे कितने पूरे हुए हैं, उनका ब्यौरा लेने का उचित समय आ गया है।

उन लक्ष्यों की तरफ, स्थानीय क्षेत्र नामक एक संगठन ने 3 वर्षों की अवधि के दौरान, संचालित शासन के मूल्यांकन का आयोजन किया और तीन हफ्तों की अवधि में 40,000 प्रतिभागियों को कवर करते हुए, सामूहिक रूप से सरकार के प्रदर्शन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए  200,000 लोगों को अपनी राय भेजी है।

सर्वेक्षण के परिणामों का विश्लेषण करने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि 40,000 प्रतिभागी, 1.21 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व निश्चित रूप से नहीं कर पाए , लेकिन उस समय  सर्वेक्षण 200 से ज्यादा शहरों में फैला हुआ था, प्रवृत्ति और नीतियों की कुछ जानकारियों से लोग क्या महसूस कर रहे हैं। सर्वेक्षण में जो पता चला है वह यहां प्रकाशित किया गया है।

सर्वेक्षण का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह था कि 61% प्रतिभागियों ने मोदी की अगुवाई वाली सरकार से संतुष्टि महसूस की और 59% लोगों ने यह माना है कि सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने की पूरी कोशिश की है। प्रधानमंत्री और उनके एनडीए सहयोगी (दोनों के लिए) यह बेहद सुखद परिणाम होगा।

हालांकि, वहाँ ऐसे कई क्षेत्र जहाँ उम्मीद और पूर्ति के बीच का अंतर अभी भी व्यापक था। व्यापक क्षेत्रों के बारे में विचार करने के लिए, सत्तारूढ़ पार्टी के पास केवल दो साल का समय बचा है।

प्रत्यक्ष लाभ के स्थानांतरण के लिए सरकार की पहल

यह प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी सामाजिक कल्याणकारी पहलों में से एक है, इसका उद्देश्य लोगों के पैसों को गुप्त तरीके से जमा करके, सब्सिडी लाभ के तहत सीधे उनके खाते पर पहुंचाकर, सामान्य लोगों को इससे जोड़ा जा सके। सर्वे से पता चला है कि 47% लोग सरकार के इस प्रभावी कार्यक्रम से अधिक प्रभावी हुए थे।

जन धन योजना

यह दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेश की योजना है जो सबसे सफल मानी गई है। 29% प्रतिभागियों ने इस योजना के बाद दूसरी सबसे प्रभावी योजना के रूप में संतोष व्यक्त किया।

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री की सबसे बडी योजना रही है क्योंकि उन्होंने हर घर में एक शौचालय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। इस योजना की शुरूआत बहुत उम्मीदों और अधिक प्रचार के साथ शुरू की गई थी। हालांकि, केवल 16% लोगों ने इस योजना की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ सरकार को फिर से कदम उठाना चाहिए।

मेक इन इन्डिया

एक युवा वर्ग की जनसंखया के लिए, नौकरियों के सृजन की आवश्यकता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने युवाओं को नौकरियों का तोहफा दिया। 8% लोगों ने सरकार की “मेक इन इंडिया” की पहल को मंजूरी दी।

“मेक-इन-इन्डिया” को प्रोत्साहित करके अपने देश को बदलने के लिए, विदेशी निवेश को आकर्षित करने की पहल उनके विचारों में से एक थी, क्योंकि प्रधानमंत्री सत्ता में आने के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की एक श्रृंखला पर चले गए थे। जाहिर है कि नरेन्द्र मोदी सरकार की समग्र भावना के बावजूद, सरकार नौकरियों का सृजन करने में विफल रही है जो आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।

बेरोजगारी

63% प्रतिभागियों ने सहमति जताई है कि बेरोजगारी की दर कम नही हो पाई थी। यह वर्तमान सरकार के लिए सिर्फ एक धारणा ही नहीं बल्कि एक गंभीर मुद्दा भी है लेकिन कहा जा रहा है कि इस मोर्चे पर बहुत कुछ किया जा रहा है।

विमुद्रीकरण और भ्रष्टाचार

मोदी सरकार के सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार विरोधी मंच पर सर्वेक्षण में, 47% प्रतिभागियों ने भ्रष्टाचार को काफी नियंत्रण में पाया है जबकि 43% ने ये मानने से इन्कार कर दिया था। सरकार को बेहतर महसूस करने के लिए यह अंतर पर्याप्त नहीं है।

काले धन से लड़ने,  भ्रष्टाचार और आतंकवाद को कम करने के उद्देश्य से किए गए विमुद्रीकरण ने, लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी थीं। 51% प्रतिभागियों का मानना था कि सरकार काले धन को बाहर निकालने में सफल रही थी, जबकि 37% लोगों ने केवल सहमति व्यक्त की, 47% लोगों का मानना है कि विमुद्रीकरण ने वास्तव में भ्रष्टाचार को कम कर दिया है। जब पूछा गया कि क्या भ्रष्टाचार को खत्म करने में सरकार सफल रही है, तो  47% लोगों ने हाँ में जबकि 43% लोगों ने न में जबाब दिया था।

आधारभूत संरचनाएँ

अपने पिछले दो वर्षों में, नीतिगत पक्षघात की धारणा के कारण,  यूपीए-2 सरकार को नुकसान का सामना करना पड़ा। 65% प्रतिभागियों ने माना है कि मोदी सरकार ने पूर्वावश्यकता के तहत विकास में सुधार किया है। हालांकि, 58% लोगों का मानना है कि सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया है।

सामाजिक मुद्दे

सांप्रदायिकता फैलाने के बारे में विपक्ष मुखर रहा है लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार, 61%  प्रतिभागियों ने माना है और 31% ने विश्वास किया है कि सरकार ने इस तरह के मुद्दों को संभालने में अच्छी तरह से काम किया है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध निरंतर जारी है केवल 28% लोगों का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों मे कमी आई है। और 60% लोग मानते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है।

विदेश नीति, पाकिस्तान और आतंकवाद

शपथ लेने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विदेश नीति पहल की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी ली। 81% प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि विदेशों में भारत की छवि का बहुत सुधार हुआ है। यह प्रधानमंत्री के लिए व्यक्तिगत रूप से सकारात्मक है।

भारत के पाकिस्तान पर हैंडलिंग पर, 64% प्रतिभागियों में 30% असहमति के साथ सरकार की पहल का समर्थन किया।

51% लोगों का मानना है कि आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार द्वारा उचित कदम उठाए गए हैं जबकि 42% लोगों ने ये मानने से इन्कार कर दिया था।

नरेंद्र मोदी दूर जा रहे हैं

सर्वेक्षण में स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री के लिए मजबूत मंजूरी दिखाई गई,  लेकिन जब स्थानीय स्तर पर लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास आया, तो 69% लोगों ने माना है कि उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ने पर्याप्त कार्य नहीं किया है, केवल 14% लोगों ने उनसे संतुष्टि जताई है यह प्रधानमंत्री के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

निर्णायक टिप्पणियाँ

यह सर्वेक्षण, हालांकि पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है, यह केवल संकेत देता है कि लोग प्रधानमंत्री की पहलों के बड़े पैमाने पर समर्थन करते हैं और विश्वास करते हैं कि सरकार ने जो वादे किए है, उसे पूरा करने के लिए सरकार सही रास्ते पर है। इसमें कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला गया है जहाँ बहुत कुछ किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा जनता को जागृत करने के लिए अभी और कार्य करना चाहिए।