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अब से बैंक खातों को संचालित करने के लिए आधार अनिवार्य

June 19, 2017


aadhaar-mandatory-to-operate-bank-accounts-hindiसभी भारतीय नागरिकों के लिए 12 अंकों का आधार (यूडीआईआई द्वारा जारी-भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) अनिवार्य बनाने के लिए एक और कदम उठाते हुए, भारत सरकार ने शुक्रवार 16 जून 2017 को यह घोषणा की है कि अब सभी बैंक खातों को आधार से जोड़ा जाना अनिवार्य है। इस दिशा में पहले चरण के तौर पर, अब सभी संभावित ग्राहकों को एक नया खाता खोलने के लिए अपने आधार कार्ड की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, सभी बैंकों में 50,000 रुपये से अधिक लेनदेन करने पर आधार कार्ड को खाते से जोड़ना जरूरी होगा। मिड डे मील योजना सहित कई महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं के लिए आधार को पहले से अनिवार्य कर दिया गया था।

बैंक खातों के लिए आधार की वरीयता

मौजूदा बैंक खाता धारकों को भी अपने आधार कार्ड का विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। यूआईडी की इस प्रक्रिया को 31 दिसंबर 2017 तक पूरा करने की आवश्यकता होगी। यदि कोई भी खाताधारक आधार विवरण प्रस्तुत करने में नाकाम होता है तो वह खाते का उपयोग करने के योग्य नहीं होगा।

सरकार ने राजस्व विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा कि, “बशर्ते कि यदि ग्राहक अधिसूचना की तिथि से पहले इन संस्थाओं को रिपोर्ट करने के साथ खाता आधारित संबंध रखता है और वह 31 दिसंबर  2017 तक आधार संख्या और स्थायी खाता संख्या जमा करने में विफल हो जाता है, तो जब तक ग्राहक द्वारा आधार संख्या और स्थायी खाता संख्या जमा नहीं हो जाती, तब तक उसका खाता चालू नहीं होगा।”

अधिकांश सार्वजनिक और निजी बैंक ग्राहकों को अपने बैंक खातों और आधार कार्ड को अपनी वेबसाइटों या मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से लिंक करने की अनुमति दे रहे हैं। अगर किसी ग्राहक के पास नेट बैंकिंग नहीं है, तो स्त्री या पुरूष को अपने आधार कार्ड की एक फोटो कापी शाखा को देनी होगी।

यह प्रावधान अनुकूल लगता है, हालांकि भारतीय नागरिक के लिए छोटे मूल्य के बचत खातें बिना आधार कार्ड प्रदान किए खुल जायेगें। ये खाते केवल चुनिंदा बैंकों द्वारा खोले जाएंगे और उन्हें 12 महीने की अवधि के लिए खोला जाएगा। इस अवधि के पूरा होने पर, खाता धारकों को आधार आवेदन का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा और बाद में खाते से लिंक करना होगा।

उच्च मूल्य लेनदेन

इस साल की शुरूआत में ही, सरकार ने उच्च मूल्य वाले लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। विमुद्रीकरण के बाद, इस साल मार्च में शुरू हुए वित्त विधेयक में हुए संसोधन के अनुसार नकदी लेनदेन की अधिकतम सीमा तीन लाख रूपये तय की गयी थी, जो बाद में घटाकर दो लाख रूपये कर दी गयी थी। नियमों में हुए परिवर्तन में सभी उच्च मूल्य वाले नकद लेनदेन के लिए आईटी पैन नंबर (पैन कार्ड) अनिवार्य बना दिया गया है। फिर से एक परिवर्तन किया गया है जिसके तहत 50,000 रूपए से अधिक के सभी लेनदेन के लिए आधार कार्ड जरूरी हो गया है।

काले धन पर प्रतिबंध

आधार यूआईडी को सुरक्षा कमियों के कारण बहुत आलोचनाएं सहनी पड़ीकड़े विरोध के बावजूद सरकार ने आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार प्रक्रिया अनिवार्य बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सरकार के फैसले को सही ठहराया है। जब कोई स्थायी खाता संख्या (पैन) के लिए आवेदन करना चाहता है तो यह अब अनिवार्य है, काले धन के संकट को रोकने के इरादे से एनडीए सरकार द्वारा पिछले एक साल के किये गये कई उपायों में से यह एक उपाय है।

सरकार के मुताबिक, टैक्स चोरी करने वाले वर्तमान में टैक्स रिटर्न भरने के लिए एक से अधिक पैन खातों का उपयोग कर रहे है और इस तरह के आईटी के मायाजाल से बचना चाहते है। पैन कार्ड को जोड़ना और अद्वितीय आईडी नंबर आधार के साथ खातों को समान्य बनने से रोकना होगा।

न केवल सरकार ने आधार के साथ वित्तीय रिकॉर्ड जोड़ने का आग्रह किया है बल्कि सभी टेलीफोन और मोबाइल कनेक्शनों के लिए भी इस प्रक्रिया को अनिवार्य बना दिया है। आधार सभी आवश्यक पहचान वाले दस्तावेज के लिये एकल बिंदु बनने को तैयार है, शर्त यह है कि इसकी गोपनीयता की खामियों को दूर किया जाये।